Uttar Pradesh

StateCommission

CC/158/2019

Ramu - Complainant(s)

Versus

Rashmi Medicare Center Unit of Rashmi Medicare andResearch Centre - Opp.Party(s)

Amol Kumar, D.N. Shah

16 Apr 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/158/2019
( Date of Filing : 29 May 2019 )
 
1. Ramu
S/O Shri girdhari Lal R/O Hemrajpur Barhan Agra U.P. 283201
...........Complainant(s)
Versus
1. Rashmi Medicare Center Unit of Rashmi Medicare andResearch Centre
Mughal Road kamala Nagar Agra Through its Superintendent
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 16 Apr 2024
Final Order / Judgement

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

परिवाद संख्‍या:-158/2019

रामू उम्र लगभग 40 वर्ष पुत्र श्री गिरधारी लाल, निवासी हेमराजपुर बरहान आगरा उत्‍तर प्रदेश 283201

.........परिवादी

बनाम

1-    रश्मि मेडिकेयर सेंटर, यूनिट आफ रश्मि मेडिकेयर एण्‍ड रिसर्च सेंटर, मुगल रोड, कमला नगर, आगरा द्वारा अधीक्षक।

2-   सिनर्जी प्‍लस हॉस्पिटल, शांति प्‍लाजा, निकट गुरू का ताल, एनएच-2 आगरा-282007 द्वारा अधीक्षक।

3-   जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, इंस्‍टीट्यूट फार मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर, जगतपुरा 302017 जयपुर (भारत) द्वारा अधीक्षक।

4-   यूनाइटेड इण्डिया इं0कं0लि0 कार्यालय का पता- डिवीजनल ऑफिस आगरा 60/4, एफ0सी0आई0 बिल्डिंग, संजय पैलेस, आगरा 282002

...........विपक्षीगण

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

परिवादी के अधिवक्‍ता          : श्री डी0एन0 साहा

विपक्षी सं0-1 के अधिवक्‍ता      : श्री अरूण टण्‍डन

विपक्षी सं0-2 के अधिवक्‍ता      : श्री बृजेन्‍द्र चौधरी

विपक्षी सं0-3 के अधिवक्‍ता      : कोई नहीं।

विपक्षी सं0-4 के अधिवक्‍ता      : श्री प्रसून कुमार राय

दिनांक :- 16.4.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत परिवाद, परिवादी रामू द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध इस आयोग के सम्‍मुख धारा-47 (1)(A) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत विपक्षी सं0-1 से रू0 25,00,000.00 मय 18 प्रतिशत ब्‍याज परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक दिलाये जाने, विपक्षी सं0-1 से रू0 50,00,000.00 परिवादी की पत्‍नी श्रीमती ऊषा देवी की मृत्‍यु के एवज में मय 18

 

-2-

प्रतिशत ब्‍याज सहित, विपक्षी सं0-1 से परिवादी को हुए मानसिक एवं शारीरिक उत्‍पीड़न के मद में रू0 2,00,000.00 दिलाये जाने अथवा अन्‍य अनुतोष दिलाये जाने हेतु प्रस्‍तुत किया गया है।

संक्षेप में परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि  उसकी पत्नी एक बच्चे की उम्मीद कर रही थी, इसलिए उसकी पत्नी  की नियमित जांच हेतु विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर (अस्पताल) से संपर्क किया गया, जिनके द्वारा परिवादी की पत्नी की नियमित जांच की जा रही थी एवं दिनांक 02.5.2018 को परिवादी की पत्नी को विपक्षी सं0-1 के अस्पताल द्वारा नियमित जांच के लिए बुलाया गया था, जबकि परिवादी की पत्‍नी को कोई परेशानी नहीं थी। दिनांक 02.5.2018 को अस्पताल पहुंचने पर परिवादी की पत्नी को बच्चे को जन्म देने के लिए विपक्षी सं0-1 अस्पताल द्वारा भर्ती कराया गया तथा परिवादी को यह बताया गया कि उसकी पत्नी का गर्भाकाल पूरा होने वाल है।

 परिवाद पत्र के अनुसार कथन किया गया है कि परिवादी से पैसे ऐंठने के लिए जल्दबाजी में दिनांक 03.5.2018 को ही परिवादी की पत्नी का ऑपरेशन विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर (अस्पताल) अस्पताल द्वारा कर दिया गया, जिसमें विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर (अस्पताल) द्वारा गंभीर चिकित्सीय लापरवाही की गई, जिसके परिणामस्वरूप परिवादी की पत्नी को बेचैनी महसूस हुई और सांस लेने में तकलीफ हुई। परिवादी की पत्नी के द्वारा दर्द और बेचैनी की शिकायत करने पर अस्‍पताल के डॉक्टरों द्वारा कुछ प्रक्रिया अपनाई गई, जिसके पश्‍चात परिवादी की पत्नी के पेट से प्रचुर मात्रा में रक्त निकाला गया। परिवादी की पत्नी को आई.वी. फ्लूड तथा रक्त

 

-3-

चढाया गया, जिससे भी परिवादी की पत्नी की हालत में सुधार नहीं हुआ।

परिवाद पत्र के अनुसार दिनांक 04.5.2018 को परिवादी की पत्नी के पेट की अल्ट्रा सोनोग्राफी की गई, जिसमें हेमोपेरिटोनियम (Hemoperitoneum) (पेरिटोनियल गुहा में रक्त का संग्रह) दिखाया गया, जिससे स्पष्ट है कि विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर के डॉक्टर द्वारा परिवादी की पत्नी का असफल इलाज किया गया तथा वे इलाज करने में विफल रहे।

यह भी कथन किया गया कि परिवादी की पत्नी के ऑपरेशन के दौरान प्लीहा (स्‍पलीन) में कुछ क्षति हो गई, जिसके परिणामस्वरूप पेरिटोनियल कैविटी में रक्त का प्रसार हो रहा था तथा परिवादी की पत्नी का हीमोग्लोबिन 12.4 मिलीग्राम से नीचे गिर कर मात्र 8mg%  हो गया जब विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर (अस्पताल) के डाक्‍टरों/चिकित्‍सकों को पता चला कि उनके द्वारा परिवादी की पत्‍नी के इलाज में घोर चिकित्सीय लापरवाही की गई है, तब मरीज के जीवन को सुरक्षित करने के लिए यथासम्‍भव प्रयास करने के बजाय उनके द्वारा किसी दूसरे अस्पताल में ले जाने की सलाह दी, परन्‍तु इस तथ्‍य को स्‍वीकार नहीं किया कि परिवादी की पत्‍नी के आपरेशन में क्‍या लापरवाही की गई।

तत्‍पश्‍चात परिवादी जल्दबाजी में अपनी पत्नी को दिनांक 04.5.2018 को विपक्षी सं0-2 सिनर्जी प्लस हॉस्पिटल ले गया, जहॉ उसका चिकित्‍सकों द्वारा दोबारा ऑपरेशन किया गया और पेट से एक बड़ा हेमेटोमा (Hematoma) निकाला गया, पेरिटोनियल कैविटी से ताजा खून भी निकाला गया, जो प्लीहा से निकल रहा था। 

 

 

-4-

विपक्षी सं0-2 सिनर्जी प्लस हॉस्पिटल के डॉक्टरों की राय थी कि परिवादी की पत्नी प्लीहा रक्तस्राव से पीड़ित थी, जिसके कारण परिवादी की पत्नी की तिल्ली हटा दी गई थी, लेकिन विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर की ओर से देरी के कारण परिवादी की पत्नी की हालत अत्‍याधिक खराब हो गई तथा उसकी स्थिति देखते हुए उसको लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया।

परिवादी की पत्नी दिनांक 04.5.2018 से दिनांक 25.5.2018  तक विपक्षी सं0-2 सिनर्जी प्लस अस्पताल में भर्ती रही, जहां उसका ऑपरेशन किया गया और परिवादी की पत्नी की स्थिति में सुधार के लिए हर संभव प्रयास किए गये, लेकिन उसकी की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। तत्‍पश्‍चात परिवादी की पत्नी को विपक्षी सं0-2 सिनर्जी प्लस अस्पताल के डॉक्टरों की सलाह पर इलाज के लिए जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी ले जाया गया, जहां दिनांक 13.6.2018 को उसकी मृत्यु हो गई। परिवादी की पत्नी की सर्जरी से पहले और बाद में कई परीक्षण किए गए और रिपोर्ट किसी भी तरह से यह नहीं बताती है कि उसे प्रसव के लिए ऑपरेशन करना आवश्‍यक था।

विपक्षी सं0-1 अस्पताल की लापरवाही से व्यथित होकर परिवादी ने स्टेट मेडिको लीगल एक्सपर्ट, उत्‍तर प्रदेश से संपर्क किया। राज्य मेडिको लीगल एक्सपर्ट की राय है कि विपक्षी सं0-1 अस्पताल ने परिवादी की पत्नी का ऑपरेशन करते समय लापरवाही बरती तथा सर्जरी के बाद परिवादी की पत्नी की देखभाल करने में भी उपरोक्‍त अस्‍पताल विफल रहा, जो परिवादी की पत्नी की मृत्यु का कारण है। राज्य मेडिको लीगल विशेषज्ञ की राय का प्रासंगिक उद्धरण निम्‍नवत् है:-

"This case was not fully and property taken care off at

-5-

 Rashmi Medicare Centre, Agra. First, she developed infection in the hospital on admission which meant that infection prevention techniques were not observed. Secondly after operation in Rashmi Medicare Centre, Agra when she developed shock, distention of abdomen and respiratory distress and USG showed hemoperitoneum. She was not operated again to remove the blood, ligate the bleeders and remove the spleen but she was sent to anther hospital. Since the spleenic hemorrhage is a condition of extreme emergency and life threatening, so it was necessary that she should have been re-operated the same day i.e. 03.05.2018 when necessary, procedures should have been done to saver her life, but the Rashme Medi Care Centre, Agra did not do so."

यह भी कथन किया गया है कि परिवादी की पूर्व में पांच बेटियां हैं, जो नाबालिग हैं, सबसे बड़ी बेटी लक्ष्मी त्यागी है, जिसका जन्म वर्ष-2003 में हुआ था और वर्तमान में वह इंटरमीडिएट कोर्स कर रही है, दूसरी बेटी शिवानी त्यागी है, जिसका जन्म वर्ष-2006 में हुआ और वह हाई स्कूल में पढ़ती है, तीसरी बेटी तनु त्यागी है, जिसका जन्म वर्ष-2009 में हुआ है और वह छठी कक्षा में पढ़ती है, चौथी बेटी मनु त्यागी है, जिसका जन्म वर्ष-2011 में हुआ था और वह कक्षा पांचवी में पढ़ती है, पांचवीं बेटी अन्नू त्यागी है जिसका जन्म वर्ष-2013 में हुआ था और वह कक्षा दो में पढ़ती थी और अंत में दिनांक 03.5.2018 को लड़के का जन्म हुआ, जिसका नाम यश प्रताप त्यागी रखा गया। अत्एव विपक्षीगण की चिकित्‍सीय लापरवाही एवं सेवा में कमी को दृष्टिगत रखते हुए उपरोक्‍त अनुतोष दिलाये जाने हेतु परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर यह कथन किया गया कि परिवाद जिन तथ्‍यों के आधार पर योजित किया गया है वह अस्‍वीकार है। विपक्षी सं0-1 की डॉक्‍टर

 

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रश्मि सिंहल MBBS, MS Obstetrician & Gynaecocology हैं तथा एक अनुभवी एवं कुशल डॉक्‍टर के रूप में कार्यरत है, जिन्‍होंने अब तक हजारों आपरेशन कर मरीजों को ठीक किया है। यह भी कथन गलत है कि परिवादी की पत्‍नी श्रीमती ऊषा देवी विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर से लगातार इलाज करा रही थी जबकि सत्‍य यह है कि वह प्रथम बार दिनांक 02.5.2018 को गर्भावधि पूर्ण होने पर डिलवरी कराने लिए आई थी।

यह‍ भी कथन किया गया कि यह कहना गलत है कि श्रीमती ऊषा देवी की डिलीवरी के लिए उसकी सहमति के बिना ऑपरेशन किया गया बल्कि परिवादी ने अपने बहनोई के साथ दिनांक 02.5.2018 को अनुमति प्रदान कर प्रपत्रों में विधिवत हस्ताक्षर किए थे और ऑपरेशन के लिए एक अलग सहमति पर लंबी चर्चा के बाद 03.5.2018 को हस्ताक्षर किए गए थे।

यह‍ भी कथन किया गया कि यह भी कहना गलत है कि पैसे ऐंठने के लिए जल्दबाजी में श्रीमती ऊषा देवी का ऑपरेशन किया गया। सही तथ्य यह है कि डॉ0 रश्मी सिंघल ने सामान्य प्रसव के लिए परीक्षण किया और लगभग 19 घंटे तक इंतजार किया, यानी 02.5.2018 की शाम 5.00 बजे से दिनांक 03.5.2018 की दोपहर 12.00 बजे तक, लेकिन जब मरीज गंभीर भ्रूण संकट के साथ बाधित प्रसव में चली गई और पिछले कठिन प्रसव के कारण पिछले बच्चे के भाग्य पर विचार किया गया (चूंकि मरीज का आखिरी बच्चा प्रसव के तुरंत बाद मर गया) तो एल.एस.सी.एस. का निर्णय लिया गया। विपक्षी सं0-1 कोई जोखिम नहीं लेना चाहता था, इसलिए मरीज के पति के साथ-साथ उसके भाई के साथ लंबी चर्चा के बाद और देरी के लिए जटिलताओं पर विचार करने के बाद

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दिनांक 03.05.2018 को ऑपरेशन के लिए उचित सहमति लेने के बाद ही ऑपरेशन किया गया।

यह आरोप लगाना गलत है कि "डॉक्टरों द्वारा कोई प्रक्रिया की जा रही थी" और "मरीज के पेट से प्रचुर मात्रा में रक्त निकल गया"। सत्य तथ्य यह है कि की गई प्रत्येक प्रक्रिया मरीज के परिवार के अन्य सदस्यों की जानकारी और सहमति से की गई थी। वास्तव में ऑपरेशन सफल नहीं रहा और मरीज को वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया और ऑपरेशन के बाद उपचार दिया गया। शाम करीब 4.00 बजे मरीज को अचानक घबराहट और पसीना आने की शिकायत हुई, मरीज की जांच करने पर डॉ0 रश्मी सिंघल ने पाया कि मरीज का बी.पी. गिर रहा था, मरीज को तुरंत आई.सी.यू. में स्थानांतरित कर दिया गया और आई/वी फ्लूइड्स और ब्लड ट्रांसफ्यूजन की मदद से तदनुसार प्रबंधन किया गया। इस अचानक जटिलताओं का कारण जानने के लिए डॉ. मुकेश जैन (अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट) को अल्ट्रासाउंड के लिए बुलाया गया और पेट का अल्ट्रासाउंड किया गया। अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट में MILD HEMOPERITONEUM -C MILD HYDROURETER -C MILD HYDRONEPHROSIS का खुलासा हुआ। यह अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट एक स्पष्ट संकेत थी कि ऑपरेशन काफी सफल था और जो जटिलताएँ उत्पन्न हुई, वे किए गए ऑपरेशन (एल.एस.सी.एस.) से संबंधित नहीं थीं। यह आरोप गलत है कि "ऑपरेशन के दौरान तिल्ली में कुछ क्षति हो रही थी"।     

यहां यह उल्लेख करना उचित है कि मरीज श्रीमती ऊषा देवी दिनांक 04.5.2018 को विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर से चली गई थीं, उन्हें सिनर्जी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहॉ दिनांक

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25.5.2018 तक उसका इलाज चला फिर दिनांक 25.5.2018 को जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर में रेफर किया गया और दिनांक 13.6.2018 को उसकी मृत्यु हो गई।

यह भी कथन किया गया है कि परिवादी ने इतनी बड़ी रकम यानी 18% ब्याज के साथ 77,00,000/- रुपये का दावा किया है, लेकिन इतनी अधिक रकम के लिए कोई सबूत/साक्ष्‍य दाखिल नहीं किया गया है अत: किसी दस्तावेजी साक्ष्य के अभाव में उसका परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है। यह भी कथन किया गया कि इस मामले में चिकित्सीय लापरवाही का आरोप लगाया गया है, जो साक्ष्‍य से सिद्ध नहीं है अत: परिवाद को निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई।  

विपक्षी सं0-2 की ओर से कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। विपक्षी सं0-3 व 4 की ओर से प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत कर यह कथन किया गया कि उन्‍हें परिवाद पत्र में अनावश्‍यक रूप से पक्षकार के रूप में उल्लिखित किया गया है और उनसे परिवादी द्वारा  कोई अनुतोष भी नहीं मॉगा गया है अत्एव उन्‍हें परिवाद पत्र से हटाये जाने हेतु प्रार्थना की गई है।

परिवादी की ओर से परिवाद पत्र के समर्थन में शपथपत्र एवं साक्ष्‍य के रूप में शपथपत्र एवं संलग्‍नक-1 लागायत 4 प्रपत्र प्रस्‍तुत किये गये हैं, इसके अतिरिक्‍त परिवादी की ओर से साक्ष्‍य के रूप में लगभग 49 प्रपत्रों की छायाप्रतियॉ प्रस्‍तुत की गई हैं।

विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर की ओर से प्रतिवाद पत्र के कथनों के समर्थन में डॉ0 रश्मि सिंहल का शपथपत्र प्रस्‍तुत किया गया है। 

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मेरे द्वारा पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को विस्‍तार पूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से कथन किया गया है परिवादी की पत्‍नी श्रीमती ऊषा देवी विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर से लगातार इलाज नहीं करा रही थी एवं परिवादी की पत्‍नी प्रथम बार दिनांक 02.5.2018 को गर्भावधि पूर्ण होने पर डिलवरी कराने लिए आई थी। यह भी कथन किया गया कि श्रीमती ऊषा देवी की डिलीवरी के लिए उसकी सहमति के उपरांत ऑपरेशन किया गया था और परिवादी ने अपने बहनोई के साथ दिनांक 02.5.2018 को हस्ताक्षर कर अनुमति प्रदान की थी। यह भी कथन किया गया है कि परिवादी की पत्‍नी श्रीमती ऊषा देवी विपक्षी सं0-1 के अस्‍पताल में 02.5.2018 को दाखिल हुई और परिवादी की पत्‍नी का ऑपरेशन दिनांक 03.5.2018 को किया गया तत्‍पश्‍चात दिनांक 04.5.2018 को मरीज को डिस्‍चार्ज कर दिया गया था।

यह भी कथन किया गया कि मृतका द्वारा अवगत किया गया था कि उनके पहले भी दो अबोशन हो चुके थे और बच्‍चे की डिलीवरी के बाद बच्‍चे की मृत्‍यु हो गई थी, तब उपरोक्‍त कोम्‍पलीकेशन को देखते हुए यह तय किया गया था कि इनका सिजेरियन आपरेशन किया जाए एवं सिजेरियन ऑपरेशन के पश्‍चात श्रीमती ऊषा देवी (मृतका) की पोस्‍ट आपरेटिव केयर की गई थी। यह भी कथन किया गया कि विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर द्वारा परिवादी की पत्‍नी श्रीमती ऊषा देवी के इलाज में किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं बरती गई है।

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यह भी कथन किया गया है कि पत्रावली पर ऐसी कोई आख्‍या/साक्ष्‍य किसी योग्‍य चिकित्‍सक, विशेषज्ञ चिकित्‍सक एवं विशेषज्ञ दल की उपलब्‍ध नहीं है, जिसके आधार पर यह निष्‍कर्ष निकाला जा सके कि विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर के द्वारा किये गये उपेक्षा पूर्ण किये गये आपरेशन के आधार पर ही परिवादी की पत्‍नी को उपरोक्‍त समस्‍या उत्‍पन्‍न हुई हो और तत्‍पश्‍चात उसकी मृत्‍यु हो गई हो। 

यह भी कथन किया गया है कि चूंकि परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर में नहीं हुई है, अत्एव क्षतिपूर्ति की जिम्‍मेदारी विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर की नहीं है।

वर्तमान प्रकरण में निर्विवादित रूप से यह तथ्‍य स्‍पष्‍ट है कि परिवादी दिनांक 02.5.2018 को अपनी पत्‍नी श्रीमती ऊषा देवी को विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर पर दिखाने गया, जहॉ पर उसे भर्ती कर दिनांक 03.5.2018 को परिवादी की पत्नी का ऑपरेशन विपक्षी सं0-1 द्वारा किया गया, और आपरेशन के पश्‍चात परिवादी की पत्नी को दर्द और बेचैनी की शिकायत होने पर अस्‍पताल के डॉक्टरों द्वारा कुछ प्रक्रिया अपनाई गई, जिसके पश्‍चात परिवादी की पत्नी के पेट से प्रचुर मात्रा में रक्त निकाला गया तथा परिवादी की पत्नी को आई.वी. फ्लूड तथा रक्त चढाया गया, जिससे परिवादी की पत्नी की हालत में सुधार नहीं हुआ तब दिनांक 04.5.2018 को परिवादी की पत्नी के पेट की अल्ट्रा सोनोग्राफी की गई, जिसमें हेमोपेरिटोनियम (Hemoperitoneum) (पेरिटोनियल गुहा में रक्त का संग्रह) दिखाया गया, जिससे स्पष्ट है कि विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर के डॉक्टर परिवादी की पत्नी का इलाज करने में असफल रहे।

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मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्र सं0-11 जो कि मृतका के सी0बी0सी0 की रिपोर्ट दिनांकित 03.5.2018 है, जिसमें हिमोग्‍लोबिन 06 प्रतिशत दर्शायी गई है जबकि ऑपरेशन के समय सामान्‍य हिमोग्‍लोबिन कम से कम 12 प्रतिशत होना चाहिए अत्एव मरीज की हिमोग्‍लोबिन 06 प्रतिशत होते हुए, जिसकी जानकारी विपक्षी सं0-1 अस्‍पताल के डॉक्‍टर को थी, के बावजूद भी मरीज का आपरेशन कर दिया जाना विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर (अस्‍पताल) की सेवा में लापरवाही उद्धृत करता है अत्एव जहॉ तथ्‍य स्‍वयं ही साबित होते हो एवं परिस्थितियॉ स्‍वयं ही बोलती हो, वहॉ पर किसी चिकित्‍सीय विशेषज्ञ की आख्‍या/राय की आवश्‍यकता नहीं होती है।

प्रस्‍तुत प्रकरण में यह तथ्‍य भी उल्‍लेखनीय है कि परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर की लापरवाही के सम्‍बन्‍ध में स्‍टेट मेडिको लीगल एक्‍सपर्ट के समक्ष अपना प्रकरण रखा गया था, जो कि पत्रावली पर संलग्‍नक-2 के रूप में उपलब्‍ध है, जिनकी  राय के अनुसार विपक्षी सं0-1 अस्पताल द्वारा परिवादी की पत्नी का ऑपरेशन करते समय लापरवाही बरती गई तथा सर्जरी के बाद परिवादी की पत्नी की देखभाल करने में भी विफल रहे,  जो परिवादी की पत्नी की मृत्यु का कारण है, की उपधारणा की गई। उपरोक्‍त स्‍टेट मेडिको लीगल एक्‍सपर्ट द्वारा विपक्षी सं0-1 की लापरवाही के सम्‍बन्‍ध में निम्‍न तथ्‍य उल्लिखित किये गये है:-

"This case was not fully and property taken care off at Rashmi Medicare Centre, Agra. First, she developed infection in the hospital on admission which meant that infection prevention

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techniques were not observed. Secondly after operation in Rashmi Medicare Centre, Agra when she developed shock, distention of abdomen and respiratory distress and USG showed hemoperitoneum. She was not operated again to remove the blood, ligate the bleeders and remove the spleen but she was sent to anther hospital. Since the spleenic hemorrhage is a condition of extreme emergency and life threatening, so it was necessary that she should have been re-operated the same day i.e. 03.05.2018 when necessary, procedures should have been done to saver her life, but the Rashme Medi Care Centre, Agra did not do so."

यहॉ इस तथ्‍य का उल्‍लेख करना उचित होगा कि किसी अस्‍पताल के चिकित्सक/सर्जन का व्यवसाय समाज में बड़ी प्रतिष्ठा, सम्मान एवं विश्‍वास का होता है। अत्एव किसी चिकित्सीय संव्यवहार के अन्तर्गत एक ओर जहॉ चिकित्सक से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने ज्ञान, प्रतिभा एवं अनुभव के अनुसार किसी पीड़ित अथवा व्यथित व्यक्ति के प्रति उसकी चिकित्सा अथवा शल्य क्रिया के अपने चिकित्सीय संव्यवहार को, स्थापित चिकित्सीय सिद्धान्तों के अधीन रहते हुए पूर्ण ज्ञान एवं सजगता से अपने इस दायित्व का निर्वहन करेगा। परन्‍तु प्रस्‍तुत मामले में स्‍पष्‍ट रूप से विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर (अस्‍पताल) के डॉक्‍टर द्वारा परिवादी की पत्‍नी श्रीमती ऊषा देवी के इलाज में उपेक्षा, उदासीनता अथवा असावधानी बरती गई है, जिसे कि चिकित्‍सीय संव्‍यवहार के अधीन श्रीमती ऊषा देवी का इलाज चिकित्‍सीय उपेक्षा के अन्‍तर्गत माना जायेगा।

यहॉ यह तथ्‍य भी उल्‍लेखनीय है कि प्रस्‍तुत परिवाद पत्र में मात्र विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर के विरूद्ध ही सम्‍पूर्ण अनुतोष मॉगा गया है और प्रस्‍तुत मामले में चिकित्‍सीय लापरवाही का तथ्‍य भी मात्र विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर के विरूद्ध ही सिद्ध होता है, अत्एव विपक्षी सं0-2 ता 4 के विरूद्ध परिवाद अस्‍वीकार किया जाता है।

 

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विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर की इस लापरवाही से परिवादी की पत्‍नी श्रीमती ऊषा की जान जाने के साथ-साथ मरीज के पूर्व से पॉच पुत्रियॉ हैं एवं उसका परिवार मॉ के मातृत्‍व से वॉचित हो गया, जिसकी भरपाई वर्तमान समय में किसी भी प्रकार से सम्‍भव नहीं है।

उपरोक्‍त के परिप्रेक्ष्‍य में मैं इस मत का हॅू कि परिवादी की पत्‍नी श्रीमती ऊषा देवी के इलाज में विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर द्वारा घोर लापरवाही बरती गई है जिसके पश्‍चात काफी प्रयासों के बाद भी विपक्षी सं0-2 एवं 3 द्वारा मरीज की जान नहीं बचाई जा सकी इस पूरे प्रकरण में परिवादी एवं उसके पूरे परिवार को कितनी मानसिक वेदना से गुजरना पडा होगा इसका आंकलन करना सम्‍भव नहीं है। साथ ही साथ परिवादी को अपनी पत्‍नी की जान बचाने के प्रयास में एक अस्‍पताल से दूसरे अस्‍पताल तक आना-जाना और इलाज में भारी धनराशि को खर्च करने के पश्‍चात भी मरीज की जान भी नहीं बच पाई।

उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्‍तुत परिवाद को विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर (अस्‍पताल) के विरूद्ध आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर (अस्‍पताल) को आदेशित किया जाता है कि वह रू0 10,00,000.00 (दस लाख रू0) मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की गणना करते हुए प्रस्‍तुत परिवाद योजित किये जाने की तिथि से भुगतान की तिथि तक परिवादी की पत्‍नी (मृतका) श्रीमती ऊषा देवी की मृत्‍यु से हुए अहित एवं मृतका की नाबालिंग पॉच पुत्रियों को उनकी मॉ की अनुपस्थिति से हुए कष्‍ट एवं प्‍यार से वंचित होने को दृष्टिगत रखते हुए इस निर्णय/आदेश की तिथि से 45 दिन की अवधि में प्रदान करें।

 

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उपरोक्‍त रू0 10,00,000.00 (दस लाख रू0) की धनराशि मृतका श्रीमती ऊषा देवी की पॉचों पुत्रियों में बराबर-बराबर अर्थात रू0 2,00,000.00 (दो लाख रू0) प्रति पुत्री सुश्री लक्ष्‍मी त्‍यागी, सुश्री शिवानी त्‍यागी, सुश्री तनु त्‍यागी, सुश्री मनु त्‍यागी एवं सुश्री अन्‍नू त्‍यागी के पक्ष में फिक्‍स डिपॉजिट के रूप में परिवादी को हस्‍तांतरित किया जावे।

उपरोक्‍त फिक्‍स डिपॉजिट की धनराशि परिवादी द्वारा अथवा उपरोक्‍त अवयस्‍क पुत्रियों के विधिक उत्‍तराधिकारी द्वारा पुत्रियों की वयस्‍कता आयु अर्थात 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर पुत्रियों के हित में प्रयोग की जावेगी, अन्‍यथा किसी भी दशा में उपरोक्‍त धनराशि का प्रयोग वर्जित रहेगा।

ब्‍याज के रूप में देय 09 प्रतिशत की गणनित धनराशि परिवादी रामू पुत्र गिरधारी लाल को विपक्षी सं0-1 द्वारा 45 दिन की अवधि में प्राप्‍त करायी जावेगी।

उपरोक्‍त के अतिरिक्‍त मानसिक, शारीरिक व आर्थिक प्रताड़ना हेतु रू0 2,00,000.00 (दो लाख रू0) की धनराशि तथा वाद व्‍यय हेतु रू0 20,000.00 (बीस हजार रू0) की धनराशि भी 45 दिन की अवधि में परिवादी को विपक्षी सं0-1 रश्मि मेडिकेयर सेंटर (अस्‍पताल) द्वारा प्राप्‍त करायी जावेगी, अन्‍यथा की स्थिति में सम्‍पूर्ण धनराशि पर ब्‍याज की देयता 09 प्रतिशत के स्‍थान पर 12 प्रतिशत देय होगी।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

   

 

                          (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)               

                                                                           अध्‍यक्ष                                                                                                                            

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2., कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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