( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 801/2019
भूतपूर्व सैनिक पब्लिक स्कूल, बहादुरपुर फिरोजाबाद द्वारा प्रधानाचार्य
बनाम्
राशिद अली पुत्र श्री शरीफ
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री डी0 के0 अग्निहोत्री।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री संजय कुमार वर्मा।
दिनांक : 13-05-2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-30/2018 राशिद अली बनाम भूतपूर्व सैनिक पब्लिक स्कूल व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, फिरोजाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 20-12-2018 के विरूद्ध प्रस्तुत अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
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आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्नलिखित निर्णय एवं आदेश पारित किया है।
‘’ परिवादी का परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह वादी की जमा धनराशि रू0 60,000/- इस निर्णय के 45 दिन के अंदर वादी को अदा करे। अवहेलना करने पर वादी उक्त धनराशि पर निर्णय की तिथि से तअदायगी तक 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज पाने का अधिकारी होगा। इसके अतिरिक्त मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के लिए 5000/-रू0 व परिवाद व्यय के लिए 2,000/-रू0 भी उक्त अवधि में विपक्षीगण परिवादी को अदा करेगा।‘’
विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी भूतपूर्व सैनिक पब्लिक स्कूल की ओर से प्रस्तुत अपील योजित की गयी है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है परिवादी ने अपने पुत्र का कक्षा-2 में वर्ष 2012 में अध्यापन हेतु विपक्षीगण के विद्यालय में प्रवेश दिलाया और 40,000/-रू0 बतौर फीस जमा कर दिया। इसके पश्चात विपक्षीगण द्वारा परिवादी के पिता से दो बार में क्रमश: दस-दस हजार रूपये और जमा कराये गये। उपरोक्त जमा धनराशि में फीस, रहना, खाना-पीना सम्मिलित था। विपक्षी विद्यालय के नियमानुसार उपरोक्त
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धनराशि में कक्षा 12 तक की पढ़ाई, पढ़ाई जानी थी विपक्षीगण विद्यालय के नियमानुसार विद्यालय छोड़ने पर उक्त जमा धनराशि से अंतिम वर्ष का वार्षिक शुल्क कटौती करके शेष धनराशि वापस कर दी जायेगी जो कि जुलाई माह में देय होगी। सत्र 2012-13 के शुरू में तो विपक्षी के विद्यालय में सुविधायें ठीक-ठाक रही परन्तु कुछ माह बाद विपक्षी के विद्यालय की सुविधाऍं खत्म कर दी गयी, इस पर परिवादी के पिता द्वारा आपत्ति करते हुए शिकायत की गयी परन्तु कोई सुधार नहीं हुआ। अंत में वर्ष 2016 में परिवादी ने अपने पुत्र को विपक्षी विद्यालय से निकाल लिया। बच्चे को विद्यालय से निकालने से नाराज होकर विपक्षी ने परिवादी को फीस के रूप में जमा की गयी धनराशि विपक्षी द्वारा वापस नहीं की गयी और टाल-मटोल करते चले आ रहे हैं। जो कि विपक्षीगण के स्तर से सेवा में कमी है अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
विपक्षीगण द्वारा परिवाद के विरूद्ध कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया अत: परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय सुना गया।
विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवादी को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त विपक्षीगण के स्तर पर सेवा में कमी पाते हुए परिवाद स्वीकार करते हुए आक्षेपित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जिसका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है।
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अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री डी0 के0 अग्निहोत्री उपस्थित आए जब कि प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा उपस्थित आए।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा जो निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है वह साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त किया जावे।
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुसार है अत: अपील निरस्त करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि जावे।
मेरे द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्ता को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
दौरान बहस परिवादी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा न्यायालय के सम्मुख अपीलार्थी विद्यालय के प्रबन्धक द्वारा हस्ताक्षरित कुछ प्रपत्रों की छायाप्रतियॉं प्रस्तुत की गयी जिनका अवलोकन मेरे द्वारा किया गया।
उपरोक्त प्रपत्रों के परिशीलन एवं उपरोक्त में उल्लिखित तथ्यों से यह स्पष्ट रूप से पाया जाता है कि वास्तव में अपीलार्थी विद्यालय के प्रबंधक
अथवा मैनेजमेंट द्वारा अन-अपेक्षित प्रक्रिया अपनाई गयी है जो कदापि स्वीकृत नहीं की जा सकती है।
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उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के पश्चात विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
इस निर्णय एवं आदेश का अनुपालन निर्णय से दो माह की अवधि में सुनिश्चित किया जावे।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1