(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-618/2010
Managing Director Mohan Meakin Limited
Versus
Ranvijay Singh & others
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री राजेश चड्ढा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित:- श्री एस0के0 वर्मा, विद्धान
अधिवक्ता
दिनांक :12.12.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-86/2002, रण विजय सिंह बनाम प्रबंध निदेश, मोहन मीकिन्स लिमिटेड व अन्य में विद्वान जिला आयोग, कानपुर देहात द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 09.02.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अंकन 50,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश इस आधार पर पारित किया है कि परिवादी ने दिनांक 11.07.2002 को सुपर स्ट्रांग बीयर 10000 सील्ड बोतल क्रय की थी, उसमें मृत मक्खी पड़ी हुई थी, जिसके कारण शर्मिंदगी उठानी पड़ी।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विपक्षी सं0 1 उत्तम श्रेणी के ब्रांड उत्पादित करता है। विवादित बोतल को विपक्षी कभी भी नहीं दिखाया गया, इसलिए इस तथ्य का सत्यापन नहीं हो सका। बैच नम्बर भी नहीं बताया गया। बीयर के उत्पादन 06 महीने के अंदर प्रयोग हो जाने चाहिए। परिवादी द्वारा बीयर का कोई प्रयोग नहीं किया गया, इसलिए कोई हानि कारित नहीं हुई। केवल परेशान करने के लिए यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
- परिवादी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि मृत मक्खी को नंगी आंखों से भी देखा जा सकता था, परंतु विपक्षी सं0 3 द्वारा असावधानी से इस पदार्थ का विक्रय किया है। तदनुसार क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है।
- पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने जन विश्लेषक लखनऊ द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट को विचार में लिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार उत्पादन में मृत मक्खी पायी गयी थी। अत: इसके आधार पर क्षतिपूर्ति का निर्देश देने का आदेश विधिसम्मत है, परंतु अंकन 50,000/-रू0 की राशि अत्यधिक उच्च दर से निर्धारित की गयी है। चूंकि परिवादी द्वारा पेय पदार्थ का उपभोग नहीं किया गया, इसलिए किसी प्रकार की शारीरिक क्षति कारित नहीं हुई है। अत: इस स्थिति में केवल पेय पदार्थ को क्रय करने की कीमत एवं अंकन 5,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पर्याप्त है। तदनुसार यह अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को केवल विक्रीत पेय पदार्थ की कीमत, जो परिवादी द्वारा अदा की गयी है तथा अंकन 5,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति देय होगी।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2