(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-324/2022
लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन ऑफ इंडिया
बनाम
रानू उम्र लगभग 30 साल, पुत्र श्री राज कुमार व अन्य
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आई0पी0एस0 चड्ढा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :18.12.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद सं0-268/2010, रानू बनाम कार्पोरेशन बैंक विजय लक्ष्मीनगर में विद्धान जिला आयोग, सीतापुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.02.2022 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री आई0पी0एस0 चड्ढा के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता मंच द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया है:-
- विपक्षी सं0 1 मृतक धर्मेन्द्र के बीमा के सन्दर्भ क्लेम दस्तावेज विपक्षी सं0 2 के कार्यालय में आदेश पारित होने के एक माह के अंदर में भेज दे जिसके आधार पर विपक्षी सं0 2 बीमित व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात जो बीमा की राशि मु0 2,00,000/-रू0 है उसकी अदायगी दिनांक 21.10.2019 से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत ब्याज सहित, आवेदक के पक्ष में करें। चूंकि विपक्षी सं0 1 के द्वारा सेवा में त्रुटि की गयी है जिसके कारण आवेदक को मानसिक क्षति पहुंची है इसलिए विपक्षी सं0 1 को यह आदेश दिया जाता है कि वह आवेदक को मु0 10,000 (रू0 दस हजार मात्र) मानसिक क्षति के लिए एवं मु0 10,000/- (रू0 दस हजार मात्र) वाद व्यय के रूप में अदा करें।‘’
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी के चचेरे भाई धर्मेन्द्र पुत्र विशुन दयाल ने विपक्षी बैंक में दिनांक 21.09.2019 को बचत खाता खुलवाया था, जिसमें 1,000/-रू0 जमा किये थे। उसी दिन प्रधानमंत्री जीवनी ज्योति योजना के तहत बैंक द्वारा फॉर्म भरवाया गया था तथा प्रीमियम की कटौती की सहमति मृतक से प्राप्त की गयी थी। प्रत्यर्थी/परिवादी को नॉमिनी रखा गया था। बैंक द्वारा मृतक के खाते से 258/-रू0 निकाले गये थे, परंतु यह पैसा बीमा कम्पनी को नहीं दिया गया न ही बीमा पॉलिसी बाण्ड दिया गया न ही कोई रसीद दी गयी। दिनांक 21.10.2019 को बीमाधारक की मृत्यु हो गयी। परिवादी द्वारा समस्त दस्तावेज बैंक को उपलब्ध करा दिये गये, लेकिन बैंक द्वारा कोई क्लेम नहीं दिया गया।
- बैंक का कथन है कि बीमाधारक द्वारा अपने बीमे का आवेदन पत्र व औपचारिकतायें दिनांक 03.10.2019 को पूर्ण की गयी, इसलिए बीमा अवधि 03.10.2019 से प्रारंभ हो सकी, जबकि बीमा अवधि 01 जून से प्रारंभ होकर 31 मई होती है, इसलिए कम अवधि के लिए कम प्रीमियम की राशि काटी गयी थी। जीवन ज्योति बीमा योजना के अंतर्गत दुर्घटना मृत्यु के अलावा अन्य कोई जोखिम का आवरण योजना में पंजीकृत होने के 45 दिन तक प्रभावी नहीं रहता इसलिए बीमाधारक की मृत्यु पर प्रत्यर्थी/परिवादी को कोई राशि देय नहीं है, इसलिए प्रत्यर्थी/परिवादी के पक्ष में कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं है।
- बीमा कम्पनी का कथन है कि दिनांक 03.10.2019 को प्रीमियम की राशि प्राप्त हुई थी, इसलिए बीमा कम्पनी का कोई उत्तरदायित्व नहीं है।
- जिला उपभोक्त मंच द्वारा साक्ष्य का विश्लेषण करने के पश्चात यह निष्कर्ष दिया गया है कि बैंक द्वारा त्रुटि कारित की गयी है और बीमाधारक के खाते से पर्याप्त राशि की कटौती नहीं की गयी इसलिए बीमाधारक की मृत्यु पर प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का लाभ प्राप्त नहीं हो सका, परंतु इस निष्कर्ष के बावजूद बीमा कम्पनी को धन अदा करने का आदेश पारित किया गया, जो अनुचित है। यथार्थ में क्षतिपूर्ति का आदेश केवल बैंक के विरूद्ध पारित किया जाना चाहिए था। अत: बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत की गयी अपील स्वीकार होने योग्य है तथा जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित आदेश इस प्रकार परिवर्तित होने योग्य है कि सेवा में कमी बैंक द्वारा कारित की गयी है, इसलिए बैंक ही बीमित राशि की क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी है न कि बीमा कम्पनी।
आदेश
बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि बीमाधारक की मृत्यु पर बीमित राशि की अदायगी के लिए बैंक उत्तरदायी है न कि बीमा कम्पनी।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)(सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 1