MOHD. MAJHAHAR KHAN filed a consumer case on 10 Feb 2015 against RANJEET SINGH ETC. in the Mahoba Consumer Court. The case no is 102/13 and the judgment uploaded on 27 Mar 2015.
समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-102/2013 उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य
मु0 मजहर खान पुत्र श्री मुईन खान निवासी-मुहल्ला–मकनियापुरा,महोबा कस्बा,परगना,तहसील व जिला-महोबा .......परिवादी
बनाम
1.श्री रंजीत सिंह,अध्यक्ष,एचीवर्स क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लि0बी-17 ग्राउण्ड फलोर मॉ कृपा टावर,विभूति खण्ड,आर0के0टिम्बर के पीछे,गोमती नगर,लख्नऊ उ0प्र0 ।
2.श्री सैयद अबरार अली,अत्तारी सदस्य बोर्ड आफ डायरेक्टर्स एचीवर्स क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लि0बी-17 ग्राउण्ड फलोर मॉ कृपा टावर,विभूति खण्ड,आर0के0टिम्बर के पीछे,गोमती नगर,लख्नऊ उ0प्र0 ।
3.श्री सैयद हनीफ पुत्र श्री अमजद अली निवासी-मुहल्ला-कत्तीपुरा,महोबा कस्बा-महोबा थाना,कस्बा,तहसील व जिला-महोबा एडवाईजर जिला-महोबा क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लि0बी-17 ग्राउण्ड फलोर मॉ कृपा टावर,विभूति खण्ड,आर0के0टिम्बर के पीछे,गोमती नगर,लख्नऊ उ0प्र0 ........विपक्षीगण
निर्णय
श्री बाबूलाल यादव,अध्यक्ष द्वारा उदधोषित
परिवादी मो0 मजहर खां ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षीगण श्री रंजीत सिंह,अध्यक्ष,एचीवर्स क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लि0बी-17 ग्राउण्ड फलोर मॉ कृपा टावर,विभूति खण्ड,आर0के0टिम्बर के पीछे,गोमती नगर,लखनऊ व दो अन्य बाबत दिलाये जाने बीमित धनराशि 1,00,000/-रू0 व अन्य अनुतोष प्रस्तुत किया है ।
संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि परिवादी मुहल्ला-मकनियापुरा,महोबा कस्बा व जिला-महोबा का निवासी है तथा एक शिक्षित बेरोजगार व्यक्ति है । परिवादी अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण करने हेतु विपक्षीगण 1 त 3 से जनपद-महोबा के कस्बा-चरखारी में नई ब्रांच खोलने व संचालन हेतु मैाखिक अनुबंध फरवरी,2013 में किया था और उसी के अनुपालन में परिवादी ने विपक्षीगण के पक्ष में 1,00,000/-रू0 बतौर जमानत धनराशि जमा करनी थी तथा कस्बा-चरखारी में कार्यालय स्थापित करने हेतु एवं उसके संचालन में आने वाले व्यय को विपक्षीगण 1 त 3 को वहन करना था,जिसके अनुपालन में विपक्षीगण द्वारा दिनांक: 25 फरवरी,2013 को कस्बा-चरखारी में कार्यालय खोला गया तथा कार्यालय में सभी प्रकार की व्यवस्था में की गई तथा परिवादी के मौखिक अनुबंध के अनुसार एच0डी0एफ0सी0 बैंक,महोबा की चेक सं0 0036882 के माध्यम से 1,00,000/-रू0 बतौर जमानत धनराशि विपक्षीगण 1 त 3 को दिया । तत्पश्चात विपक्षीगण ने परिवादी को व्यापार करने हेतु बेवसाइट की लागिन आई0डी0 व पासवर्ड भी दिया जिसके आधार पर परिवादी विपक्षीगण के निर्देशानुसार व्यापार करने लगा । विपक्षीगण 1 त 3 ने मानसून आफर के नाम पर 20,जून,2013 से 30,जून, 2031 तक एक स्कीम निकाली । इस स्कीम में विपक्षीगण ने ग्राहकों को रूपया दोगुना करने की निकाली । इसी क्रम में 02,जुलाई,2013 से 25,जुलाई,2013 तक रूपया जमा करने वाले ग्राहकों का धन 38 माह में दोगुना करने की बात कही । जबकि इसका कोई उल्लेख विपक्षीगण की बेवसाइट व ब्रोसर में नहीं था । इससे परिवादी को विश्वास हो गया कि विपक्षीगण उसे धोखा देने का उपक्रम कर रहा है । परिवादी ने इस संबंध में ई-मेल के माध्यम से संपर्क किया लेकिन वह उदासीन रहे और परिवादी ने कोई ई-मेल पर उत्तर नहीं दिया तथा विपक्षीगण द्वारा
परिवादी के साथ अनुबंध भी नहीं किया गया और अंतत: उन्होंने दिनांक:24.08.2013 को अपनी बेवसाइट का लागिन एण्ड पासवर्ड भी बंद कर दिया गया । विपक्षीगण द्वारा ऐसा कार्य किये जाने से परिवादी की सामाजिक छवि खराब हो गई है । परिवादी ने विपक्षीगण से बराबर कार्यालय व्यय हेतु लिखित व मौखिक अनुरोध किया गया लेकिन वह कोई न कोई बहाना बनाकर टालते रहे थें । ऐसी परिस्थितियों में परिवादी ने जरिये अधिवक्ता श्री प्रवेन्द्र सिंह चौहान विपक्षीगण को नोटिस दिया लेकिन इसका उनके द्वारा कोई जबाब नहीं दिया गया । ऐसी परिस्थिति में विपक्षीगण द्वारा की गई सेवा में त्रुटि एवं व्यापारिक कदाचरण के आधार पर यह परिवाद प्रस्तुत किया गया ।
विपक्षीगण की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत किया गया है,जिसमें उन्होनें परिवादी के अभिकथनों से इंकार किया तथा अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि एक प्रतिष्ठित एवं भारत सरकार द्वारा लाईसेंस प्राप्त एचीवर्स क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लि0 के क्रमश: अध्यक्ष एवं सदस्य है । उक्त सोसायटी का कार्य क्षेत्र संपूर्ण उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश है । परिवादी भी उक्त सोसायटी का सदस्य है । परिवादी ने जनरल बांड योजना में एक लाख रूपये का निवेश किया था । इस योजना में 66 माह में धन दोगुना हो जाता है । इस बांद में यह भी शर्त है कि जमा धनराशि में दो वर्षों तक कोई धनराशि भुगतान नहीं हो सकती तथा दो वर्ष बाद यदि निवेशक चाहे तो अपना धन 7.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से वापस प्राप्त कर सकता है तथा एक वर्ष बाद 70 प्रतिशत ऋण भी प्राप्त कर सकता है । सोसायटी की कार्य प्रणाली व पारदर्शिता से प्रभावित होकर कस्बा-चरखारी में सोसाइटी की ब्रांच खोलने हेतु विपक्षीगण से मौखिक बातचीत की थी तथा उपरोक्त शाखा कार्यालय खोलने हेतु धरोहर राशि मु0 1,00,000/-रू0 जमा नहीं की । इस कारण परिवादी के साथ कोई अनुबंध नहीं किया जा सका । परिवादी को लिखित नोटिस के माध्यम से बुलाया गया लेकिन वह विपक्षीगण के पास नहीं आया,जिससे स्पष्ट है कि उसके द्वारा परिवाद में कहे गये अभिकथन असत्य है और उन्होंने परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की है ।
परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र कागज सं04ग/1 व 4ग/2 प्रस्तुत किया है तथा अभिलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज सं06ग सूची के साथ 11 अभिलेख तथा 23 ग सूची के साथ 07 अभिलेख दाखिल किये हैं ।
विपक्षीगण की ओर से अपने जबाबदावा के समर्थन में शपथ-पत्र कागज सं0 31ग दाखिल किया । विपक्षीगण की ओर से कोई अभिलेखीय साक्ष्य दाखिल नहीं की गई ।
दौरान बहस विपक्षीगण की और से कोई उपस्थित नहीं आया । अंत: मात्र परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी एवं परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने लिखित बहस दाखिल की गई जो कि कागज सं0 36ग/1 लगायत 36ग/4 है ।
फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गई तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया । परिवादी द्वारा दाखिल अभिलेख कागज सं0 9ग से स्पष्ट है कि ने विपक्षीगण एचीवर्स क्रेडिट कोआपरेटिव सोसायटी के पक्ष में एक लाख रूपया का चेक बतौर जमानत धनराशि जमा किया था । इसके अलावा परिवादी द्वारा दाखिल अभिलेखीय साक्ष्य कागज सं0 7ग लगायत 15ग व 24ग/1 लगायत 28ग/3 के अवलोकन से परिवादी की और से परिवाद पत्र में कहे गये अभिकथनों की पूर्णत: पुष्टि होती है । ऐसी परिस्थिति में परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है ।
आदेश
परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है । विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसके द्वारा जमानत में जमा की गई धनराशि एक लाख रूपये मय 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज एवं शाखा कार्यालय खोलने बनाने एवं संचालन में आये व्यय मु050,000/-रू0 की धनराशि अंदर एक माह परिवादी को प्राप्त कराये । इसके अलावा परिवादी विपक्षीगण से 5,000/-रू0 मानसिक कष्ट के एवज में एवं 2,500/-रू0 वाद व्यय के एवज में भी प्राप्त करने का हकदार होगा ।
(डा0सिद्धेश्वर अवस्थी) (श्रीमती नीला मिश्रा) (बाबूलाल यादव)
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
11.03.2015 11.03.2015 11.03.2015
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