Uttar Pradesh

StateCommission

A/1128/2015

Uppcl - Complainant(s)

Versus

Ramswroop - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

22 Nov 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1128/2015
(Arisen out of Order Dated 02/01/2015 in Case No. C/76/2014 of District Auraiya)
 
1. Uppcl
Auraiya
...........Appellant(s)
Versus
1. Ramswroop
Auraiya
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 22 Nov 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-1128/2015

                                              (मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, औरैया द्वारा परिवाद संख्‍या 76/2014 में पारित आदेश दिनांक 02.01.2015 के विरूद्ध)

Dakshidanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. through Adhishasi Abhiyanta, Vidyut Vitran Khand, Auriyya.

                             ...................अपीलार्थी/विपक्षी सं03

बनाम

1. Ram Swaroop son of Raghunath, R/o Village Bhatpura,      

   Post Dakhlipur, Pargana & District Auriyya.

2. State  of  U.P.  through  Collector   Auriyya,   District        

   Auriyya.

3. Sangrah  Amin  Sambaddh  Kshetra  Bhatpura,   Post         

   Dakhlipur, Pargana & District Auriyya through Tehsildar      

   Auriyya.                                                                   

            .................प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी एवं विपक्षीगण सं01 व 2

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा,                  

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री राम गोपाल,

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण सं02 व 3 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

 

दिनांक: 22-11-2017         

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-76/2014 रामस्‍वरूप बनाम उत्‍तर प्रदेश राज्‍य व दो अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, औरैया द्वारा पारित निर्णय और आदेश  दिनांक  02.01.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

 

 

-2-

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद विपक्षी सं0 तीन के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से स्‍वीकार किया जाता है। प्रश्‍नगत बिल मुबलिग 55480 रू0 विधि विरूद्ध घोषित किया जाता है। विपक्षी सं0 तीन को आदेशित किया जाता है कि यह धनराशि परिवादी से न तो स्‍वयं बसूले और न किसी अन्‍य माध्‍यम से बसूली करायें। तथा विधिवत विद्युत आपूर्ति परिवादी को देने के बाद ही नियमनुसार विद्युत बिल बसूले। तथा 2000 रू0 मानसिक कष्‍ट और 1000 रू0 खर्चा मुकदमा भविष्‍य के बिलो में समायोजित करें।''

जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा और प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री राम गोपाल उपस्थित आए हैं। प्रत्‍यर्थीगण संख्‍या-2 और 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।

मैंने अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से पारित किया है। अपीलार्थी जिला फोरम के समक्ष अपना कथन व साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं कर सका है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश त्रुटिपूर्ण है और सत्‍यता से परे है।

प्रत्‍यर्थी सं01/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी जिला फोरम के समक्ष नोटिस तामीला के बाद भी उपस्थित नहीं हुआ है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से

 

 

-3-

कार्यवाही कर कोई त्रुटि नहीं की है।

प्रत्‍यर्थी सं01/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश उचित और साक्ष्‍य के अनुकूल है।

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश से यह स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं03 नोटिस तामीला के बाद भी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी सं03 के विरूद्ध जिला फोरम ने परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से करते हुए आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है। अपीलार्थी/विपक्षी सं03 ने जिला फोरम के समक्ष अपना लिखित कथन और साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया है, जिससे जिला फोरम ने उसके कथन पर विचार नहीं किया है। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं03 को जिला फोरम के समक्ष अपना कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर दिया जाए, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी सं03 के जिला फोरम के समक्ष उपस्थित न होने के कारण जो परिवाद के निस्‍तारण में विलम्‍ब हो रहा है उसकी क्षतिपूर्ति हेतु अपीलार्थी/विपक्षी सं03 से    प्रत्‍यर्थी सं01/परिवादी को 1000/-रू0 हर्जा दिलाया जाना न्‍यायहित में आवश्‍यक है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षी सं03 द्वारा प्रत्‍यर्थी सं01/परिवादी को 1000/-रू0 हर्जा अदा करने पर अपास्‍त किया जाता है तथा पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि वह अपीलार्थी/विपक्षी सं03 को इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन के अन्‍दर लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर प्रदान करें और उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: निर्णय विधि के अनुसार यथाशीघ्र तीन माह के अन्‍दर पारित करें।

 

 

 

-4-

अपीलार्थी/विपक्षी सं03 को  लिखित  कथन  प्रस्‍तुत  करने  हेतु उपरोक्‍त समय के अलावा और कोई समय प्रदान नहीं किया जाएगा।

उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 28.12.2017 को उपस्थित हों।

अपीलार्थी द्वारा धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत जमा धनराशि व उस पर अर्जित ब्‍याज से 1000/-रू0 हर्जे की उपरोक्‍त धनराशि का भुगतान प्रत्‍यर्थी सं01/परिवादी को किया जाएगा और उसके बाद शेष धनराशि अपीलार्थी को वापस कर दी जाएगी।  

 

 

     

                    (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           

                         अध्‍यक्ष            

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1    

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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