Uttar Pradesh

StateCommission

RP/35/2017

Dakshinachal Vidyut Vitran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Ramprakash Sahu - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

21 Oct 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Revision Petition No. RP/35/2017
( Date of Filing : 20 Feb 2017 )
(Arisen out of Order Dated 09/08/2016 in Case No. C320/2016 of District Jhansi)
 
1. Dakshinachal Vidyut Vitran Nigam Ltd
Vidyut Vitaran Khand Pratham Sukwan Dukwan Colony Civil Lines Jhansi
...........Appellant(s)
Versus
1. Ramprakash Sahu
S/O Sri Ayodhya Prasad R/O Shop No. 12 Nehru Markest Opoposite Damru Cinema Jhansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Oct 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

पुनरीक्षण संख्‍या-35/2017

अधिशासी अभियंता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0, विद्युत

वितरण खंड प्रथम सुकवन-दुकवन कालोनी, सिविल लाइन्‍स, झांसी।

                                         .....पुनरीक्षणकर्ता@विपक्षी

बनाम

राम प्रकाश साहू पुत्र श्री अयोध्‍या प्रसाद, निवासी शाप नं0 12

नेहरू मार्केट, अपोजिट डमरू सिनेमा, झांसी।        .....प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा के सहयोगी श्री

                              मनोज कुमार, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित     : श्री आलोक सिन्‍हा, विद्वान

                             अधिवक्‍ता।

दिनांक 25.10.2021

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 320/2016 दि. 09.08.2016 को प्रस्‍तुत किया गया। इस तिथि को जिला उपभोक्‍ता मंच झांसी द्वारा निम्‍नलिखित अंतरिम आदेश पारित किया गया:-

      प्रार्थना पत्र सं0 6 अंतर्गत धारा 13 बी0 सी0 पी0 ए0 पर आपत्ति/निस्‍तारण हेतु पत्रावली दि. 23.09.2016 को पेश हो तब तक विपक्षी को वादी से मु0 93610/- की वसूली करने एवं वादी का विद्युत संयोजन सं0 1510/61706 को विच्‍छेदित करने से निषेधित किया जाता है। विपक्षी वादी से विवादित धनराशि मु0 93610/- की धनराशि छोड़कर प्रत्‍येक माह के मीटर रीडिंग अनुसार करेण्‍ट बिलों का जमा करायें तथा विवादित धनराशि कुल मु0 93610/- को आगामी बिलों में न जोड़ें, वादी पैरवी तीन दिन में करें।

-2-

2.   इस आदेश को प्रस्‍तुत पुनरीक्षण आवेदन के माध्‍यम से इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह आदेश अवैध, अनुचित तथा मनमाना है, मस्तिष्‍क के प्रयोग के बिना पारित किया गया है। विद्युत अधिनियम के प्रावधानों का अवलोकन नहीं किया गया। प्रकरण चोरी से संबंधित है, वह विद्युत चोरी करते हुए पाया गया। मीटर को टैम्‍पर किया गया था, इसलिए केवल परिवाद में वर्णित तथ्‍यों के आधार पर प्रश्‍नगत आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए था।

3.   दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं को सुना। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा 13 के अंतर्गत अंतरिम आदेश पारित किए जाने की व्‍यवस्‍था है। जिला उपभोक्‍ता मंच ने परिवाद के निस्‍तारण तक विद्युत कनेक्‍शन विच्‍छेदित न करने का आदेश पारित किया है। इस आदेश में किसी प्रकार की अवैधानिकता नहीं है। यदि परिवाद के निस्‍तारण के दौरान विद्युत कनेक्‍शन विच्‍छेदित कर दिया जाता है तब परिवाद प्रस्‍तुत करने का उद्देश्‍य ही विफल हो जाएगा। इसी प्रकार भविष्‍य में उपयोग होने वाली विद्युत राशि के बिल जारी करने और वसूल करने का आदेश दिया गया है, केवल विवादित बिल की वसूली दिनांक 23.09.2016 तक रोकी गई है। इस तिथि को आपत्ति प्रस्‍तुत करते हुए आवेदन 6(सी) यानी अंतरिम आदेश का अंतिम रूप से निस्‍तारण किया जाएगा, अत: स्‍पष्‍ट है कि पुनरीक्षणकर्ता के लिए आवश्‍यक था कि पुनरीक्षण आवेदन प्रस्‍तुत करने के बजाय आवेदन 6(सी) पर नियत तिथि दिनांक 23.09.2016 को आपत्ति प्रस्‍तुत की जाती और इस आवेदन का निस्‍तारण गुणदोष पर कराया जाता। उपरोक्‍त वर्णित आदेश में किसी प्रकार की अवैधानिकता नहीं है।

 

-3-

4.   पुनरीक्षणकर्ता की ओर से नजीर पूरन सिंह बनाम अजमेर विद्युत वितरण निगम लि0 2 (2015) सीपीजे 465 (एनसी) प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें व्‍यवस्‍था दी गई है कि विद्युत मीटर से छेड़छाड के कारण की गई कार्यवाही के संबंध में उपभोक्‍ता अधिनियम के अंतर्गत परिवाद संधारणीय नहीं है अंतरिम आवेदन 6(सी) के विरूद्ध आपत्ति प्रस्‍तुत करते समय इस नजीर में दी गई विधि व्‍यवस्‍था का हवाला दिया जा सकता है। इस अवसर पर यह निष्‍कर्ष नहीं दिया जा सकता कि प्रश्‍नगत प्रकरण विद्युत चोरी से संबंधित है या नहीं। पुनरीक्षण आवेदन खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

     पुनरीक्षण खारिज किया जाता है।

     उभय पक्ष अपना-अपना पुनरीक्षण व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की

 वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

          

       (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य

 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

        (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                  सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-2

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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