जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
सुश्री वीना वर्मा पुत्री स्व. श्री भगवान दास वर्मा, मकान नं. 30/1685, भैरू जी के पास, नगरा, अजमेर ।
- प्रार्थीया
बनाम
श्री रामजी लाल ठेकेदार, रामलीला का बाडा, नसीराबाद रोड, नगरा, अजमेर ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 39/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी व श्री नवनीत तिवारी
अधिवक्तागण, प्रार्थीया
2.श्री पुष्पेन्द्र मिश्रा, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 12.04.2016
1. प्रार्थीया ( जो इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्ता कहलाएगा) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि उसने अप्रार्थी से एक लिखित इकरारनामा दिनांक 14.5.2013 को किया । जिसके तहत अप्रार्थी से उसने परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णितानुसार निर्माण कार्य करवाया जिसकी राषि रू. 3,80,000/- माल मटेरियल सहित अदा की । किन्तु अप्रार्थी ने हुए इकरारनामे के अनुसार उच्च क्वालिटी की सामग्री का निर्माण कार्य में उपयोग न लेते हुए घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया जिसके कारण नवनिर्मित निर्माण कार्य के साथ साथ मकान की द्वितीय मंजिल की दीवारों में जगह जगह क्रेक व दरारें आ गई । उपभोक्ता ने अप्रार्थी द्वारा किए गए निर्माण कार्य का दक्ष आर्चिटेक्चरल वक्र्स, अजमेर से दिनांक 10.1.2014 को निरीक्षण करवाया जिसने निर्माण कार्य को सुधारने व नया निर्माण कार्य करने में रू. 2,10,000/- का अतिरिक्त खर्चा आना बताया । इस निरीक्षण के बाद उसने अधिवक्ता के माध्यम से दिनंाक 7.1.2014 को नोटिस देते हुए रू. 2,10,000 क्षतिपूर्ति राषि व हजार्ना राषि रू. 10,000/- की मांग अप्रार्थी से की । किन्तु उक्त नोटिस लेने से इन्कारी के साथ वापस प्राप्त हो गया । उपभोक्ता ने परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की मांग की, तथा परिवाद के समर्थन में उपभोक्ता ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया ।
2. अप्रार्थी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए कथन किया है कि उसने उपभोक्ता के निवास स्थान पर दिनंाक 14.5.2013को परिवाद में वर्णितानुसार कोई निर्माण कार्य नहीं किया बल्कि उपभोक्ता के करीब 50-60 साल पुराने मकान में आज से 6-7 साल पहले हो रही टूट फुट के कारण पुराना प्लास्टर तोडकर नया प्लास्टर उपभोक्ता द्वारा निर्माण सामग्री उपलब्ध कराते हुए प्रतिदिन मजदूरी पर कार्य किया गया था । अप्रार्थी ने कोई रू. 3,80,000/-की राषि प्राप्त नहीं की । उसे हैरान परेषान करने की नीयत से यह परिवाद पेष किया है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।
3. उपभोक्ता के विद्वान अधिवक्ता ने पुरजोर दलीलों में तर्क प्रस्तुत किया है कि अप्राथर््ी ने दिनांक 14.5.2013 को हाॅल के निर्माण कार्य बाबत् अप्रार्थी को माल मटेरियल सहित रू. 3,80,000/- दिए गए थे । उक्त निर्माण कार्य करने से पूर्व एक लिखित करार किया था एवं अप्रार्थी ने भरोसा दिलाया था कि निर्माण उच्च क्वाॅलिटी का होगा एवं उच्च क्वालिटी की सामग्री का उपयोग किया जाएगा । किन्तु अप्रार्थी ने जो निर्माण कार्य किया उसमें न केवल लापरवाही बरती बल्कि घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया , व इस कारण नव निर्मित हाल में, व मकान की द्वितीय मंजिल की दीवारों में जगह जगह क्रेक व बडी बडी दरारें आ गई । इस बाबत् अप्रार्थी द्वारा किए गए निर्माण कार्य के संबंध में दक्ष आर्चिटेक्चरल वक्र्स, अजमेर से निरीक्षण भी करवाया जिसमें अप्रार्थी द्वारा किए गए निर्माण कार्य में लापरवाही बताई व काम में ली गई निर्माण सामग्री को घटिया किस्म की होना बताया । अप्रार्थी ने जो घटिया निर्माण कार्य किया उसे सुधारने व अन्य निर्माण कार्य करने में रू. 2,10,000/- का खर्चा बताया । अप्रार्थी ने निर्माण कार्य में लापरवाही कर घटिया सामग्री का उपयोग कर सेवा में कमी की है, जिसके लिए वह जिम्मेदार है । उपभोक्ता गहन मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में वांछित अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी है ।
4. अप्रार्थी ने उपरोक्त तर्को का खण्डन किया व परिवाद का तथ्यात्मक खण्डन करते हुए किसी हाॅल का निर्माण किए जाने से इन्कार किया व 6-7 साल पूर्व उपभोक्ता के निर्मित मकान में टूट फूट व झड रहे प्लास्टर को हटाकर पुनः नया प्लास्टर करना बताया । उक्त कार्य करने के लिए कोई माल मटैरियल सहित ठेका नहीं दिया जाना बताया व रू. 3,80,000/- प्राप्त करने से इन्कार किया । उपभोक्ता द्वारा सीमेन्ट व बजरी , पानी की व्यवस्था स्वयं करना बताया । अन्य सभी तथ्यों से इन्कार करते हुए उपभोक्ता को किसी प्रकदान के अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारणाी होने से इन्कार किया ।
5. हमने परस्पर तर्क सुने तथा पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री का अवलोकन किया ।
6. उपभोक्ता ने अपना परिवाद किसी लिखित इकरारनामें को आधार बतलाते हुए प्रस्तुत किया है । उसने अप्रार्थी से हाॅल का निर्माण करना भी बताया । निर्माण कार्य में रिपेयर सामग्री का उपयेाग करना भी बताया । अप्रार्थी द्वारा किए गए निर्माण कार्य के संबंध में किसी दक्ष आर्चिटेक्चरल वक्र्स, अजमेर से रिपोर्ट प्राप्त करना भी बताया । पत्रावली में जो इस संबंध में निर्माण कार्य बाबत् अभिलेख उपलब्ध है, में निर्माण कार्य के संदर्भ में क्रमबद्व उल्लेख किया गया है । यह निर्माण कार्य किस प्रकार का होगा, इसका भी संक्षिप्त उल्लेख है । क्या यह अभिलेख किसी प्रकार के इकरारनामंे की परिभाषा में आता है ? क्या इस अभिलेख के माध्यम से उभय पक्षकारों के मध्य किसी प्रकार का कोई इकरार किसी निष्चित अवधि के लिए किया गया है ? क्या इसके माध्यम से उपभोक्ता ने अप्रार्थी को किसी प्रकार का कोई भुगतान किया ? क्या अप्रार्थी ने उपभोक्ता के निर्देषों के अनुसार निर्माण कार्य किया ? क्या अप्रार्थी ने किए गए कार्य के पेटे कोई मेहनताना राषि प्रापत की ? क्या किया गया कार्य गुणवत्ता की कसौटी में खरा था ? क्या दक्ष आर्चिटेक्चरल वक्र्स, अजमेर की रिपोर्ट पर किसी प्रकार की कोई उपधारणा कायम की जा सकती है ? ये सभी प्रष्न अत्यन्त जटिल व साक्ष्य के अभाव में तय किए जाने काबिल नहीं है । इन हालात में यह परिवाद इन जटिल प्रष्नों की उपस्थिति को देखते हुए इस मंच को यह परिवाद सुनने का ़क्षेत्राधिकार नहीं है । अतः उपभोक्ता का परिवाद इस स्तर पर खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
7. परिणामस्वरूप उपभोक्ता का परिवाद इस स्तर पर खारिज किया जाता है । उपभोक्ता अन्य सक्षम न्यायालय/फोरम में चाराजोही करने के लिए स्वतन्त्र है ।
आदेष दिनांक 12.4.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष