राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या- 791/2015
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम,महराजगंज द्वारा परिवाद संख्या-87/2014 में पारित आदेश दिनांक 23.03.2015 के विरूद्ध)
- Adhishashi Abhiyanta Poorvanchal, Vidyut Vitran Nigam Limited, Vidyut Vitran Khand Maharajganj.
- Avar Abhiyanta, Vidyut Vitran-II Khand, Anand Nagar, Post Anand Nagar, District Maharajganj.
..............अपीलार्थीगण/परिवादीगण
बनाम
Ramjeet son of Mohit Prasad resident of Village Nirman Pashchimi Tola, Ghontwa Post Dadwar, Anand Nagar Tehsil Farenda, District Maharajganj.
..........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा।
विद्वान अधिवक्ता ।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री रवि कुमार रावत।
विद्वान अधिवक्ता ।
दिनांक: 01-01-2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 87/2014 रामजीत बनाम अधिशासी अभियन्ता पूर्वान्चल विद्युत वितरण निगम लि0 व एक अन्य में जिला फोरम महराजगंज द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 23.03.2015 विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकृत किया जाता है एवं दिनांक 23.06.2009 के बाद परिवादी द्वारा तथा-कथित विद्युत उपभोग से सम्बन्धित समस्त विद्युत बिल निरस्त किये जाते हैं। विपक्षीगण को यह भी निर्देशित किया जाता है कि वे दि0 23.06.2009 से पूर्व परिवादी द्वारा उपभोग की गयी विद्युत का सही सरचार्ज रहित बिल बनाकर एक माह के अंदर परिवादी को उपलब्ध करावे जिससे वह उसका भुगतान कर सके। यह मंच उ0 प्र0 शासन से अपेक्षा करता है कि परिवादी का विद्युत कनेक्शन जोड़वाकर उसकी अविरत विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करावे और विकल्प में विपक्षीगण से यह अपेक्षा की जाती है कि तीन माह के अंदर औपचारिकताओं की पूर्ति करवाकर परिवादी का विद्युत कनेक्शन दिन0 23.06.2009 से स्थायी रूप से विच्छेदित करवाना सुनिश्चित करें। इस संबंध में परिवादी को हुए मानसिक कष्ट एवं दौड़ धूप के मद में बिपक्षीगण मु0 20,000/- रू0 क्षतिपूर्ति के मद में तथा मु0 3,000/- रू0 बाद ब्यय के मद में उपरोक्त एक माह की अवधि के अंदर ही अदा करेंगे। नियत अवधि में आदेश का अनुपालन न होने की स्थिति में उपरोक्त ब्याज भी देय होगा। इस आदेश की एक-एक प्रति बिपक्षीगण को तथा (1) जिलाधिकारी महराजगंज (2) पुलिस अधीक्षक महराजगंज एवं (3) मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु परिवादी के खर्चे पर प्रेषित की जाए"।
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षीगण अधिशासी अभियन्ता पूर्वान्चल विद्युत वितरण निगम लि0 व एक अन्य ने प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री रवि कुमार रावत उपस्थित हुए है।
मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने विभागीय शुल्क जमाकर विपक्षी संख्या-02 अवर अभियन्ता विद्युत वितरण द्धितीय खण्ड आनन्द नगर से घरेलू विद्युत कनेक्शन नम्बर 502037, बुक संख्या 3547 लिया और विद्युत प्रयोग घरेलू कार्यों हेतु शुरू किया तथा विद्युत बिल का भुगतान करता रहा। इस बीच उसके गांव के निवासी मोती यादव, सुरेश यादव व बेचन यादव ने दिनांक 23.06.2009 को उसकी बिजली की केबिल को काटकर फेंक दिया जिससे उसके कनेक्शन की विद्युत सप्लाई बन्द हो गयी। उसने अपने स्तर पर केबिल जुड़वाने का प्रयास किया परन्तु उन लोगों ने केबिल जोड़ने नहीं दिया। तब उसने दिनांक 21.07.2007 को तहसील दिवस पर शिकायती प्रार्थना पत्र देकर केबिल जुड़वाने हेतु निवेदन किया परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी। तब दिनांक 27.07.2009 को उसने एक प्रार्थना पत्र अवर अभियन्ता अभियन्ता को दिया जिसपर अवर अभियन्ता आनन्द नगर ने थानाध्यक्ष फरेन्दा को अपने स्तर से उचित कार्यवाही करने हेतु आदेशित किया परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुयी।
परिवादपत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी की माता ने दिनांक 04.05.2010, दिनांक 30.06.2010 एवं दिनांक 14.12.2010 को जिलाधिकारी महराजगंज को प्रार्थनापत्र दिया और जिलाधिकारी द्वारा विपक्षी संख्या-01 को आदेशित किया गया। फिर भी प्रत्यर्थी/परिवादी का कनेक्शन जोड़ने हेतु कोई कार्यवाही नहीं की गयी। प्रत्यर्थी/परिवादी की माता ने आयुक्त गोरखपुर को भी प्रार्थना पत्र दिया परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुयी। अत: विवश होकर प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है और उनके विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है।
जिला फोरम ने परिवाद पत्र के कथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत आक्षेपित निर्णय और आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश एकपक्षीय है और अपीलार्थी/विपक्षीगण को सुनवाई का अवसर दिये बिना पारित किया गया है। अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि परिवाद पत्र के कथन से ही यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का केबिल उसके गांव के मोती यादव, सुरेश यादव और बेचन यादव ने काटा है और अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी का आवेदन पत्र थानाध्यक्ष फरेन्दा को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित किया गया है। अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी की विद्युत आपूर्ति में कोई अवरोध नहीं उत्पन्न किया गया है और कोई सेवा में त्रुटि नहीं की गयी है। परिवादपत्र में कथित मोती यादव, सुरेश यादव और बेचन यादव पर अपीलार्थी/विपक्षीगण का कोई नियंत्रण नहीं है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध जो निर्णय और आदेश पारित किया है वह विधि विरूद्ध है और अपास्त किये जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि गांव के मोती यादव, सुरेश यादव और बेचन यादव द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी की केबिल काटे जाने पर अपीलार्थी/विपक्षीगण का यह विधिक दायित्व होता है कि वह केबिल को जुड़वाये परन्तु उन्होंने अपने विधिक दायित्व का निर्वहन नहीं किया है जो सेवा में त्रुटि है। अत: जिला फोरम ने जो अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध निर्णय और आदेश पारित किया है वह साक्ष्य और विधि के अनुकूल है और उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नेशनल इं0कं0लि0 बनाम हिन्दुसतान सेफ्टी ग्लास वर्क्स लि0 के वाद में दिये गये निर्णय जो II(2017) CPJ 1(SC) में प्रकाशित है, सन्दर्भित किया है।
मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है। निर्विवाद रूप से आक्षेपित निर्णय और आदेश जिला फोरम ने एकपक्षीय रूप से अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध पारित किया है। जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण उपस्थित नहीं हुये है और लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया है। परिवाद पत्र के कथन से यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का विद्युत कनेक्शन का केबिल प्रत्यर्थी/परिवादी के गांव के मोती यादव, सुरेश यादव व बेचन यादव जो काफी मनबढ़ और बदमाश किस्म के व्यक्ति है द्वारा काटकर फेंक दिया गया है। परिवाद पत्र के कथन से यह भी स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा शिकायत किये जाने पर अपीलार्थी/विपक्षीगण के अवर अभियन्ता ने सम्बन्धित थानाध्यक्ष को अपने स्तर से उचित कार्यवाही करने हेतु आदेशित किया है। थानाध्यक्ष द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी का केबिल क्यों नहीं जुडवाया जा सका है यह स्पष्ट नहीं है। सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थतियों पर विचार करते हुये मैं इस मत का हूं कि अपीलार्थी/विपक्षीगण को अपना कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाना और उसके बाद उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर जिला फोरम द्वारा पुन: निर्णय पारित किया जाना उचित और प्रभावी निर्णय हेतु आवश्यक है।
अपीलार्थी/विपक्षीगण जिला फोरम के समक्ष नोटिस तामीला के बाद भी उपस्थित नहीं हुये है। अत: उनके जिला फोरम के समक्ष उपस्थित न होने के कारण परिवाद के निस्तारण में जो विलम्ब हो रहा है उसके लिये 5,000/-रू0 हर्जा दिलाया जाना उचित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को 5,000/-रू0 हर्जा अदा करने पर अपास्त किया जाता है तथा पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम अपीलार्थी/विपक्षीगण को इस निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्दर लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर दे और उसके बाद उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार निर्णय 3 मास के अंदर पारित करे।
उभयपक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 15.02.2018 को उपस्थित हो।
अपीलार्थी/विपक्षीगण को लिखित कथन हेतु उपरोक्त 30 दिन के समय के बाद कोई और समय प्रदान नहीं किया जाएगा। उभयपक्ष अपील में अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि एवं उस पर अर्जित ब्याज से हर्जे की धनराशि 5,000/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा की जाएगी और शेष धनराशि अपीलार्थी/विपक्षीगण को वापिस की जाएगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
सुधांशु श्रीवास्तव, आशु0
कोर्ट नं0-1