Rajasthan

Tonk

cc/255/2012

aashish kumar - Complainant(s)

Versus

ramgi digital - Opp.Party(s)

labhchand saini

24 Feb 2015

ORDER

    
आशीष कुमार गोत्तम 
बनाम 
रामजी डिजिटल फाॅटो स्टूडियों, डिग्गी (जिला टोंक) जरिये प्रो0 रामजी गुर्जर 
परिवाद संख्या 255/2012
    
24.02.2015

 

 


        दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
    परिवादी ने विपक्षी का संक्षेप में यह सेवादोष बताया है कि उसके भाई के विवाह समारोह के सभी कार्यक्रमों की फोटोग्राफी एवं विडियोग्राफी की बुकिंग 11,000/- रूपये में 40 सीट का करिजमा एलबम एवं 4 डीवीडी तैयार करने हेतु विपक्षी नें की थी जिसकी साई पेटे दिनांक 04.12.2011 को 500/- रूपयें एवं दिनांक 05.12.2011 को 5,000/- दिये गये। 15 दिवस पश्चात फोटो सलेक्ट करने पर विपक्षी द्वारा अधिक फोटो हो जाने के कारण दो एलबम व एक डीवीडी और बनाने का अतिरिक्त खर्चा 4,500/- रूपये बताया जिसके पेटे 2,500/- और दिये गये। बाकी राशि काम पूरा होने पर दिया जाना तय किया गया। काफी समय तक बार-बार मांगने पर भी विपक्षी नें फोटो एलबम/डीवीडी नही दी। दिनांक 16.05.2012 को विपक्षी नें अपनी दुकान पर उनसे दुव्र्यवहार किया तथा फोटो एलबम/डीवीडी तैयार करके नही दी। दिनांक 19.05.2012 को विपक्षी को अधिवक्ता के जरिये रजिस्टर्ड नोटिस भेजा गया जिसे प्राप्त होने के बावजूद भी फोटो एलबम/डीवीडी आदि नही दी। जिससे उसे काफी मानसिक अघात के साथ-साथ शारीरिक तकलीफ हुई है। 
    विपक्षी के जवाब का सार है कि परिवादी नें विवाह समारोह के कार्यक्रमों की वरपक्ष एवं वधुपक्ष दोनों के लिए फोटोग्राफी/विडियोग्राफी करने का अनुबंध किया था जिसमें वरपक्ष के लिए 4 डीवीडी 1 एलबम करिजमा 40 सीट 375 फोटो बाबत 11,000/- रूपयें व वधुपक्ष के लिए 1 डीवीडी 1 एलबम 200 फोटो बाबत 4,500/- रूपये देना तय किया था। अनुबंध के अनुसार दोनों पक्षों की फोटो/एलबम/डीवीडी समस्त विपक्षी से प्राप्त कर लिए लेकिन पूरी रकम नही दी परिवादी पर 7,000/- रूपये की रकम बकाया है जिसकी अदायगी बार-बार मांगने पर भी नही की गई तथा वह राशि हडपने के लिए ही झूंठा परिवाद पेश किया गया है नोटिस भी गलत दिया गया है उसकी ओर से सेवा में कोई कमी नही की गई। 
    परिवादी ने साक्ष्य में अपनें शपथ-पत्र के अलावा सत्यनाराण चैधरी एवं चन्द्रशेखर सैनी के शपथ-पत्र, बुकिंग की लिखतम, विपक्षी को प्रेषित रजिस्टर्ड नोटिस व प्राप्ति रसीद आदि दस्तावेज प्रस्तुत किए गये है। विपक्षी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा कालू पुत्र नाथु लाल का शपथ-पत्र, बुकिंग के दस्तावेज व वरपक्ष एवं वधुपक्ष के फोटो/डीवीडी भी पैश किये है। 
    हमने विचार किया।
    हमने दोनों पक्षों को सुना । 
    इस बारे में विवाद नही है कि विपक्षी नें परिवादी के विवाह समारोह के सभी कार्यक्रमों के लिए फोटोग्राफी व विडियोग्राफी का कार्य करने की बुकिंग की थी। जहां विपक्षी का कहना है कि यह अनुबंध वरपक्ष व वधुपक्ष दोनों के लिए किया गया था जिसके पेटे कुल 15,500/- रूपयें देना तय किया था वहीं परिवादी का केस है कि केवल वरपक्ष के लिए ही 11,000/- रूपये में कार्य हेतु अनुबंध हुआ था लेकिन परिवाद में यह भी अंकित किया गया कि फोटो सलेक्ट करने पर अधिक फोटो हो जाने के कारण 4,500/- रूपयें अतिरिक्त दो एलबम व एक डीवीडी के लिए तय हुए थे। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि फोटोग्राफी व विडियोग्राफी का कुल कार्य दोनों पक्षों के अनुसार 15,500/- रूपयें में तय हुआ था। विपक्षी द्वारा यह भी स्वीकार किया गया है कि तयशुदा राशि में से कुछ राशि ही अदा की गई है। 
    विपक्षी का यह भी केस है कि अनुबंध के अनुसार समस्त फोटो, एलबम एवं डीवीडी परिवादी ने प्राप्त कर ली है तथा उस पर 7,000/- रूपयें अभी भी बकाया है जबकि परिवादी का केस है कि यद्यपि राशि बकाया है लेकिन उसे कार्यक्रम के कोई फोटो, एलबम व डीवीडी नही दिये गये है।  
    इसलिए विवाद इतना ही है कि क्या विपक्षी ने परिवादी को अनुबंध के अनुसार विवाह कार्यक्रम के सभी फोटो, एलबम एवं डीवीडी दे दी है ? इसे सिद्ध करने का दायत्वि विपक्षी का है, विपक्षी नें इसकी पुष्टि हेतु कोई लिखित दस्तावेज प्रस्तुत नही किया है। स्पष्ट रूप से यह प्रकट नही किया है कि किस तिथि को फोटो, एलबम एवं डीवीडी दी गई ? उसकी ओर से कालू कुम्हार ने भी शपथ-पत्र मंे अनुबंध के अनुसार सम्पूर्ण फोटो डीवीडी व एलबम को परिवादी को दिये जाने की कोई तिथि नही बताई है। विपक्षी नें मंच के समक्ष कुछ फोटो व डीवीडी प्रस्तुत की है इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि फोटो डीवीडी उसी के कब्जे थी अन्यथा यदि पूर्व में ही परिवादी को दे दी गई थी तब पुनः मंच के समक्ष प्रस्तुत नही किया जा सकता था क्योंकि स्वाभाविक रूप से परिवादी के कार्यक्रमों की फोटो एवं डीवीडी अतिरिक्त तौर पर विपक्षी द्वारा अपने यहां रखे जाने का कोई न्यायोचित कारण समझ में नही आता है। परिवादी ने विपक्षी को परिवाद प्रस्तुत करने से पूर्व वकील के जरिये पंजीकृत नोटिस भी भेजा जिसे प्राप्त होना विपक्षी नें जवाब में स्वीकार किया है तथा उसका कोई जवाब विपक्षी की और से नही दिया गया। इस नोटिस के जरिये भी परिवादी ने विपक्षी से विवाह कार्यक्रम के फोटो, एलबम व डीवीडी की मांग की थी यदि वास्तव में परिवादी को उसके फोटो, एलबम एवं डीवीडी दे दी गई होती तब अवश्य ही विपक्षी द्वारा नोटिस का जवाब देते हुए स्पष्ट किया जाता कि फोटो, एलबम व डीवीडी परिवादी ने पूर्व में ही प्राप्त कर ली है।   
    उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप हम इस निष्र्कष पर आते है कि विपक्षी नें परिवादी के विवाह समारोह के कार्यक्रम बाबत अनुबंध के अनुसार फोटो, एलबम एवं डीवीडी उसे नही दिये अनुबंध के अनुसार तयशुदा राशि में से परिवादी से 7,000/- रूपये प्राप्त करना ही शेष रहा है। इसलिए हम पाते है कि विपक्षी नें अनुबंध के अनुसार अपनी सेवा देने में लापरवाही व कमी की है। उसका दायत्वि है कि वह अनुबंध के अनुसार सभी फोटो, एलबम एवं डीवीडी परिवादी को लौटाकर बाकी रकम प्राप्त करें। 
    अतः विपक्षी को निर्देश दिये जाते है कि परिवादी को 15 दिवस के अन्दर अनुबंध के अनुसार वरपक्ष एवं वधुपक्ष के सभी फोटो, एलबम एवं डीवीडी रसीद लेकर सोपें जावे व उसी समय परिवादी द्वारा बकाया रकम 7,000/- रूपये विपक्षी को दी जावेगी। इसके अलावा विपक्षी द्वारा परिवादी को मानसिक संताप के पेटे 5,000/- रूपयें एवं परिवाद व्यय के पेटे 2000/- रूपयें भी उसी समय दिये जावे। 
    आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो। 

विष्णु कुमार गुप्ता          किरण चैरसिया        भगवानदास खण्डेलवाल
   (सदस्य)                  (सदस्या)                 (अध्यक्ष)
    

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