राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-1363/2011
(जिला मंच, देवरिया द्धारा परिवाद सं0-277/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.6.2011 के विरूद्ध)
IFFCO TOKIO General Insurance Co. Ltd., Corporate Office at IVth & Vth Floors, IFFCO-TOWER, Plot No. 3, Sector-29, Gurgaon-122001. Haryana, through Chief Manager (Claims).
........... Appellant/Opp. Party
Versus
1- Rameshwar Singh, S/o Late Ram Lakhan Singh, R/o Village Mishrauli alias Tarauli, Post Kauria, P.S. Bhaluyani, District-Deoria (U.P.)
…….. Respondent/ Complainant
3- Saghan Sehkari Samiti, Mishrauli Alias Tarauli, Vikas Khand Bhaluyani, Post Kauria, P.S. Bhaluyani, District Deoria, through Sachiv.
…….. Respondents/ Opp. Parties
समक्ष :-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य
मा0 गोवर्धन यादव, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री अशोक मेहरोत्रा
प्रत्यर्थी सं0-1 के अधिवक्ता : श्री बी0के0 उपाध्याय
दिनांक :-20-02-2019
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील परिवाद संख्या-277/2005 में जिला मंच, देवरिया द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 18.6.2011 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी के भाई रामकवल सिंह ने प्रत्यर्थी सं0-2
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साधन सहकारी समिति, मिश्रौली उर्फ तरौली, विकास खण्ड- भलुअली, पोस्ट कोरया, थाना भुअनी, जिला देवरिया से दिनांक 06.5.2004 को इफको डी0ए0पी0 4 बोरी 1780.00 में, इफको एन0पी0के0 9 बोरी 3852.00 रू0 में तथा इफको यूरिया 10 बोरी 2400.00 रू0 कुल 8032.00 रू0 अदा कर खरीदें। परिवादी के भाई द्वारा किया गया यह क्रय अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा संचालित संकट हरण बीमा पालिसी योजना से आच्छादित था। इस योजना के अन्तर्गत क्रय की तिथि से 12 माह के अन्तर्गत क्रेता की किसी दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर नामित व्यक्ति अथवा क्रेता के उत्तराधिकारी को 4,000.00 रू0 प्रति बोरी की दर से अधिकत्म 1,00,000.00 रू0 क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी होगा। खाद की उक्त क्रय में परिवादी को रामकवल सिंह द्वारा क्रेता नामित किया गया था। खाद खरीदने के पश्चात दिनांक 16.11.2004 को परिवादी के भाई रामकवल सिंह छत की सीढ़ी से गिरने के कारण सिर में गम्भीर चोट आने से घटनास्थल पर ही तत्काल उनकी मृत्यु हो गई। जिसकी सूचना थाने में दी गई। पंचनामे के आधार पर परिवादी के भाई का शव परीक्षण किए बिना ही दाह संस्कार हुआ, तदोपरांत समस्त अभिलेखों सहित बीमा दावा अपीलार्थी बीमा कम्पनी को प्रेषित किया गया, किन्तु अपीलार्थी बीमा कम्पनी
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द्वारा बीमा दावा स्वीकार नहीं किया गया। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
प्रत्यर्थी सं0-2 द्वारा कोई प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया।
अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अपीलार्थी बीमा कम्पनी के कथनानुसार प्रश्नगत बीमा पालिसी की शर्त के अनुसार क्रेता की दुर्घटना में मृत्यु पोस्ट मार्टम रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट न होने के कारण क्लेम देय नहीं है। यह भी कहा गया कि पुलिस को सूचना के पूर्व मृतक का दाह संस्कार कर दिया गया। मृतक की मृत्यु स्वभाविक हुई थी। क्लेम पाने के लिए सीढ़ी से गिर कर मृत्यु होना बताया गया।
जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी बीमा कम्पनी को निर्देशित किया कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी परिवादी को 92,000.00 रू0 परिवाद दाखिल करने की तिथि से वास्तविक भुगतान होने की तिथि तक 08 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित तीस दिन में भुगतान करें।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर अपील योजित की गई है।
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हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक मेहरोत्रा तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री बी0के0 उपाध्याय के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत निर्णय में जिला मंच के अध्यक्ष के हस्ताक्षर नहीं है, अत: निर्णय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-14 के उल्लंघन में पारित होने के कारण निरस्त किए जाने योग्य है। अपीलार्थी की ओर से यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत बीमा पालिसी के अन्तर्गत दुर्घटना में मृत्यु साबित किए जाने हेतु पोस्ट मार्टम रिपोर्ट दाखिल किया जाना आवश्यक था। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के अवलोकन से ही यह निर्धारित किया जाता सकता है कि मृत्यु का वास्तविक कारण क्या था। यह मृत्यु किसी दुर्घटना में आई चोटों के कारण हुई अथवा नहीं। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच ने पंचनामें के आधार पर क्रेता की मृत्यु दुर्घटना में आई चोटों के कारण होना माना है। जबकि परिवादी द्वारा प्रस्तुत किए गये पंचनामा पुलिस के अथवा किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष तैयार नहीं किया गया और नही पंचों के पते इस पंचनामें में दर्शित किए गये हैं। यह पंचनामा बाद में बीमा दावा के समर्थन में तैयार किया गया है। अपीलार्थी
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की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि पंचनामें में पुलिस द्वारा बिना किसी जॉच के आख्या उल्लिखित किए जाने का कोई औचित्य नहीं है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत संकट हरण बीमा योजना से सम्बन्धित संक्षिप्त जानकारी अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा उपलब्ध करायी गई थी। इस संक्षिप्त जानकारी की फोटो प्रति जिला मंच के समक्ष प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गई और इस संक्षिप्त जानकारी की फोटोप्रति अपील की सुनवाई के मध्य प्रस्तुत की गई। इस संक्षिप्त जानकारी के बिन्दु-7 (3) में पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के सम्बन्ध में स्थिति स्पष्ट की गई है तथा यह उल्लिखित किया गया है कि "यह उन मामलों में आवश्यक है जहॉ मामला प्राय: सड़क दुर्घटना या मृत्यु से संबंधित हो और पुलिस के हस्तक्षेप की आवश्यकता हो। यदि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है या कानूनन इससे छूट प्रदान की गई है, तो एक पंचनामें की आवश्कता होगी।" ऐसी परिस्थिति में कोई आपराधिक मामला न होने पर क्रेता की दुर्घटना में मृत्यु का तथ्य प्रमाणित करने हेतु शव विच्छेदन आख्या की आवश्यकता नहीं होगी। प्रस्तुत प्रकरण में क्रेता की मृत्यु छत की सीढ़ी से फिसलकर गिरने से सिर पर
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आई गम्भीर चोटों के कारण हुई। कोई आपराधिक मामला न होने के कारण पुलिस ने शव दाह की अनुमति प्रदान की।
अपीलार्थी की ओर से अपील की सुनवाई के मध्य श्री एस0के0 छाबडा, तत्कालीन वाइस प्रेसिडेंट के शपथपत्र के साथ संलग्नक के रूप में परिवादी द्वारा क्रेता की मृत्यु दुर्घटना में आने के तथ्य को प्रमाणित करने हेतु जिला मंच के समक्ष दाखिल किए गये पंचनामा प्रमाण पत्र/ मृत्यु प्रमाण पत्र की फोटो प्रति दाखिल की। जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि इस पंचनामें में गॉव के अनेक व्यक्तियों द्वारा हस्ताक्षर किए गये हैं तथा इस तथ्य की पुष्टि की गई है कि दिनांक 16.11.2004 को श्री रामकवल सिंह पुत्र श्री राम लक्षन सिंह ग्राम मिश्रौली उर्फ तरौली पोस्ट कोरया, थाना भलुअनी, जनपद देवरिया दिनांक 16.11.2004 को अपनी छत पर रखे हुए धान को सुखाने हेतु सीढ़ी से छत पर जा रहा था, अचानक पैर फिसलने से नीचे गिर पड़ा, जिससे सिर में गम्मीर चोटें आ गई और घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। थाना भलुअनी, देवरिया द्वारा दिनांक 16.11.2004 को यह आख्या प्रेषित की गई कि रामकवल सिंह पुत्र राम लक्षन सिंह निवासी ग्राम मिश्रौली उर्फ तरौली की मृत्यु दिनांक 16.11.2004 को छत पर चढ़ते समय सीढ़ी से गिर कर हो गई। यह कोई आपराधिक घटना नहीं है, शव दाह की अनुमति दी गई।
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अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी द्वारा प्रश्नगत योजना की संक्षिप्त जानकारी के सम्बन्ध में प्रस्तुत किए गये अभिलेख प्रश्नगत बीमा पालिसी से सम्बन्धित बीमा संविदा का भाग नहीं है। उल्लेखनीय है कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने इस तथ्य से इंकार नहीं किया है कि यह संक्षिप्त जानकारी अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा जारी की गई। इस संक्षिप्त जानकारी में प्रश्नगत बीमा पालिसी के संदर्भ में पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की स्थिति स्पष्ट की गई है तथा प्रत्येक मामले में पोस्ट मार्टम रिपोर्ट दुर्घटना के तथ्य को प्रमाणित करने हेतु आवश्यक होना नहीं बताया है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि प्रश्नगत बीमा पालिसी के संदर्भ में स्वयं अपीलार्थी द्वारा उपलब्ध करायी गई जानकारी बीमा दावा के निस्तारण के लिए उपयोगी नहीं होगी।
यह भी उल्लेखनीय है कि अपीलार्थी ने क्रेता रामकवल सिंह की मृत्यु दुर्घटना में न होने के संदर्भ में कोई साक्ष्य जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की। अपीलार्थी का यह कथन नहीं है कि उसके द्वारा प्रश्नगत बीमा दावे के संदर्भ में कोई जॉच अपने स्तर से करायी गयी तथा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा क्रेता की मृत्यु के संदर्भ में किया गया, अभिकथन गलत पाया गया। ऐसी परिस्थिति में
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प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत किए गये पंचनामें में उल्लिखित तथ्य तथा पुलिस द्वारा प्रस्तुत की गई आख्या की अनदेखी किए जाने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है।
जहॉ तक प्रश्नगत निर्णय अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षरित न होने के कारण कथित रूप से अवैध होने के सम्बन्ध में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत तर्क का प्रश्न है। अपीलार्थी द्वारा यह नहीं कहा गया है कि प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई अध्यक्ष द्वारा की गई अथवा नहीं। अपीलार्थी का यह भी कथन नहीं है कि प्रश्नगत परिवाद की अंतिम सुनवाई की तिथि को अध्यक्ष उपस्थित थे। निर्णय दो सदस्यों द्वारा पारित किया गया है। ऐसी परिस्थिति में प्रश्नगत निर्णय अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षरित न होने के कारण अवैध नहीं माना जा सकता है।
प्रश्नगत प्रकरण में प्रत्यर्थी/परिवादी के भाई द्वारा इफको कम्पनी के 23 बोरा खाद क्रय किया जाना प्रत्यर्थी/परिवादी का उस क्रय में उनका नामित होना प्रमाणित है। क्रय की तिथि से एक वर्ष के अन्तर्गत प्रत्यर्थी/परिवादी के भाई क्रेता श्री रामकवल सिंह की मृत्यु होना भी प्रमाणित है। ऐसी परिस्थिति में प्रश्नगत बीमा पालिसी के अन्तर्गत 4,000.00 रू0 प्रति बोरी की दर से कुल 92,000.00 रू0 क्षतिपूर्ति के रूप में प्रत्यर्थी/परिवादी प्राप्त करने का अधिकारी है। जिला मंच द्वारा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का
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उचित परिशीलन करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है। अत: अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेंगे।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1