( सुरक्षित )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :960/2022
(जिला उपभोक्ता आयोग, मथुरा द्वारा परिवाद संख्या-63/2008 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04-08-2022 के विरूद्ध)
- फर्म किसान कोल्ड स्टोरेज एण्ड आईस फैक्ट्री मथुरा राया रोड मथुरा द्वारा स्वामी।
- किसान कोल्ड स्टोरेज एण्ड आईस फैक्ट्री मथुरा राया रोड, मथुरा द्वारा प्रबन्धक।
अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम्
रमेश चन्द्र पुत्र मुंशी लाल निवासी मढ़ी सिन्यार भारभंकरपुर बसेला थाना राया जिला मथुरा।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री पुनीत सहाय विसारिया।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 11-10-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-63/2008 रमेश चन्द्र बनाम फर्म किसान कोल्ड स्टोरेज एण्ड आईस फैक्ट्री व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, मथुरा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 04-08-2022 के विरूद्ध यह अपील
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
‘’आक्षेपित निर्णय के द्वारा जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
‘’ परिवाद संख्या-63/2008 विपक्षीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से निम्न निर्देश निर्गत करते हुए स्वीकार किया जाता है:-
1-क्षतिग्रस्त आलू का प्रश्नगत वर्ष में मूल्य मु0 1,05,378/-रू0 परिवाद संस्थित किये जाने के दिनांक से निर्णय की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर से विपक्षीगण द्वारा परिवादी को अदा करेंगे।
2- मानसिक, आर्थिक, वाद व्यय, आवागमन व्यय आदि समस्त क्षतियों के लिए विपक्षीगण मु0 1,00,000/-रू0 की धनराशि परिवादी को अदा करेंगे।
3- निर्णय की तिथि से 30 दिन के अंदर विपक्षी परिवादी को समस्त धनराशि का भुगतान करेगा अन्यथा समस्त देय धनराशि पर 09 प्रतिशत ब्याज देय होगा।
4- आदेश की प्रति उभयपक्षों को नियमानुसार नि:शुल्क प्रदान की जावे। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।‘’
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण की ओर से यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने मार्च/अप्रैल 2003 में 634 बोरा आलू (वजन 70 किलो प्रति बोरा) मु0 55/-रू0 प्रति बोरों के भाड़े पर विपक्षी संख्या-1 के कोल्ड स्टोर में रखवाया
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और रू0 2,000/-भाड़े के रूप में एडवांस अदा किया। दिनांक 27-07-2003 को परिवादी ने लाट संख्या-663 में रखे अपने 106 बोरा आलूओं में से एक बोरा आलू निकलवाया तो देखा कि आलू बुरी तरह सड़ा हुआ है, शक होने पर इसी लाट में से चार बोरा आलू और निकलवाया तो पाया कि आलू सड़ा हुआ है, तब परिवादी ने विभिन्न लाटों में रखा हुआ अपना आलू देखा तो पूरा आलू सड़ कर नष्ट हो गया था। परिवादी ने आलू सड़ जाने के कारण विपक्षी से कीमत अदा करने को कहा तो विपक्षी ने उसकी बात को कोई ध्यान नहीं दिया। परिवादी ने दिनांक 09-10-2003 को जिलाधिकारी, मथुरा एवं जिला उद्यान अधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया और विपक्षी संख्या-2 को दिनांक 08-10-2003 को विधि नोटिस भेजा। उस समय आलू के 70 किलो के बोरे की कीमत खुले बाजार में मु0 350/-रू0 प्रति बोरा थी। परिवादी को कोल्ड स्टोरेज का भाड़ा मु0 34995/-रू0 काटकर मु0 1,87,555/-रू0 की हानि उठानी पड़ी जिसकी भरपाई के लिए विपक्षी उत्तरदायी है। दिनांक 23-10-2003 को जिला उद्यान अधिकारी का पत्र परिवादी को प्राप्त हुआ कि यदि दिनांक 30-10-2003 तक कोल्ड स्टोरेज के स्वामी द्वारा आलू की कीमत अदा नहीं की जाती है तब दिनांक 31-10-2003 को जिला उद्यान अधिकारी को सूचित करें परन्तु परिवादी को न तो कोई क्षतिपूर्ति अदा की गयी न ही जिला प्रशासन द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध उ0प्र0 कोल्ड स्टोरज विनियम अधिनियम 1976 के प्रावधानों के अन्तर्गत कोई कार्यवाही की गयी। परिवादी ने दिनांक 31-10-2003 को जिला उद्यान अधिकारी को सूचित किया कि अभी तक उसे क्षतिपूर्ति की धनराशि अदा नहीं की गयी है जो कि विपक्षीगण की
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सेवा में कमी है अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा दाखिल करते हुए दिनांक 19-02-2013 के माध्यम से परिवाद पत्र के समस्त प्रस्तरों का खण्डन किया गया और विशेष कथन में यह अभिकथन किया है कि यह झूठ है कि परिवादी द्वारा 634 बोरा आलू (वजन 70 किलो प्रति बोरा) मु0 55/-रू0 प्रति बोरा भाड़े के हिसाब से विपक्षी कोल्ड स्टोरेज में जमा किया गया था। परिवादी द्वारा जमा किया गया आलू गड्ड (अर्थात छोटा-बड़ा) निहायती खराब किस्म का था तथा दागी क्वालिटी का था जिसके संबंध में परिवादी को उसी समय अवगत करा दिया गया था परन्तु परिवादी ने कहा था कि आलू की क्वालिटी की सम्पूर्ण जिम्मेदारी उसकी है तथा यह भी कहा कि मैं आलू ले जाऊगा परन्तु परिवादी कभी आलू लेने नहीं आया तथा वर्ष 2003 में आलू का भाव सस्ता था, उनकी ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।
विद्धान जिला आयोग ने उभयपक्ष के अभिकथन को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का अवलोकन करने के पश्चात यह पाया कि जिला उद्यान अधिकारी के पत्रांक-721 दिनांकित 23-10-2003 के उपरान्त भी विपक्षी द्वारा दिनांक 30-10-2003 तक परिवादी को क्षतिपूर्ति की धनराशि का भुगतान नहीं किया गया तथा कोल्ड स्टोरेज द्वारा आलू के रख-रखाव में लापरवाही बरती गयी है जो कि विपक्षी कोल्ड स्टोरेज की सेवा में कमी पाते हुए प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री पुनीत सहाय विसारिया उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
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मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1