(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण सं0- 21/2017
Adhisashi Abhiyanta, Dakshinachal Vidyut Vitran Nigam Limited, Vidyut Vitran Khand-Pratham, Sukwan-Dukwan Colony, Civil Lines, Jhansi.
……….Revisionist
Versus
Ramesh, Son of Sri Mannu Lal, Resident of 83-L/1, Nai Basti, Jhansi.
…………………Opp. Party
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक:- 08.09.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 382/2016 रमेश बनाम विद्युत विभाग में जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा पारित आदेश दि0 08.09.2016 के विरुद्ध यह पुनरीक्षण याचिका राज्य आयोग के समक्ष इस आधार पर प्रस्तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने विधि विरुद्ध आदेश पारित किया है।
2. हमने पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा सुना। प्रश्नगत आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया। विपक्षी को पंजीकृत डाक से नोटिस प्रेषित की गई थी, परन्तु विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
3. मीटर की लैब में चेकिंग दि0 11.01.2016 को की गई थी तथा उपभोक्ता को लेबोरेटरी में आने के लिए कहा गया था, परन्तु उपभोक्त लेबोरेटरी में नहीं आया। मीटर खुलने पर पाया गया कि सील बदली गई थी तथा मीटर को दूषित किया गया था। इसलिए विद्युत शुल्क का निर्धारण किया गया तथा निर्धारण के अनुसार वसूली हेतु नोटिस भेजी गई। इसलिए वसूली नोटिस के विरुद्ध उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है।
4. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने आदेश में उल्लेख किया है कि राजस्व निर्धारण की राशि 29,428/-रू0 बिल में जोड़ी गई है और कनेक्शन पूर्व में विच्छेदित कर दिया गया था, परन्तु इस बिन्दु पर विचार नहीं किया गया कि जिस मीटर का प्रयोग हो रहा था उस मीटर की सील टूटी हुई थी तथा मीटर को दूषित किया गया था। इसलिए राजस्व निर्धारण विधिसम्मत कार्यवाही थी। राजस्व निर्धारण के विरुद्ध विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष उपभोक्ता परिवाद संधारणीय ही नहीं था। इसलिए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश अपास्त होने योग्य और पुनरीक्षण याचिका स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
5. पुनरीक्षण याचिका स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश अपास्त किया जाता है तथा प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0-2