Uttar Pradesh

StateCommission

A/1999/2976

Union of India Northern Railway - Complainant(s)

Versus

Ramesh Hosiery - Opp.Party(s)

Amit Arora

28 Feb 2000

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1999/2976
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union of India Northern Railway
Varanasi
...........Appellant(s)
Versus
1. Ramesh Hosiery
Barabanki
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

(राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)

                                    सुरक्षित 

अपील संख्‍या 1166/1995

 

(जिला मंच हरदोई द्वारा परिवाद सं0 1043/1992 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 04/12/1993 के विरूद्ध)

                                                     

1- चीफ कामिर्शियल सुपरिटेन्‍डेन्‍ट आफिस, उत्‍तर प्रदेश रेलवे स्‍टेशन भवन वाराणसी।

2- डिवीजनल सुपरिटेण्‍डेन्‍ट उत्‍तर रेलवे, नई दिल्‍ली।

3- स्‍टेशन मास्‍टर कौढ़ा, जनपद हरदोई।

4- चेयरमैन रेलवे बोर्ड, नई दिल्‍ली।

                                                      …अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

 

बनाम

 

हरनाम गिहार, निवासी ग्राम व पो0 आ0 कौढ़ा, जिला हरदोई1

.........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित      : विद्वान अधिवक्‍ता श्री आदिल अहमद एवं विभागीय

                                     सहयोगी श्री मिलन सोनकर, श्री तनवीर अहमद

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित           : कोई नहीं।

अपील संख्‍या 285/1999

 

(जिला मंच मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0 175/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 30/12/1998 के विरूद्ध)

                                                     

यूनियन आफ इंडिया द्वारा रेल प्रबंधक उ0 रे0 मुरादाबाद।

                                                      …अपीलार्थी/विपक्षी

 

बनाम

 

जावेद अली पुत्र श्री बुन्‍दु निवासी मोहल्‍ला डाली बाजार ऊजी वाली मस्जिद चांदपुर स्‍याऊ जनपद बिजनौर।

.........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित      : विद्वान अधिवक्‍ता श्री एम0एच0 खान।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित        : कोई नहीं।

 

अपील संख्‍या 2976/1999

(जिला मंच बाराबंकी द्वारा परिवाद सं0 132/1994 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 25/09/1999 के विरूद्ध)

                                                     

यूनियन आफ इंडिया द्वारा डिप्‍टी चीफ कामार्शियल मैनेजर क्‍लेम्‍स, नार्दन रेलवे स्‍टेशन बिल्डिंग वाराणसी।

                                                      …अपीलार्थी/विपक्षी

 

बनाम

 

2

रमेश होजरी द्वारा रमेश कुमार तिवारी, मोहल्‍ला कोठी कस्‍बा पोस्‍ट रूदौली जिला बाराबंकी।

.........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित      : विद्वान अधिवक्‍ता श्री अमित अरोरा एवं विभागीय

                                     सहयोगी श्री मिलन सोनकर, श्री ए0के0 तिवारी

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित           : कोई नहीं।

अपील संख्‍या 467/2011

 

(जिला मंच द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद सं0 476/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 24/12/2010 के विरूद्ध)

                                                    

1- यूनियन आफ इंडिया द्वारा डी.आर.एम. कामार्शियल आगरा कैण्‍ट, रेलवे स्‍टेशन आगरा।

2- स्‍टेशन सुपरिटेन्‍डेन्‍ट रेलवे, आगरा कैण्‍ट, आगरा।

                                                      …अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

 

बनाम

मेसर्स – बी.एस. एग्रीकल्‍चर इण्‍डस्‍ट्रीज (इंडिया) 12/15 ए.ए. नवलगंज, आगरा, द्वारा पार्टनर- नरेन्‍द्र सिंह।

.........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित      : विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0पी0 श्रीवास्‍तवएवं विभागीय

                                     सहयोगी श्री मिलन सोनकर, श्री डी0के0 आर्या

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित           : कोई नहीं।

अपील संख्‍या 2242/2012

 

(जिला मंच देवरिया द्वारा परिवाद सं0 260/05 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 06/09/2012 के विरूद्ध)

                                                    

डिवीजनल कामार्शियल मैनेजर व अन्‍य

                                                      …अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

 

बनाम

 

मेसर्स रोज फार्मास्‍युटिकल्‍स प्रा0 (इण्डिया) ग्राम व पो0 सतराव जिला देवरिया द्वारा हरिशंकर यादव।

.........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:

       1. मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठा0 न्‍यायिक सदस्‍य।

  2. मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित      : विद्वान अधिवक्‍ता श्री एम0एच0 खान।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित           : कोई नहीं।

दिनांक :  31-12-2014  

मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठा0 न्‍यायिक सदस्‍य द्वारा उदघोषित ।

 

 

3

निर्णय

 

     अपीलकर्तागण द्वारा उपरोक्‍त अपीलें विभिन्‍न जिला मंचों द्वारा पारित विभिन्‍न तिथियों पर निस्‍तारण की गई है जिनमें कि समान विधिक बिन्‍दु अन्‍तर्निहित हैं। अत: उपरोक्‍त समस्‍त अपीलों का निस्‍तारण एक साथ किया जाता है।

अपील सं0 1166/1995

     अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला मंच हरदोई के द्वारा परिवाद सं0 1043/1992 हरनाम गिहार बनाम चीफ कामिर्शियल सुपरिटेन्‍डेन्‍ट आफिस व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 04/12/1993 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     ‘’ वाद पत्र स्‍वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह वादी को 7200/ रूपये माल की कीमत तथा 1000/ रूपये हर्जा एक माह के अंदर अदा करे।‘’

     अपीलार्थी द्वारा अपील को विलंब से प्रस्‍तुत किये जाने हेतु विलंब क्षमा किये जाने के लिए जो प्रार्थना पत्र दिया गया है तथा साथ ही श्री हरीराम का शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें कि विलंब का कारण दिया गया है। विलंब को क्षमा किये जाने का प्रार्थना पत्र स्‍वीकार किया जाता है। विलंब को क्षमा किया जाता है।

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि उसने 96 किलोग्राम प्‍लास्टिक केन मु0 7200/ रूपये में दिनांक 05/08/89 को दिल्‍ली से खरीदी थी और माल की बिल्‍टी पुरानी दिल्‍ली रेलवे द्वारा कोढ़ा हरदोई स्‍टेशन को बुक कराई। परिवादी बार-बार कोढ़ा स्‍टेशन से संपर्क करता रहा परन्‍तु उसका माल नहीं दिया गया। परिवादी ने इसकी बाबत क्‍लेम भी किया परन्‍तु क्‍लेम भी नहीं दिया गया। परिवादी सैकड़ों बार दिल्‍ली कोढ़ा स्‍टेशन गया जिसमें उसका 2500/ रूपये का नुकसान हुआ व मानसिक व शारीरिक परेशानी हुई जिसकी बाबत 6200/ रूपये मांगता है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना गया1

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि चूंकि परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा माल की बिल्‍टी पुरानी दिल्‍ली रेलवे द्वारा कोढ़ा हरदोई स्‍टेशन के लिए बुक कराई गई थी किन्‍तु उसका माल नहीं पहुंचा। अत: इस प्रकार का क्‍लेम रेलवे क्‍लेम ट्रिब्‍यूनल की धारा 13 (1) (ए) (।) के अंतर्गत करना चाहिए था। किसी अन्‍य न्‍यायालय को उक्‍त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत इसके श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है।

4

     चूंकि यह प्रकरण माल के गन्‍तव्‍य स्‍थान तक नही पहुंच सका। अत: ऐसी परिस्थितियों में उपरोक्‍त परिवाद/प्रत्‍यावेदन रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 की धारा 13 (1) (ए) (।) के अंतर्गत ट्रिब्‍यूनल के समक्ष प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए था किसी अन्‍य न्‍यायालय को इसका श्रवण का क्षेत्राधिकार उपरोक्‍त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत नहीं दिया गया है। अत: अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है तथा विद्वान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

अपील सं0- 285/1999

     अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला मंच मुरादाबाद के द्वारा परिवाद सं0 175/1998 यूनियन आफ इंडिया बनाम जावेद अली में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 30/12/1998 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     ‘’ विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह आदेश पारित होने के एक माह के अंदर परिवादी को 180 किलोग्राम चाय अथवा उसका वर्तमान में चालू मूल्‍य का भुगतान करें और परिवादी को 500/ रूपये भागदौड़ में किये गये व्‍यय का भुगतान करें।‘’

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने दिनांक 02/12/97 को गाड़ी सं0 5609 अवध असम एक्‍सप्रेस से गोहाटी जंक्‍शन से चांदुपुर स्‍याऊ के लिए 12 बोरी चाय वजन 352 किलोग्राम बिल्‍टी सं0- 138112/बी-12 सी.पी.एस. से बुक कराई थी जो मुरादाबाद जंक्‍शन पर उतरकर चांदपुर स्‍याऊ पहुंचना था किन्‍तु चाय बुक कराये गये स्‍थान पर नहीं पहुंची। ढूढ़ने पर 06 बोरा चाय परिवादी को दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन पर मिली और शेष चाय वजन लगभग 180 किलोग्राम गायब थी, मिली 06 बोरा चाय को चांदपुर स्‍याऊ रेलवे स्‍टेशन भेजा गया किन्‍तु स्‍टेशन मास्‍टर चांदपुर ने उसे वह चाय नहीं दी । बहुत प्रयास के पश्‍चात सहायक वाणिज्‍य प्रबंधक उ0 रेलवे, मुरादाबाद के आदेश दिनांक 19/12/97 के आधार पर सवा पांच बोरा चाय वजन 170 कि0ग्राम दिनांक 24/12297 को मिली और शेष चाय लगभग 180 कि0ग्राम नहीं मिली जिसका मूल्‍य 25,000/ रूपये है और परिवादी की भाग-दौड़ में 15,000/ रूपये की क्षति हुई और परिवादी इस प्रकार 40,000/ रूपये प्राप्‍त करने का अधिकारी है। अत: परिवादी ने दिनांक 09/03/98 को यह परिवाद योजित किया।

    

 

5

     प्रतिवादी की ओर से यह आपत्ति की गई कि परिवाद को निर्णित किये जाने का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं है।

    अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने ।। (2005) सी.पी.जे. 542 मा0 राष्‍ट्रीय आयोग उत्‍तर प्रदेश यूनियन आफ इंडिया बनाम राधेकृष्‍ण खन्‍ना पर यह विश्‍वास व्‍यक्त करते हुए यह तर्क दिया कि प्रस्‍तुत प्रकरण रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल की एक्‍ट 13 (1)(ए)(।) के अंतर्गत रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल में विचारित किया जा सकता है, किन्‍तु अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्‍य न्‍यायालय का ऐसे प्रकरण में सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। तद्नुसार अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है तथा विद्वान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

अपील सं0 2976/1999

     अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला मंच बाराबंकी के द्वारा परिवाद सं0 132/1994 यूनियन आफ इंडिया बनाम रमेश होजरी में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 25/09/1999 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     ‘’ वादी का वाद स्‍वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि इस आदेश के दिनांक से दो माह के अंदर वादी का तीन पैकिट माल या माल का मूल्‍य 1,04,772/ रूपये 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित माल बुक कराने के दिनांक 24/11/92 से भुगतान के दिनांक तक अदा करें, साथ ही क्षतिपूर्ति रू0 1000/ एवं वाद व्‍यय रू0 500/- भी विपक्षी वादी को अदा करे।‘’

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने अपीलार्थी/विपक्षी के यहां दिनांक 24/11/92 को मु0 437/- रूपये में बुक कराया गया होजरी का माल कीमत 1,04,772/- रूपये दिल्‍ली से रूदौली नहीं आया और वापसी प्राप्‍त नहीं हुआ।

     विपक्षी द्वारा अनेक विधि व्‍यवस्‍था का उल्‍लेख करते हुए यह बताया गया कि प्रस्‍तुत प्रकरण को रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट की धारा 13 (1) (ए) (।)  के अंतर्गत बुक माल के न पहुंचने अथवा डिलीवरी न होने पर ऐसे मामलो की सुनवाई रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 के अंतर्गत किये जाने का प्राविधान है तथा उपरोक्‍त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्‍य न्‍यायालय को श्रवण करने का क्षेत्राधिकार नहीं है।

    

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     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने बहस करते हुए तर्क दिया कि उपरोक्‍त विधि व्‍यवस्‍था एवं परिवाद में दिये गये तथ्‍यों से स्‍पष्‍ट है कि यह प्रकरण पार्सल के गन्‍तव्‍य स्‍थान तक न पहुंचने एवं उसके कीमत को वापस किये जाने से संबंधित है जिसका निस्‍तारण रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 की धारा 13 (1) (ए) (।)  के अंतर्गत रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल द्वारा सुने जाने का एवं निस्‍तारण करने का प्राविधान है तथा किसी अन्‍य न्‍यायालय को उपरोक्‍त धारा 15 के अंतर्गत सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।

     उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है तथा विद्वान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

अपील सं0 467/2011

     अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला मंच द्वितीय आगरा के द्वारा परिवाद सं0 476/2003 यूनियन आफ इंडिया बनाम मेसर्स बी0एस0 एग्रीकल्‍चर इण्‍डस्‍ट्रीज में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 24/12/2010 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     ‘’ परिवाद पत्र स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को धनराशि रूपया 12,474/ रूपये मय ब्‍याज 9 प्रतिशत परिवाद प्रस्‍तुत करने की दिनांक से वास्‍तविक भुगतान की दिवस तक इस निर्णय के 30 दिन के भीतर परिवादी को अदा करे इसके अतिरिक्‍त बतौर मानसिक क्षति हेतु 2000/ रूपये एवं परिवाद व्‍यय हेतु 2000/ रूपये भी उक्‍त अवधि में परिवादी को अदा करे। अवहेलना करने पर परिवादी क्षतिपूर्ति व परिवाद व्‍यय की धनराशि पर निर्णय की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।‘’

     अपीलार्थी की ओर से विद्वान जिला मंच द्वितीय आगरा में परिवाद सं0 476/03 में दिये गये निर्णय/आदेश दिनांक 24/12/2010 के विरूद्ध अपील प्रस्‍तुत किये जाने में हुए विलंब को क्षमा किये जाने का प्रार्थना पत्र मय शपथ पत्र श्री राजेश कुमार श्रीवास्‍तव का दिया गया है जिसमें कि विलंब का समुचित कारण दिया गया है। अत: अपील को प्रस्‍तुत किये जाने में हुए विलंब को क्षमा किये जाने का प्रार्थना पत्र को स्‍वीकार किया जाता है एवं विलंब को क्षमा किया जाता है।

    

 

7

      संक्षेप में त‍थ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने 18,900/ रूपये के इंजन पिस्‍टन व स्‍पेयर पार्टस के तीन पेटी पटियाला रेलवे स्‍टेशन से आगरा कैण्‍ट रेलवे स्‍टेशन के लिए आर0आर0 नंबर- 798818 दिनांकित 30/04/2003 को बुक किये थे और इसलिए विपक्षीगण को 35/- रूपये भुगतान किया था उक्‍त तीन पेटियों में से एक मात्र पेटी आगरा कैण्‍ट रेलवे स्‍टेशन से दिनांक 01/05/2003 को प्राप्‍त हुई परिवादी द्वारा विपक्षीगण से अवशेष सामान के लिए मांग की गई। विपक्षीगण द्वारा कोई समुचित जवाब नहीं दिया गया परिवादी द्वारा विधिक नोटिस दिनांकित 17/06/2003 भी विपक्षी सं0 1 को दिया गया लेकिन विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।

     अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा परिवाद पत्र में कहा गया रेलवे द्वारा दो तरह से माल प्राप्‍त किया जाता है। (1) भेजने वाले के रिस्‍क पर (2) रेलवे के रिस्‍क पर परिवादी ने अपनी रिस्‍क पर माल बुक किया था माल की कीमत घोषित नहीं की गई थी न ही प्रतिशत के हिसाब से भुगतान किया गया था। परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है। माल खो जाने रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आता है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0पी0 श्रीवास्‍तव ने ।। (2005) सी.पी.जे. 540 माननीय राज्‍य आयोग चीफ कामार्शियल सुपरिटेण्‍डेन्‍ट, नार्दन रेलवे बनाम किफायत उल्‍ला पर विश्‍वास व्‍यक्‍त करते हुए यह तर्क दिया कि यदि बुक कराये गये अभिशेष सामान के गन्‍तव्‍य तक नहीं पहुंचाने की दशा में उपरोक्‍त प्रकरण रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल की धारा 13 (1) (ए) (।) अंतर्गत रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल द्वारा सुने जाने का एवं निस्‍तारण करने का प्राविधान है तथा किसी अन्‍य न्‍यायालय को उपरोक्‍त धारा 15 के अंतर्गत सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।

     उपरोक्‍त विधि व्‍यवस्‍था एवं परिवाद में दिये गये तथ्‍यों से स्‍पष्‍ट है कि यह प्रकरण पार्सल के गन्‍तव्‍य स्‍थान तक न पहुंचने एवं उसके कीमत को वापस किये जाने से संबंधित है जिसका निस्‍तारण रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 की धारा 13 (1) (ए) (।) के अंतर्गत रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल द्वारा सुने जाने का एवं निस्‍तारण करने का प्राविधान है तथा किसी अन्‍य न्‍यायालय को उपरोक्‍त धारा 15 के अंतर्गत सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।

     उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है तथा विद्वान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

अपील सं0 – 2242/2012

    

8

     अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला मंच देवरिया द्वारा परिवाद सं0 260/2005 डिवीजनल कामार्शियल मैनेजर बनाम मेसर्स रोज फार्मास्‍युटिकल्‍स प्रा0  में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 06/09/2012 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     ‘’ परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उपरोक्‍त सामान की कीमत 9752/ रूपये परिवाद दाखिल होने की तिथि 18/07/2005 से वास्‍तविक अदायगी तिथि तक 10 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज के साथ तथा परिवादी को दौड़धूप एवं पत्राचार आदि में हुए व्‍यय के रूप में 3000/ रूपये एवं 2000/ रूपये वाद व्‍यय के मद में एक माह में अदा करें। विपक्षीगण को यह हिदायत भी दी जाती है कि वे आइन्‍दा इस तरह की अनुचित व्‍यापार प्रथा न अपनायें।‘’

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने सलेमपुर रेलवे स्‍टेशन से कटैगी एवं चित्रकूट आदि जगहों के लिए दवाएं, जिनकी कुल कीमत 9752.009 रूपये थी, जरिए पार्सल भेजा, जिसमें से कुछ पार्सल अपने गन्‍तव्‍य स्‍थान तक नहीं पहुंचा तो परिवादी ने प्रार्थना पत्र इस आशय का दिया कि उक्‍त पार्सल को गन्‍तव्‍य स्‍थान तक पहुंचाने की व्‍यवस्‍था करें अथवा उसकी कीमत वापस करे। रेलवे विभाग द्वारा कतिपय भुगतान का आदेश भी दिया गया, लेकिन अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से यह बताया गया कि प्रस्‍तुत प्रकरण रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिव्‍यूनल की धारा- 13 के अंतर्गत आते हैं और उपभोक्‍ता न्‍यायालय को इसे सुनने का अधिकार नहीं है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने । (2012) सी.पी.जे. 380 (एन.सी.) यूनियन आफ इंडिया द्वारा जनरल मैनेजर, नार्दन रेलवे बनाम मेडिकल सिस्‍टम व सर्विसेज द्वारा पार्टनर श्री वी0के0 मोनगा पर विश्‍वास व्‍यक्‍त करते हुए तर्क दिया कि रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट की धारा 13 (1) (ए) (।) के अंतर्गत बुक माल के न पहुंचने अथवा डिलीवरी न होने पर ऐसे मामलो की सुनवाई रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 के अंतर्गत किये जाने का प्राविधान है तथा उपरोक्‍त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्‍य न्‍यायालय को श्रवण करने का क्षेत्राधिकार नहीं है।

   उपरोक्‍त विधि व्‍यवस्‍था एवं परिवाद में दिये गये तथ्‍यों से स्‍पष्‍ट है कि यह प्रकरण पार्सल के गन्‍तव्‍य स्‍थान तक न पहुंचने एवं उसके कीमत को वापस किये जाने से संबंधित है जिसका निस्‍तारण रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 की धारा 13 (1) (ए) (।) के अंतर्गत रेलवे क्‍लेम्‍स

 

9

ट्रिब्‍यूनल द्वारा सुने जाने का एवं निस्‍तारण करने का प्राविधान है तथा किसी अन्‍य न्‍यायालय को उपरोक्‍त धारा 15 के अंतर्गत सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।

     उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है तथा विद्वान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

          उपरोक्‍त अपीलें, अपील सं0 1166/1995, 285/99, 2976/99 467/11 एवं 2242/12 स्‍वीकार की जाती है। विभिन्‍न जिला मंचों द्वारा विभिन्‍न तिथियों में पारित निर्णय/आदेश निरस्‍त किया जाता है। प्रत्‍येक परिवाद में यदि परिवादी/प्रत्‍यर्थी रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल के समक्ष अपना परिवाद/प्रतिवेदन प्रस्‍तुत करना चाहता है तो ऐसी दशा में उसका परिवाद काल बाधित नहीं माना जायेगा।

          इस निर्णय की एक-एक छायाप्रति अपील सं0 285/99, 2976/99 467/11 एवं 2242/12 में रखी जाय।

                   उभय पक्ष अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

         उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाय।

 

 

                                 

                                                                    (अशोक कुमार चौधरी)

                                                                     पीठा0 सदस्‍य

 

                                                                     

                                                                                 

                                                                                (बाल कुमारी)

सुभाष चन्‍द्र आशु0 ग्रेड 2                                                                 सदस्‍य

कोर्ट नं0 3

 

 

 

 

 

 

 

 

 

   

 

 

 

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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