राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-2678/1998
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-572/1996 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31-12-1997 के विरूद्ध)
Union of India, through D.R.M. North Eastern Railway, Lucknow.
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
- Ramesh Chandra S/o Shri Chotey Lal. प्रत्यर्थी/परिवादी
- Smt. Poonam Chandra W/o Sri Ramesh Chandra.
प्रत्यर्थी/परिवादी
Both resident of 18/118, Indira Nagar, Lucknow.
- General Manager, Northern Railway, Hazratganj, Lucknow.
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष :-
1- मा0 श्री अशोक़ कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित - श्री पी0पी0 श्रीवास्तव।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
दिनांक : 22-09-2014
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित :
अपीलार्थी ने प्रस्तुत अपील विद्धान जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-572/1996 रमेश चन्द्र बनाम नार्थ, ईस्टर्न रेलवे में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31-12-1997 के विरूद्ध प्रस्तुत की है, जिसमें विपक्षी संख्या-1 को निर्देश दिया गया है कि वह परिवादीगण को तीन माह में 1,000/-रू0 दे दें अन्यथा इस समस्त धनराशि पर 2 प्रतिशत मासिक ब्याज देय होगा होगा।
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प्रत्यर्थीगण को नोटिस भेजी गयी थी जो कि इस टिप्पणी के साथ वापस आयी कि परिवादीगण/प्रत्यर्थीगण पर नोटिस की तामीला पर्याप्त मानी जाती है क्योंकि अपीलार्थी द्वारा जो पता मेमो आफ अपील में दिया गया है उसी पते पर यह नोटिस भेजी गयी थी। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री पी0पी0 श्रीवास्तव उपस्थित आए। चूंकि यह अपील वर्ष 1998 से विचाराधीन है अत: ऐसी परिस्थिति में यह समीचीन पाया गया कि उपरोक्त अपील का निस्तारण पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेख के आधार पर कर दिया जाए।
संक्षेप में इस केस के तथ्य इस प्रकार है कि लखनऊ से आगरा दिनांक 26-07-1996 को जाने के लिए परिवादीगण ने बर्थ संख्या-25 व 26 डिब्बा संख्या-एस-8 में आरक्षित कराया था। परन्तु उस दिन उक्त डिब्बा लगा ही नहीं। बाध्य होकर उन दोनों को अपने टिकटों की धनराशि वापस लेकर यात्रा निरस्त करनी पड़ी। परिवादीगण का यह भी कथन है कि डिब्बा संख्या-8 10-15 दिन से नहीं लगाया जा रहा था, फिर भी उनका आरक्षण उक्त डिब्बे में कर दिया गया। उन्होंने 1,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति व 5,000/-रू0 वाद व्यय आदि के लिए यह परिवाद प्रस्तुत किया है।
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री पी0पी0 श्रीवास्तव उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं।
हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री पी0 पी0 श्रीवास्तव को सुना तथा विद्धान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय एवं पत्रावली का भली-भॉंति परिशीलन किया।
अपीलकर्ता के द्वारा अपील में यह बताया गया है कि प्रश्नगत निर्णय एकपक्षीय पारित किया गया है अत: निरस्त किये जाने योग्य है। प्रश्नगत निर्णय का अवलोकन करने से यह विदित होता है कि विद्धान जिला मंच द्वारा एकपक्षीय निर्णय पारित किया गया है जो न्याय के हित में निरस्त किये जाने योग्य है तद्नुसार अपील स्वीकार किये जाने एवं विद्धान जिला मंच, द्वितीय लखनऊ द्वारा पारित आदेश दिनांक 31-12-1997 निरस्त होने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है विद्धान जिला मंच द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-572/1996 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 31-12-1997 निरस्त किया जाता है। विद्धान जिला मंच को यह आदेशित किया जाता है कि वह उभयपक्ष को सुनवाई एवं साक्ष्य का समुचित अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का निस्तारण गुणदोष के आधार पर करें।
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उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलबध करा दी जाए।
( अशोक कुमार चौधरी) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-3