राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-591/2021
रमेश चंद्र यादव पुत्र स्व0 सी0पी0 यादव निवासी हाउस नं0
एस 25/26के-4ए वृन्दावन कालोनी, सरसौल भुजवीर
वाराणसी-221002 .....अपीलार्थी@परिवादी
बनाम
मेक माई ट्रिप(इंडिया) प्रा0लि0 द्वारा डायरेक्टर/सीईओ
9 वां तल टावर ए/बी/सी इपिटोम साइबर सिटी डीएलएफ
फेस 3, गुड़गांव हरियाणा इंडिया पिन-122002 .......प्रत्यर्थी/विपक्षी
अपील संख्या-443/2020
मेक माई ट्रिप(इंडिया) प्रा0लि0 द्वारा डायरेक्टर/सीईओ
9 वां तल टावर ए/बी/सी इपिटोम साइबर सिटी डीएलएफ
फेस 3, गुड़गांव हरियाणा इंडिया पिन-122002 .....अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम
रमेश चंद्र यादव पुत्र स्व0 सी0पी0 यादव निवासी हाउस नं0
एस 25/26के-4ए वृन्दावन कालोनी, सरसौल भुजवीर
वाराणसी-221002 .......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अंग्रेज नाथ शुक्ला, विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक 29.03.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 73/2019 रमेश चंद्र यादव बनाम मेक माई ट्रिप में पारित निर्णय व आदेश दि. 22.10.2020 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने अंकन रू. 574298/- बतौर क्षतिपूर्ति एवं मानसिक प्रताड़ना के मद में रू. 10000/- तथा परिवाद
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व्यय के रूप में रू. 5000/- अदा करने का आदेश दिया है। इस निर्णय के विरूद्ध अपील संख्या 591/2021 रमेश चंद्र यादव द्वारा इस राशि पर ब्याज दिलाए जाने के लिए प्रस्तुत की गई है, जबकि अपील संख्या 443/2020 मेक माई ट्रिप द्वारा इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि जिला उपभोक्ता मंच ने तथ्य एवं विधि के विपरीत निर्णय पारित किया है। परिवादी तथा उसके परिवार की यात्रा रद्द होने में अपीलार्थी का कोई दोष नहीं है, उन्हें वीजा प्राप्त नहीं हुआ, इसलिए यात्रा पूर्ण नहीं हो सकी। जिला उपभोक्ता मंच ने इन बिन्दुओं पर कोई विचार नहीं किया और अनुचित रूप से साक्ष्य के विपरीत अपीलार्थी को उत्तरदायी ठहराते हुए आदेश पारित किया है।
2. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
3. चूंकि परिवाद पत्र में वर्णित यह तथ्य कि मेक माई ट्रिप के माध्यम से यात्रा का प्लान परिवादी द्वारा बनाया गया। यात्रा के लिए टिकट बुक कराए गए, अग्रिम भुगतान किया गया, दोनों पक्षकारों को स्वीकार है, अत: इन बिन्दु पर पुन: विवेचना की आवश्यकता नहीं है। पक्षकारों के मध्य विवादित बिन्दु केवल यह है कि अपीलार्थी की त्रुटि के कारण परिवादी तथा उसके परिवार की यात्रा रद्द हुई है, जिसके कारण उसे शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा, यह वीजा न मिलने के कारण परिवादी तथा उसके परिवार को यात्रा निरस्त करनी पड़ी।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि यात्रा पंजीकृत करते समय एक आवश्यक सूचना परिवादी को प्रदान करा दी
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गई थी कि मेक माई ट्रिप्स वीजा प्राप्त करने में केवल सहायता प्रदान करती है, वीजा प्रदान करने संबंधित Consulate का विवेकाधिकार है और चूंकि वीजा प्राप्त नहीं हुआ, इसलिए अपीलार्थी का कोई दोष नहीं है, जबकि परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि वीजा विपक्षी/अपीलार्थी की लापरवाहीपूर्ण आचरण के कारण प्राप्त नहीं हो सका। चूंकि गंतव्य स्थान में निवास के लिए समुचित व्यवस्था नहीं की गई और गंतव्य स्थान पर निवास की समुचित व्यवस्था न होने के आधार पर वीजा रद्द हुआ है। वीजा रद्द होने का दस्तावेज पत्रावली पर मौजूद है, जिसके अवलोकन से ज्ञात होता है कि गंतव्य स्थान पर आवास की संतोषजनक व्यवस्था न होने के कारण वीजा प्रदान नहीं किया गया है और चूंकि निवास की व्यवस्था प्रदान करने का तथ्य अपीलार्थी पर था, इसलिए यात्रा रद्द करने के लिए स्वयं अपीलार्थी उत्तरदायी है, अत: क्षतिपूर्ति के संबंध में जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है, परन्तु चूंकि इस राशि पर ब्याज अदा करने का आदेश नहीं दिया गया है, अत: रमेश चंद्र यादव द्वारा प्रस्तुत की गई अपील इस सीमा तक स्वीकार होने योग्य है कि जिला उपभोक्ता मंच ने क्षतिपूर्ति की जिस राशि को अदा करने का आदेश दिया है उस पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज भी देय होगा।
आदेश
5. अपील संख्या 443/2020 निरस्त की जाती है तथा अपील संख्या 591/2021 इस प्रकार स्वीकार की जाती है कि जिला उपभोक्ता
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मंच ने जो क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है, उस पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज देय होगा।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार) अध्यक्ष सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-1