Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/1990

Union Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Ramesh Chandra Pandey - Opp.Party(s)

Rajesh Chadha

31 Mar 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/1990
( Date of Filing : 02 Sep 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Bank Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ramesh Chandra Pandey
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2012/872
( Date of Filing : 01 May 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Ramesh Chandra Pandey
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Union Bank Of India
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 31 Mar 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0, लखनऊ

 (मौखिक)

अपील सं0- 1990/2013

Branch Manager, Union Bank of India, Branch Nagwan, Uska Bazar, District Siddharth Nagar and Two Others.

                                                                              

                                          ……..Appellants

 

Versus

 

1. Ramesh Chandra Pandey, S/o Late Shri Chandra Shekhar Pandey, Village Tetri Buzrug, Tappa Nagwan, Post Uska Bazar, Pargana & Tehsil Nagod, District Siddharthnagar.

2. Reserve Bank of India, Mahatama Gandhi Marg, Kanpur.  

                                                                         ……..Respondents

     

समक्ष:-

   मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

   मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित   : श्री राजेश चड्ढा,

                                विद्वान अधिवक्‍ता।                                                                                                                                                              

प्रत्‍यर्थी सं0- 1 की ओर से उपस्थित : श्री आलोक कुमार सिंह,

                                विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0- 2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

 

                               एवं

 

अपील सं0- 872/2012

Ramesh Chandra Pandey aged 46 years S/o Late Shri Chandra Shekhar Pandey R/o Tetari Bujurg, Tappa Nagwan, PO- Uska Bazar, Pargana & Tehsil Naugarh, District Siddharthnagar.

                                                  ……..Appellant

 

Versus

1. Branch Manager, Union Bank of India, Branch Nagwan PO- Uska Bazaar, Pargana & Tehsil –Naugarh District Siddharth Nagar.

2. Regional Manager, Union Bank of India Regional Office, Gorakhpur.

3. Managing Director Union Bank of India Head Office, 239 Nariman Point, Mumbai-200021.

4. Reserve Bank of India, MG Marg, Kanpur. 

                                     ……..Respondents

 

समक्ष:-

   मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

   मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक कुमार सिंह, विद्वान अधिवक्‍ता।                                                                                                                                              

प्रत्‍यर्थीगण सं0- 1 ता 3 की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा,

                                         विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0- 4 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

 

दिनांक:- 31.03.2023

 

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.          परिवाद सं0- 19/2003 रमेश चन्‍द्र पाण्‍डेय बनाम शाखा प्रबंधक, यूनियन बैंक आफ इंडिया व तीन अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, सिद्धार्थनगर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 30.03.2012 के विरुद्ध परिवाद के विपक्षीगण सं0- 1 ता 3 की ओर से अपील सं0- 1990/2013 एवं परिवाद के परिवादी रमेश चन्‍द्र पाण्‍डेय द्वारा अपील सं0- 872/2012 योजित की गई है। चूँकि दोनों अपीलें एक ही निर्णय के विरुद्ध योजित की गई हैं, अत: दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक साथ किया जा रहा है।

2.          जिला उपभोक्‍ता आयोग ने प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश के माध्‍यम से परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया है:-

            ‘’परिवाद अंशत: केवल विपक्षी सं0- 1 के संदर्भ में स्‍वीकार करते हुए विपक्षी सं0- 1 को आदेशित किया जाता है कि वह निर्णय की तिथि से 3 माह के अन्‍दर मानसि‍क क्षतिपूर्ति के रूप में परिवादी को 20,000/-(बीस हजार) रूपये का भुगतान कर देवें एवं वाद व्‍यय के रूप में 500/-(पांच सौ)रूपये भुगतान कर दें एवं उपरोक्‍त धनराशि की वसूली यदि विपक्षी सं0- 1 बैंक चाहे तो तत्‍कालीन शाखा प्रबंधक से करने के लिए स्‍वतंत्र है।‘’ 

3.          जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश से उभयपक्ष संतुष्‍ट नहीं है। अत: उपरोक्‍त दोनों अपीलें उभयपक्ष की ओर से प्रस्‍तुत की गई हैं। 

4.          हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक कुमार सिंह एवं विपक्षीगण सं0- 1 ता 3 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया। विपक्षी सं0- 4 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

5.          इस मामले में परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कथन किया है कि परिवादी फर्म मेसर्स चन्‍द्र शेखर पाण्‍डेय फर्म का प्रोपराइटर है और फर्म के माध्‍यम से ईंट भट्ठे का कारोबार खानदानी रूप में करता है और व्‍यवसाय में दक्ष है। परिवाद पत्र के प्रस्‍तर 05 में परिवादी ने यह कहा है कि परिवादी ईंट निर्माण के कार्य में व्‍यावसायिक रूप से गति प्रदान कर रहा है। उक्‍त व्‍यवसाय के लिए कैश क्रेडिट लिमिट विपक्षी बैंक से लिए जाने का कथन परिवादी ने किया है। उक्‍त लिमिट रू0 2,50,000/- की दर्शायी गई है। परिवादी ने परिवाद पत्र में कहीं भी यह कथन नहीं किया है कि अपने उक्‍त व्‍यवसाय के लिए लिया गया कैश क्रेडिट लिमिट उसके जीवन यापन के लिए स्‍वरोजगार के माध्‍यम से किया जा रहा है। ईंट भट्ठे का कार्य भी जीवन यापन के उद्देश्‍य से स्‍वरोजगार के माध्‍यम से किया जाना परिवाद पत्र में उल्लिखित नहीं है।

6.          इस पीठ के समक्ष प्रश्‍न यह है कि क्‍या उक्‍त कारोबार जो परिवादी कर रहा है? उसके लिए कैश क्रेडिट लिमिट लिए जाने के संदर्भ में परिवादी धारा 2(1)(d) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत दी गई परिभाषा में उपभोक्‍ता की श्रेणी में आयेगा अथवा नहीं। यद्यपि यह प्रश्‍न विपक्षी बैंक की ओर से न ही परिवाद के स्‍तर पर और न ही अपील के स्‍तर पर उठाया गया है, किन्‍तु क्षेत्राधिकारिता का परीक्षण किया जाना प्रत्‍येक न्‍यायालय का कर्तव्‍य है एवं कोई भी निर्णय क्षेत्राधिकारिता से बाहर लिया जाना उचित नहीं है।

7.          उक्‍त प्रश्‍न पर मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय ओरियण्‍टल बैंक आफ कामर्स बनाम सुशील गुलाटी प्रकाशित I(2015)CPJ पृष्‍ठ 326(N.C.) में पारित निर्णय का उल्‍लेख करना उचित है। इस मामले में परिवादी ने अपने व्‍यवसाय के लिए रू0 3,00,000/- की कैश क्रेडिट लिमिट ओरियण्‍टल बैंक आफ कामर्स से प्राप्‍त की थी। मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा य‍ह निर्णीत किया गया कि परिवाद पत्र में कहीं भी यह व्‍यवसाय जीवन यापन हेतु स्‍वरोजगार के माध्‍यम से किया जाना उल्लिखित नहीं है एवं वाद पत्र के अनुसार कैश क्रेडिट लिमिट ‘’व्‍यवसाय’’ को बढ़ाने के लिए ली गई प्रतीत होती है। अत: परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 2(1)(d) के अंतर्गत उपभोक्‍ता की परिभाषा में नहीं आयेगा।

8.          मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा एक अन्‍य निर्णय स्‍टेट बैंक आफ इंडिया बनाम अनुराग टेक्‍सटाइल्‍स (राकेश ब्रदर्स) प्रकाशित 2003 पृष्‍ठ 86 (एन0सी0) भी इस सम्‍बन्‍ध में दिशा निर्देशन देता है। इस सम्‍बन्‍ध में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने परिवादी द्वारा ली गई कैश क्रेडिट लिमिट को व्‍यवसाय के लिए लिया जाना माना एवं यह अवधारित किया कि परिवादी उपभोक्‍ता की परिभाषा में नहीं आयेगा तथा वाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत पोषणीय नहीं है।

9.          मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित उपरोक्‍त निर्णयों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्‍तुत मामले में भी परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आयेगा। अत: परिवाद उपभोक्‍ता फोरम में पोषणीय नहीं है। तदनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश अपास्‍त होने योग्‍य एवं परिवाद के विपक्षी सं0- 1 ब्रांच मैनेजर, यूनियन बैंक आफ इंडिया व दो अन्‍य की ओर से प्रस्‍तुत की गई अपील सं0- 1990/2013 स्‍वीकार किए जाने योग्‍य तथा परिवाद के परिवादी रमेश चन्‍द्र पाण्‍डेय की ओर से प्रस्‍तुत की गई अपील सं0- 872/2012 निरस्‍त किए जाने योग्‍य है और परिवाद पोषणीय न होने के कारण खारिज किए जाने योग्‍य है।  

   

आदेश

10.         अपील 1990/2013 स्‍वीकार की जाती है एवं सम्‍बन्धित अपील सं0- 872/2012 निरस्‍त की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद पोषणीय न होने के कारण खारिज किया जाता है।             

अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

अपील सं0- 1990/2013 में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई है तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

इस निर्णय एवं आदेश की मूल प्रति अपील सं0- 1990/2013 में रखी जाए एवं इसकी प्रमाणित प्रतिलिपि सम्‍बन्धित अपील सं0- 872/2012 में रखी जाए।

            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।  

 

        (सुधा उपाध्‍याय)                              (विकास सक्‍सेना)

            सदस्‍य                                      सदस्‍य     

 

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 3

 

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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