राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-831/2023
(जिला उपभोक्ता आयोग, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद सं0-66/2021 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 13-04-2022 के विरूद्ध)
दक्षिणान्चल विद्युत वितरण निगम लि0 फिरोजाबाद द्वारा अधिशासी अभियन्ता, विद्युत नगरीय वितरण खण्ड प्रथम।
............अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
रमेश बाबू ओझा पुत्र स्व0 श्री भूदेव प्रसाद निवासी 82/4, लेबर कालोनी, जिला फिरोजाबाद।
.......... प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्रीमती माया सिन्हा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक :- 11-12-2023.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित।
निर्णय
प्रस्तुत अपील, इस आयोग के सम्मुख अपीलार्थी विद्युत विभाग द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग, फिरोजाबाद द्धारा परिवाद सं0-66/2021 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 13-04-2022 के विरूद्ध योजित की गयी है, जिसके अन्तर्गत निम्न आदेश पारित किया गया :-
'' परिवाद पत्र आंशिक रूप से एकपक्षीय स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी की अधिक जमा धनराशि 4,734/- रू0 एवं पूर्व में निर्णीत परिवाद सं0-191/2019 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17-02-2020 के अनुसार परिवाद व्यय के रूप में
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अधिरोपित धनराशि 2,000/- रू0 इस निर्णय के 30 दिन के अन्दर परिवादी को अदा करे। इसके अतिरिक्त बतौर परिवाद व्यय 2,000/- रू0 भी विपक्षी उक्त अवधि में परिवादी को अदा करे। ''
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्रीमती माया सिन्हा को अपील के अंगीकरण के बिन्दु पर सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों का परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
प्रस्तुत अपील विलम्ब से प्रस्तुत की गई है। विलम्ब देरी क्षमा प्रार्थना पत्र अपीलार्थी की ओर से मय शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। विलम्ब देरी क्षमा प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्तुत शपथ पत्र में अपील योजित किए जाने में हुए विलम्ब का स्पष्टीकरण पर्याप्त एवं उपयुक्त पाया जाता है। तदनुसार अपील प्रस्तुत किए जाने में हुआ विलम्ब क्षमा किया जाता है।
वाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी के यहॉं घरेलू विद्युत कनेक्शन सं0-1620591000, एक किलोवाट का संयोजित है। जनवरी, 2016 से विद्युत विभाग द्वारा गलत बिल भेजे गये, जिसका परिवाद जिला आयोग में चला। जिला आयोग के निर्णय दिनांक 17-02-2020 के अनुपालन में बिल 28,744/- रू0 दिनांक 29-09-2020 को प्रेषित किया गया, लेकिन बिल की सकल धनराशि में परिवाद व्यय की धनराशि 2,000/- रू0 का समायोजन नहीं किया गया। परिवाद व्यय की धनराशि 2000/- रू0 का समायोजन करने के उपरान्त शेष धनराशि 26,744/- रू0 की देयता परिवादी की बनती है। निष्पादन वाद सं0-13/2020 में जिला आयोग के निर्णय दिनांक 10-03-2021 के अनुपालन में परिवादी को उक्त शेष धनराशि को 09 समान मासिक किश्तों में अदा करना था। परिवादी ने दिनांक 15-03-2021 को एक सप्ताह के अन्दर 10,300/- रू0 जमा कर दिये। विपक्षी ने निष्पादन वाद के निर्णय के
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अनुपालन में परिवादी को अभी तक कोई सही बिल बनाकर नहीं दिया है और न ही किश्तें बनाकर दी जा रही हैं। परिवादी ने विपक्षी को एक प्रार्थना पत्र दिनांक 15-04-2021 को रजिस्टर्ड डाक से भेजा। इसके पश्चात् अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक नोटिस भी भेजा, लेकिन नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया। दिनांक 07-08-2020 को मीटर रीडिंग 13282 से आगे के अब तक के बिल विद्युत विभाग के मीटर रीडर द्वारा जो बिल हर महीने बनाकर दिये जा रहे हैं वे गलत हैं। विभाग के कर्मचारियों द्वारा जिला आयोग के आदेश की निरन्तर अवहेलना की जा रही है।
विद्वान जिला आयोग ने अपने प्रश्नगत निर्णय में स्पष्टत: यह उल्लिखित किया है, '' विपक्षी पर पंजीकृत डाक के माध्यम से नोटिस का प्रेषण कराया गया। बाबजूद तामील उपरान्त भी विपक्षी द्वारा अपनी उपस्थिति अभिलेख पर दर्ज नहीं कराई, न ही परिवाद के विरूद्ध प्रतिवाद पत्र दाखिल किया। अत: आदेश दिनांक 03-01-2022 के द्वारा विपक्षी के विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही की गयी। ''
विद्वान जिला आयोग ने अपने विस्तृत विवेचन में यह पाया कि पूर्व में विपक्षी के विरूद्ध योजित परिवाद दिनांक 17-02-2020 को निर्णीत हुआ, जिसके निष्पादन के अन्तर्गत 26,744/- रू0 परिवादी से 9 समान मासिक किश्तों में प्राप्त किये जाने हेतु विपक्षी को आदेशित किया गया, जिसके अनुपालन में परिवादी द्वारा दिनांक 15-03-2021 से नवम्बर, 2021 तक विपक्षी के पास 34,350/- रू0 जमा किये गये। विपक्षी द्वारा परिवादी के मोबाइल पर दिनांक 01-11-2021 को मैसेज दिया गया कि उस पर दिनांक 30-09-2021 तक के विद्युत बिल की कोई देयता शेष नहीं है, जबकि परिवादी का कथन है कि वह दिनांक 08-10-2021 को 4500/- रू0 व दिनांक 19-11-2021 को 4500/- रू0 जमा कर चुका है। अत: उक्त धनराशि परिवादी के आगे के विद्युत बिलों की कुल राशि 4266/- रू0 समायोजित होने के उपरान्त अवशेष धनराशि 4734/-
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रू0 परिवादी को वापस दिलायी जाये। विपक्षी द्वारा परिवादी के उक्त कथन का कोई खण्डन नहीं किया गया, जबकि परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में विद्वान जिला आयोग के समक्ष शपथ पत्र व अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किया गया। तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश पारित
किया गया।
अपील की सुनवाई के दौरान् अपीलार्थी की विद्वान अधिवक्ता श्रीमती माया सिन्हा द्वारा विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश को अवैधानिक बताते हुए तर्क किया गया कि परिवादी ने स्वयं पूरा भुगतान नहीं किया और परिवादी अनावश्यक रूप से विपक्षी को मुकदमे में उलझाये रखना चाहता है। उनका यह भी तर्क है कि विद्वान जिला आयोग के प्रश्नगत आदेश के अनुपालन में परिवादी को वांछित बिल बनाकर दे दिया गया था, परन्तु अपीलार्थी की ओर से अपील पत्रावली पर अपने उक्त कथन के समर्थन में कोई सारवान प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए एवं अपील पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों के परीक्षण एवं परिशीलन के उपरान्त मेरे विचार से विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय आदेश द्वारा पुन: जो 2000/- रू0 परिवाद व्यय की अदायगी हेतु विपक्षी को आदेशित किया गया है, वह न्यायोचित नहीं है, जो अपास्त किये जाने योग्य है। शेष आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है और उसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील अंगीकरण के स्तर पर ही आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, फिरोजाबाद द्धारा परिवाद सं0-66/2021 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 13-04-2022 में पुन: आदेशित
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परिवाद व्यय 2,000/- रू0 अपास्त किया जाता है। निर्णय के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।
राज्य उपभोक्ता आयोग के निबन्धक से अपेक्षा की जाती है कि अपीलार्थी द्वारा यदि अपील योजित करते समय कोई धनराशि जमा की गई हो तो उस धनराशि को अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार एक माह में सम्बन्धित जिला आयोग को प्रेषित किया जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा उक्त धनराशि का विधि अनुसार प्रश्नगत निर्णय के अनुपालन के सन्दर्भ में निस्तारण किया जा सके।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जावे।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-1,
कोर्ट नं0-1.