आदेश
1. आवेदक मो० शोएब ने इस आशय का आवेदन दिया कि वह प्राइवेट नौकरी करने के लिए सन-2001 में बाहर चला गया था और सन-2003 से 2009 तक सऊदी अरब में नौकरी करता था।
2. आवेदक का यह भी कथन है कि आवेदक पुनः दुबई सन 2010 में गया और 2014 तक दुबई में नौकरी किया।
3. आवेदक का यह भी कथन है कि सन-2001 से 2014 के बीच में मात्र एक महीने के लिए घर आया था।
4. आवेदक का यह भी कथन है कि इजराय वाद सं०-05/06 से सम्बंधित नोटिस दिनांक 21.05.2019 को उसे प्राप्त हुआ तब आवेदक पहली बार यह जाना कि उसके विरुद्ध कोई केस हुआ था।
5. आवेदक का यह भी कथन है कि इजराय वाद सं० 05/06 उपभोक्ता वाद सं 32/03 में पारित आदेश दिनांक 01.12.2005 के इजराय के लिए दाखिल किया।
6. आवेदक का यह भी कथन है कि अभिलेख देखने से यह स्पष्ट हो जाएगा कि इजराय वाद सं०-32/03 से सम्बंधित कोई नोटिस आवेदक को नहीं मिला, इसकी पुष्टि उपभोक्ता वाद सं०-32/03 में पारित आदेश दिनांक 01.12.2005 से हो जाती है। बिना नोटिस तामिला के विद्वान न्यायालय द्वारा एकपक्षीय आदेश बिना आवेदक को सुने पास कर दिया गया। आवेदक उस समय जब का यह मुकदमा है, मुंबई, सऊदी अरब और दुबई में रहता था। बिना उस पर नोटिस का तामिला हुए उसके विरुद्ध एकपक्षीय आदेश पारित कर दिया गया। माननीय फोरम द्वारा पारित उक्त आदेश विधि एवं तथ्य के अनुसार चलने योग्य नहीं है। आवेदक ने किसी प्रकार का धोखा एवं फ्रॉड विपक्षी के विरुद्ध नहीं किया ।
7. आवेदक का यह भी कथन है कि बेमानी पूर्ण उद्देश्य से झूठा आरोप लगते हुए। उपभोक्ता वाद सं०-32/03 दाखिल किया और फोरम इस कारण बिना आवेदक को सुने मामले में आदेश पारित कर दिया गया।
अतः अनुरोध है कि विद्धवान फोरम द्वारा उपभोक्ता वाद सं०-32/03 पारित एकपक्षीय आदेश दिनांक 01.12.2005 को वापस लेकर मामले में आवेदक के पक्ष को सुनकर गुण-दोष के आधार पर उपभोक्ता वाद सं०-32/03 में आदेश पारित करने की कृपा करें। विपक्षी जो कि उपभोक्ता वाद सं०-32/03 का परिवादी था, ने अपना जवाब विविध वाद आवेदन सं०-02/03 के परिपेक्ष्य में दाखिल किया।
8. विपक्षी का कथन है कि आवेदक द्वारा लाया गया विविध वाद विधि एवं तथ्य के अनुसार चलने योग्य नहीं है। आवेदक जानबूझ फोरम द्वारा पारित आदेश में देय रकम को हड़पने के नियत से एवं विपक्षी को परेशान करने के लिए यह झूठा विविध वाद आवेदन लाया है।
9. विपक्षी का यह भी कथन है कि उसके द्वारा उपभोक्ता वाद सं०-32/03 में आवेदक की उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु पर्याप्त करवाई किया गया। निबंधित नोटिस डाक वापस आने पर विधिवत समाचार पत्र दैनिक जागरण में प्रकाशन हुए उसके पश्चात् एकपक्षीय करवाई प्रारंभ किया गया।
10. आवेदक को उपभोक्ता वाद सं०-32/03 की पूर्ण जानकारी थी। वह जानबूझ कर फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं होना चाहता था। आवेदक ने विपक्षी को खराब खपड़ा की आपूर्ति किया जो प्रथम बारिश में ही गल गया। वह बीस सालों से परेशान है। सन-2005 में फोरम से डिग्री प्राप्त होने के बाद भी लगभग 15 साल से उसके क्रियान्वयन के लिए भटक रहा है। आवेदक विपक्षी को परेशान करने की नियत से तथा उपभोक्ता वाद सं०-32/03 में पारित आदेश के अनुपालन को लंबित रखने के लिए यह विविध वाद लाया है । जो ख़ारिज होने योग्य है।
दोनों पक्षों के तर्क को सुना अभिलेख का अवलोकन किया आवेदक के विरुद्ध उपभोक्ता वाद सं०-32/03 विपक्षी ने दाखिल किया, और आवेदक की उपस्थित के लिए निबंधित डाक से नोटिस भेजा जो बिना तामिला वापस आ गया। उसके पश्चात विपक्षी ने दैनिक जागरण अख़बार में आवेदक की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए इस्तहार निकलवाया इसके बाद भी जब विपक्षी फोरम के समक्ष मामले में प्रतिरोध करने के लिए उपस्थित नहीं हुआ तो तत्कालीन विद्धवान फोरम द्वारा विपक्षी पर तामिला घोषित करते हुए दिनांक 01.12.2005 को एकपक्षीय आदेश पारित कर दिया। उक्त आदेश के पारित हुए लगभग 14 साल हो गया। उसके इजराय के लिए विपक्षी ने इजराय वाद सं० 05/06 दाखिल किया। जिसमें भी आवेदक की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए दैनिक जागरण समाचार पत्र में इस्तहार विपक्षी द्वारा निकलवाया गया। इससे लगता है कि आवेदक जानबूझ कर तत्कालीन फोरम के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं किया। जिससे तत्कालीन फोरम द्वारा एकपक्षीय आदेश पारित करना पड़ा। इजराय वाद में भी विपक्षी ने NOV-2006 में ही दैनिक समाचार पत्र में इस्तहार निकलवाया था। उसके लगभग 13 वर्ष बाद आवेदक फोरम के समक्ष उपस्थित होकर यह विविध वाद उपभोक्ता वाद सं०-32/03 में पारित एकपक्षीय आदेश दिनांक 01.12.2005 को वापस लेने का अनुरोध किया। इस फोरम के न्यायिक चेतना के अनुसार आवेदक जानबूझ कर फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हो रहा था। वह तत्कालीन फोरम द्वारा उपभोक्ता वाद-32/03 में पारित आदेश दिनांक 01.12.2005 के इजराय वाद सं०-05/06 को लंबित रखने के लिए इस तरह का आवेदन लाया है जो विधि एवं तथ्य के अनुसार चलने योग्य नहीं है।
अतः आवेदक द्वारा दाखिल इस विविध वाद आवेदन को ख़ारिज किया जाता है।