राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2859/2013
(जिला मंच शाहजहांपुर द्वारा परिवाद सं0-२०३/२०१२ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १६/११/२०१३ के विरूद्ध)
मै0 भारती एयरटेल लिमिटेड टीसीजी७/७ विभूति खण्ड गोमती नगर लखनऊ।
.............. अपीलार्थी
बनाम्
रामानन्द श्रीवास्तव एडवोकेट आयु ४७ वर्ष पुत्र श्री कृष्ण बहादुर श्रीवस्तव निवासी मो0 बाबूजई कटाबाग जिला शाहजहांपुर।
............... प्रत्यर्थी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री शिव विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- सुश्री तारा गुप्ता विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 28/11/2017
मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच शाहजहांपुर द्वारा परिवाद सं0-२०३/२०१२ रामानन्द श्रीवास्तव बनाम कार्यालय एयरटेल मोबाईल एवं अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १६/११/२०१३ के विरूद्ध योजित की गयी है ।
संक्षेप में विवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलकर्ता/विपक्षी से एयरटेल मोबाईल का एक सिम कार्ड नम्बर-८९९१५४०६१२२०२००५०२२ मोबाईल नम्बर-९००५३३४०३२ के लिए क्रय किया गया और उसके लिए उसने अपनी वोटर आई0डी0 भी दी थी। सिम खरीदने के कुछ समय बाद परिवादी के मोबाईल पर एक फोन आया जिसमें कहा गया कि वह मोबाईल नम्बर उसका है और कुछ दिन बाद दिनांक १९/०८/२०१२ को उक्त मोबाईल का सिम रजिस्ट्रेशन फेल हो गया । उसने सिम विक्रेता कम्पनी एयरटेल से संपर्क किया किन्तु उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया । इस प्रकार विपक्षी अपीलकर्ता के स्तर पर सेवा में कमी हुई जिससे क्षुब्ध होकर उसने परिवाद सं0-२०३/२०१२ जिला मंच शाहजहांपुर के समक्ष दायर किया।
विपक्षी की ओर से उक्त परिवाद का प्रतिवाद किया गया और कहा गया कि यह परिवाद उपभोक्ता फोरम के क्षेत्राधिकार के बाहर है और खारिज होने योग्य है।
जिला मंच द्वारा उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का परिशीलन करने के बाद निम्न आदेश पारित किया गया-
‘’ विपक्षी एयरटेल कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि परिवादी ने सिम कार्ड से मोबाईल नम्बर-९००५३३४०३२ जो अपनी आई0डी0 लगाकर क्रय किया था उसे पुन: चालू करे।
विपक्षी परिवादी को पहुंचायी गयी मानसिक कष्ट की प्रतिपूर्ति के रूप में रू0 २०००/- तथा वाद व्यय के रूप में रू0 १०००/- भी परिवादी को अदा करे। ‘’
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील दायर की गयी है।
अपील में जो आधार लिए गए हैं उसमें कहा गया है कि यह आक्षेपित आदेश दिनांक २०/०८/२०१३ त्रुटिपूर्ण है और विधि के विरूद्ध है। अपील के आधार में यह भी कहा गया है कि प्रस्तुत प्रकरण निगरानी सं0-२५९२/२०१० भारती एयरटेल लि0 बनाम नितिन जैन में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक ०३/०७/२०१३ में प्रतिपादित सिद्धांत लागू होते हैं जिसमें कहा गया है कि यह उक्त प्रकरण इंडियन टेलीग्राफ एक्ट की धारा ०७बी से आच्छादित होने के कारण बाधित है और जिसमें उपभोक्ता फोरम को सुनवाई का कोई अधिकार नहीं है। इस तथ्य की विद्वान जिला मंच द्वारा अनदेखी करके प्रश्नगत आदेश पारित किया गया है। अपील में यह भी अभिकथन किया गया है कि भारत सरकार के कम्प्यूनीकेशन एवं इनफारमेशन टेक्नालोजी के आदेश सं0-800-04/2003-VAS(Vol.II)/104 दिनांक २२/११/२००६ के अनुसार उपभोक्ता का सतप्रतिशत सत्यापन किया जाना आवश्यक है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने सत्यापन के लिए आवश्यक अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए थे और यह प्रकरण निगेटिव वेरीफिकेशन का है। अपील के आधार में यह भी कहा गया है कि उक्त मोबाईल नम्बर पूर्व में श्री भूमि पाल सिंह को दिनांक २७/०७/२०१२ को उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए वैध परिचय पत्र के आधार पर उन्हें निर्गत किया गया था। यदि किसी उपभोक्ता द्वारा आवश्यक अभिलेख अपनी पहचान को सत्यापन हेतु उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं और उसके पते का सत्यापन यदि नहीं हो पता है तो सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे फोन बन्द कर दिए जाते हैं। इस प्रकरण में परिवादी द्वारा गलत तथ्य अपने परिवाद में अंकित किए गए हैं और एक झूठी कहानी गढी थी कि फोन बन्द होने के कारण अपने पिता की मृत्यु की सूचना अपने रिश्तेदारों को नहीं दे सका। अपील में यह भी कहा गया है कि उसके पिता की मृत्यु दिनांक १८/०५/२०१२ को हो गयी थी जबकि फोन का सिम दिनांक २०/०७/२०१२ को क्रय किया था। पिता की मृत्यु की सूचना देने का बिन्दु विद्वान जिला मंच से संवेदनाएं प्राप्त करने की दृष्टि से गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
अपील का प्रत्यर्थी की ओर से विरोध किया गया है।
अपीलकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री शिव एवं प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता सुश्री तारा गुप्ता उपस्थित हैं। उनके तर्कों को सुना गया एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
यह प्रकरण इंडियन टेलीग्राफ एक्ट की धारा ०७बी से आच्छादित नहीं है जैसा कि अपीलकर्ता द्वारा अपनी अपील के आधार में लिया गया है और यह प्रकरण उपभोक्ता फोरम में चलने योग्य है।
पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने संपूर्ण तथ्य विद्वान जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए। अपीलकर्ता ने अपील के साथ उपरोक्त उल्लिखित मोबाईल नम्बर-९००५३३४०३२ के लिए श्री भूमि पाल सिंह पुत्र धनपाल सिंह का एक आवेदन पत्र प्रस्तुत किया है जिसके अनुसार उपरोक्त उल्लिखित मोबाईल नम्बर श्री भूमिपाल सिंह को निर्गत किया गया है। यदि प्रस्तुत किये परिचय में दिये गये उपभोक्ता का पता तथा अन्य विवरण सत्यापित नहीं होते हैं तो मोबाईल कम्पनी को यह पूर्ण अधिकार है कि वह ऐसे निर्गत किए गए किसी भी मोबाईल नम्बर को सुरक्षा की दृष्टि से बन्द कर सकता है। यह अवश्य है कि उक्त मोबाईल नम्बर प्रत्यर्थी/परिवादी को टेलीफोन कम्पनी द्वारा निर्गत किया गया था किन्तु सत्यापन में उक्त मोबाईल धारक का परिचय संबंधी विवरण सत्यापन नहीं हुआ। अत: दिनांक १९/०८/२०१२ को उक्त मोबाईल नम्बर बन्द कर दिया गया, किन्तु मोबाईल बन्द करने तथा इसी मोबाईल नम्बर को किसी अन्य ग्राहक को निर्गत करने से पूर्व अपीलार्थी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को सूचित करना चाहिए था कि उसकी आई0डी0 का सत्यापन न होने के कारण उसे बन्द किया जा रहा है। इसमें उपभोक्ता का मोबाईल बन्द करने से अपीलकर्ता मोबाईल कम्पनी के स्तर पर सेवा में कमी की गयी है। यदि यह मोबाईल नम्बर किसी अन्य ग्राहक को निर्गत कर दिया गया है तो कोई अन्य मोबाईल नम्बर प्रत्यर्थी की आई0डी0 का सत्यापन करने के बाद निर्गत किया जाना चाहिए। अपीलकर्ता की अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी की अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। अपीलकर्ताको निर्देशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी की आई0डी0 का सत्यापन कर अन्य मोबाईल नम्बर निर्गत करे। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार निर्गत की जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चन्द)
पीठासीन सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र, कोर्ट-5