Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/1041

UCO Bank Gola - Complainant(s)

Versus

Rama Kant - Opp.Party(s)

K. Saran

16 Jan 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/1041
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. UCO Bank Gola
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Rama Kant
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 16 Jan 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।                                                          

सुरक्षित

अपील सं0-१०४१/२००५

 

(जिला मंच, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद सं0-६९/२००३ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २५-०५-२००५ के विरूद्ध)

 

१. यूको बैंक गोला ब्रान्‍च गोला, जिला खीरी द्वारा मैनेजर।

२. मैनेजर, यूको बैंक, गोला ब्रान्‍च, परगना हैदराबाद, जिला लखीमपुर खीरी।

३. कैशियर, यूको बैंक, गोला ब्रान्‍च परगना हैदराबाद, जिला लखीमपुर खीरी।

                                              ............ अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।

बनाम

 

रमाकान्‍त (अवयस्‍क) पुत्र स्‍व0 चूणामणि द्वारा मॉं श्रीमती गुड्डी देवी पत्‍नी स्‍व0 चूणामणि निवासी ग्राम गोपालपुर, परगना भूड, जिला खीरी।

............      प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित   : श्री के0 शरण विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।

 

दिनांक :-  ३१-०१-२०१८.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद सं0-६९/२००३ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २५-०५-२००५ के विरूद्ध योजित की गई है।

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी जाति का कोरी हरिजन है। उसके पिता स्‍व0 चूणामणि की हत्‍या दिनांक २७/२८-०१-२००२ को की गई। कत्‍ल के आरोप में परिवादी की मॉं एवं निर्मल कुमार कुर्मी को गलत रूप से फसा दिया गया था। उसकी मॉं जेल में थी, परिवादी तथा उसकी नाबालिग बहनों की देखभाल परिवाद का विपक्षी सं0-३ राकेश कुमार परिवादी के घर में रह कर करता था तथा परिवादी एवं उसकी मॉं की भूमि की पैदावार से अपना व परिवादी व उसकी बहनों का खर्च चलाता था।

 

-२-

पिताजी की हत्‍या के बाद सरकार की तरफ से परिवादी को १,४९,३६६/- रू० मिला। अपीलार्थीगण तथा परिवाद के विपक्षी सं0-३ ने आपस में साठगॉंठ करके परिवादी के नाबालिग होने के बाबजूद परिवादी का खाता नाबालिग के संरक्षक की बजाय सेल्‍फ खाता खोला गया तथा इस खाते में परिवादी को सरकार की ओर से क्षतिपूर्ति के रूप में मिली उक्‍त धनराशि दिनांक ०४-१०-२००२ को जमा कराई गई। परिवादी के उक्‍त खाते से अपीलार्थी सं0-२ व ३ तथा परिवाद के विपक्षी सं0-३ ने मिल कर दिनांक ०८-१०-२००२ को ८०,०००/- रू०, दिनांक ३०-१०-२००२ को ३५,०००/- रू० तथा दिनांक ०१-११-२००२ को ५,०००/- रू० अवैध रूप से निकाल लिया तथा अपीलार्थी सं0-२ व ३ एवं परिवाद के विपक्षी सं0-३ ने उपरोक्‍त रूपये आपस में बॉंट लिए। अत: परिवादी ने कथित रूप से अपीलार्थी सं0-२ व ३ तथा परिवाद के विपक्षी सं0-३ द्वारा परिवादी के खाते से निकाले गये १,२०,०००/- रू० दिलाऐ जाने तथा खाते की शेष धनराशि निकलवाने तथा क्षतिपूर्ति के रूप में ५०,०००/- रू० दिलाए जाने हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया।

      अपीलार्थी सं0-१ व २ की ओर से प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। अपीलार्थी सं0-१ व २ के कथनानुसार परिवादी के नाम खाता नियमानुसार खोला गया तथा सभी औपचारिकताऐं पूर्ण कराई गईं। क्‍योंकि परिवादी की आयु १० वर्ष से अधिक थी तथा उसमें खाते को संचालित करने तथा धन आहरित करने व उसे समुचित तरीके से रखने व लिख पढ़कर समझने की पूर्ण क्षमता थी, अत: उसे खाता चलाने की अनुमति दी गई थी। परिवादी के नाम खाता खोलने तथा धन आहरण के मामले में बैंक तथा अपीलार्थीगण ने अपने कर्त्‍तव्‍यों के पालन में कोई त्रुटि नहीं की तथा आहरण में पूर्ण सतर्कता का पालन करते हुए परिवादी के साथ आये खास सम्‍मानित लोगों के सामने उनके लिखित साक्ष्‍य में धन आहरित कराया गया।

      विद्वान जिलामंच ने परिवाद अपीलार्थी सं0-१ व २ के विरूद्ध व्‍यक्तिगत रूप से स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी सं0-१ व २ को आदेशित किया कि वे आदेश की तिथि से एक माह के अन्‍दर परिवादी के खाते में १,२०,०००/- रू० जमा करें तथा दिनांक ०१-११-२००२    से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक इस धनराशि पर ०६ प्रतिशत साधारण ब्‍याज भी अदा

 

 

-३-

करें। इसके अतिरिक्‍त परिवादी को हुए मानसिक व शारीरिक कष्‍ट की क्षतिपूर्ति के लिए २०००/- रू० तथा वाद व्‍यय के रूप में १०००/- रू० भी अदा करें।    

      इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गई।

      हमने अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री के0 शरण के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्‍यर्थी की ओर से तर्क प्रस्‍तुत करने हेत कोई उपस्थित नहीं हुआ।

      अपीलार्थीगण की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी के पक्ष में प्रश्‍नगत खाता खोले जाते समय परिवाद के विपक्षी सं0-३ श्री राकेश कुमार जिनके द्वारा परिवादी तथा उसकी नाबालिग बहनों की परवरिश की जा रही थी उपस्थित हुए। उनके द्वारा यह सूचित किया गया कि परिवादी रमाकान्‍त के पिता श्री चूणामणि की हत्‍या हो गई है और उसकी मॉं पर इस हत्‍या का आरोप होने के कारण वह जेल में है। उनके द्वारा यह भी सूचित किया गया कि परिवादी अनुसूचित जाति का है। उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा क्षतिपूर्ति के रूप में उसके नाम एकाउण्‍ट पेयी चेक जारी किया जायेगा। परिवादी रमाकान्‍त तथा राकेश कुमार द्वारा यह सूचित किया गया कि रमाकान्‍त पढ़ा नहीं है किन्‍तु वह पढ़ सकता है तथा अपना नाम लिख सकता है। यह भी सूचित किया गया कि उसकी आयु १४ वर्ष से अधिक है। खाद्य विभाग द्वारा जारी राशन कार्ड भी दिखाया गया। परिवादी की उम्र से सन्‍तुष्‍ट होने के उपरान्‍त अपीलार्थी सं0-२ ने परिवादी को खाता खोलने का फार्म प्रापत कराया। परिवादी का परिचय एक अन्‍य खाताधारक जो उसे जानता था द्वारा किया गया। सभी औपचारिकताऐं पूर्ण किए जाने के उपरान्‍त ही परिवादी के नाम बचत खाता सं0-७३५१ दिनांक २१-०९-२००२ को खोला गया। दिनांक ०४-१०-२००२ को उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा परिवादी के नाम प्रदान की गई धनराशि १,४९,६३६/- रू० जमा की गई। तदोपरान्‍त खाताधारक रमाकान्‍त उसके रिश्‍तेदार राकेश कुमार, उसके ताऊ नारायण लाल तथा गॉंव के उप प्रधान बैंक आये। उप प्रधान द्वारा सत्‍यापित किया गया कि धनराशि की आवश्‍यकता परिवादी के हित के लिए है। अत: परिवादी ने दिनांक ०८-१०-२००२ को विदड्राल फार्म भरकर ८०,०००/- रू० आहरित किया, दिनांक २३-१०-२००२ को ३५,०००/- रू० एवं दि० ०१-११-२००२

 

 

-४-

को ५,०००/- रू० आहरित किया। परिवादी की मॉं ने जेल से छूट कर आने के उपरान्‍त परिवादी के नाम से यह परिवाद योजित किया।

      इस सन्‍दर्भ में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने यूको बैंक के मेनुअल आफ इन्‍स्‍ट्रक्‍शन चेप्‍टर-२ की फोटोप्रति जिसे अपील मेमो के साथ संलग्‍नक-३ के साथ दाखिल की गई है, की ओर हमारा ध्‍यान आकृष्‍ट किया जिसमें यह तथ्‍य उल्लिखित है कि बचत खाता १० वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके अवयस्‍क द्वारा खोला जा सकता है। परिवादी द्वारा खाता खोलते समय बैंक में प्रस्‍तुत की गई राशन कार्ड की फोटोप्रति अपील मेमो के साथ संलग्‍नक-१ के रूप में दाखिल की गई जिसमें परिवादी की आयु १४ वर्ष अंकित है। खाता खोलने हेतु परिवादी द्वारा बैंक में भरे गये फार्म की फोटोप्रति संलग्‍नक-२ के रूप में दाखिल की गई है जिसमें परिवादी की फोटो अंकित है। इस फार्म पर परिवादी ने अपने हस्‍ताक्षर होने से इन्‍कार नहीं किया है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपील मेमो के साथ संलग्‍न, संलग्‍नक-४ की ओर भी हमारा ध्‍यान आकृष्‍ट किया। यह प्रमाण पत्र गॉंव पंचायत गोपालपुर के उप प्रधान गोविन्‍द प्रसाद द्वारा जारी किया गया है जिसमें उप प्रधान द्वारा यह प्रमाणित किया गया है कि दिनांक ०८-१०-२००२ को परिवादी के हित में खर्च करने हेतु ८०,०००/- रू० निकाला गया।

      प्रस्‍तुत प्रकरण में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने नाम अपीलार्थी बैंक में खाता खोले जाने तथा इस खाते से विद्ड्राल फार्म भरकर उसके हस्‍ताक्षर से धनराशि निकाले जाने के तथ्‍य से इन्‍कार नहीं किया है। परिवादी की ओर से दाखिल किए गये अभिलेखों के अवलोकन से यह विदित होता है कि १० वर्ष से अधिक आयु के अवयस्‍क के पक्ष में सेल्‍फ खाता नियमानुसार खोला जा सकता है। परिवादी का यह कथन है कि अपीलार्थी सं0-२ व ३ तथा परिवाद के विपक्षी सं0-३ द्वारा साजिश करके इस खाते से धनराशि निकाल ली गई। ऐसी परिस्थिति में वास्‍तव में प्रस्‍तुत प्रकरण में बैंक द्वारा सेवा में त्रुटि का कोई विवाद विदित नहीं हो रहा है। स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन नहीं है कि अनधिकृत रूप से उसके खाते से धन निकाले जाने की कोई शिकायत उसके द्वारा बैंक के किसी अधिकारी से कभी की गई अथवा इस सन्‍दर्भ में कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा लिखाई गई।

 

 

-५-

जहॉं तक प्रत्‍यर्थी/परिवादी को धोखे में रखकर धनराशि निकाले जाने का प्रश्‍न है हमारे विचार से यह विवाद उपभोक्‍ता विवाद की श्रेणी में नहीं माना जा सकता। परिवादी सक्षम न्‍यायालय से इस सन्‍दर्भ में अनुतोष प्राप्‍त करने के लिए स्‍वतन्‍त्र होगा। हमारे विचार से प्रश्‍नगत निर्णय क्षेत्राधिकार के अभाव में पारित किए जाने के कारण अपास्‍त करते हुए अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।   

   आदेश

प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद सं0-६९/२००३ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २५-०५-२००५ अपास्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जाता है। परिवादी सक्षम न्‍यायालय में इस सन्‍दर्भ में अनुतोष प्राप्‍त करने के लिए स्‍वतन्‍त्र होगा।

अपीलीय व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

     

                                                 (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                  पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                   (गोवर्द्धन यादव)

                                                       सदस्‍य

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-३.   

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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