(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1258/2008
The New India Insurance Co. Ltd Versus Ram Vriksh Gupta & other
दिनांक : 13.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-208/2006, रामवृक्ष गुप्ता बनाम दि न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0 व अन्य में विद्वान जिला आयोग, गाजीपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06.05.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री बी0पी0 दुबे एवं प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री आर0के0 मिश्रा को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमित वाहन सं0 यू0पी0 61सी 6286 के बीमित अवधि के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर अंकन 2,20,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है यथार्थ में परिवादी द्वारा बीमित ट्रैक्टर दिनांक 04.06.2005 को एक बारात ले जाने के लिए प्रयोग किया जा रहा था। रेलवे क्रासिंग पर ट्रैक्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ है, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को ज्यों-का-त्यों सत्य मानते हुए भी चूंकि ट्रैक्टर बीमित था। बीमित अवधि के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है, उसका प्रयोग बारात ले जाने के लिए किया जा रहा था, जैसा कि स्वयं परिवाद पत्र में वर्णित तथ्यों के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है। ट्रैक्टर को रेलवे क्रासिंग के पास ट्रक द्वारा टक्कर मारी गयी, इसलिए रेलवे क्रासिंग के पास ट्रैक्टर को ले जाना माना जाना चाहिए कि उसका प्रयोग खेती कार्यों के अलावा अन्य कार्यों मे किया जा रहा था, इसलिए 25 प्रतिशत की कटौती करने के पश्चात बीमा क्लेम अदा किया जाना चाहिए। अत: क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 2,20,000/-रू0 में से 25 प्रतिशत कटौती करते हुए अवशेष राशि बीमा क्लेम के रूप में देय बनती है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश में अपीलार्थी अंकन 2,20,000/-रू0 में से 25 प्रतिशत कटौती करने के पश्चात अंकन 1,65,000/-रू0 को परिवादी को अदा करें।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2