(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2026/2006
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा उपाध्यक्ष
बनाम
राम विलास
पता-650/28, कबूल नगर शाहदरा, दिल्ली
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अरविन्द कुमार, विद्धान अधिवक्ता के
सहयोग अधिवक्ता श्री मनोज कुमार
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :12.10.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-182/1998, रामविलास बनाम गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में विद्वान जिला आयोग, गाजियाबाद द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 25.07.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री अरविन्द कुमार के सहयोगी अधिवक्ता श्री मनोज कुमार को सुना गया एवं प्रत्यर्थी की ओर तामीला के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता मंच ने परिवादी को आवंटित मकान के दुरूस्त कराने में खर्च हुई राशि अंकन 85,000/-रू0 18 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश दिया है, साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रू0 एवं वाद व्यय हेतु 2,200/-अदा करने के लिए भी आदेशित किया गया है।
3. जिला उपभोक्ता मंच ने इस बिन्दु पर विस्तृत साक्ष्य की व्याख्या की है कि परिवादी को जो मकान प्राधिकरण द्वारा दिया गया है, वह कब्जे के लिए तैयार नहीं है, इसलिए परिवादी को इस मकान में रिहायश के उद्देश्य से अंकन 85,000/-रू0 की राशि खर्च करनी पड़ी है। इस तथ्य को शपथ पत्र द्वारा साबित किया गया है, जिसका कोई खण्डन पत्रावली पर मौजूद नहीं है। अत: जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है, सिवाय इसके कि परिवादी को देय राशि पर ब्याज 18 प्रतिशत के स्थान पर 09 प्रतिशत किया जाये। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि ब्याज की देयता 18 प्रतिशत के स्थान पर 6 प्रतिशत की दर से देय होगी। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3