Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/377

Mahindra and Mahindra Financial Services - Complainant(s)

Versus

Ram Ugra Yadav - Opp.Party(s)

Amol Kumar

20 Nov 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/377
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Mahindra and Mahindra Financial Services
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ram Ugra Yadav
q
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 20 Nov 2017
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-377/2009

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, गोण्‍डा द्वारा परिवाद संख्‍या-130/2006 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.09.2007 के विरूद्ध)

 

मै0 महेन्‍द्रा एण्‍ड महेन्‍द्रा फाइनेन्शियल सर्विसेज लि0, कारपोरेट आफिस सधाना हाउस, द्वितीय तल, 570 पी0बी0 वर्ली मुम्‍बई एण्‍ड लखनऊ ब्रांच महेन्‍द्रा टावर, अपोजिट हाल लखनऊ द्वारा एग्‍जीक्‍यूटिव लीगल आफिसर, मोहित वर्मा।
                                                    अपीर्थीगण/विपक्षीगण

बनाम्     

राम उग्र यादव पुत्र परमेश्‍वर यादव, निवासी ग्राम बलुहा, तहसील व जिला गोण्‍डा, गोण्‍डा।

                               प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्‍य।             

2. माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित      : श्री आदिल अहमद, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित       : श्री आर0के0 सिंह राज, विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक 11.01.2018

 

मा0 श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

यह अपील, परिवाद संख्‍या-130/2006, राम उग्‍गर यादव बनाम प्रबन्‍धक महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0 व अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोण्‍डा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.09.2007 से क्षुब्‍ध होकर विपक्षीगण/अपीलार्थीगण की ओर से याजित की गयी है, जिसके अन्‍तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्‍नवत् आदेश पारित किया गया है :-

'' परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी गाड़ी जीप सं0 यू.पी. 43/C-9978 पंजीकृत स्‍वामी राम उग्‍गर यादव को आदेश प्राप्ति के एक माह के अन्‍दर वापस करें। यदि कोई अवशेष धनराशि परिवादी द्वारा जमा धनराशि के बावजूद बचती है तो विधिक तरीके से हिसाब लगाकर विपक्षी परिवादी से आसान किश्‍तों में लेवे। मानसिक कष्‍ट व आर्थिक नुकसान के लिए सांकेतिक मु0 1000/- रूपये एवं वाद व्‍यय मु0 1000/- रूपये कुल मु0 11000/- विपक्षीगण परिवादी को देवे या यदि बकाया अवशेष परिवादी के जिम्‍मे है तो उसमे समायोजित करें। ''

प्रस्‍तुत प्रकरण के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने एक महिन्‍द्रा जीप पंजीयन संख्‍या यू0पी0 43 सी 9978 हायर पर्चेजिंग स्‍कीम के तहत दिनांक 09.11.2001 को मु0 290000/- रूपये 9.4 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज पर विपक्षी संख्‍या-1 से ऋण लेकर क्रय की थी। परिवादी द्वारा ऋण का भुगतान नियमानुसार करता आ रहा था। परिवादी द्वारा कुल 295652/- विपक्षी को अदा कर दिये गये थे। विपक्षी ने परिवादी से धोखे से सादे कागज पर हस्‍ताक्षर बनवा कर जुलाई 2003 में प्रश्‍नगत वाहन अपने कब्‍जे में ले लिया। विपक्षी द्वारा उपरोक्‍त वाहन खिचवा लेने के बाद भी परिवादी ने रू0 86500/- विपक्षी के यहां जमा किये, किन्‍तु विपक्षी ने वाहन की कोई सूचना नहीं दी और न ही वाहन लौटाया, जिससे क्षुब्‍ध होकर प्रश्‍नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।

विपक्षीगण पर्याप्‍त तामीला के बावजूद भी उपस्थित नहीं हुए और न ही उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत किया गया। अत: जिला फोरम द्वारा विपक्षीगण विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही करते हुए उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.09.2007 पारित किया गया है।

उक्‍त आदेश दिनांक 06.09.2007 से क्षुब्‍ध होकर यह अपील दायर की गई है। अपील सुनवाई हेतु पीठ के समक्ष प्रस्‍तुत हुई। अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आदिल अहमद तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0के0 सिंह राज उपस्थित हुए। विद्वान अधिवक्‍तागण को विस्‍तार से सुना गया एवं प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्‍ध अभिलेखों का गम्‍भीरता से परिशीलन किया गया।

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने मुख्‍य रूप से यह तर्क प्रस्‍तुत किया कि जिला फोरम का निर्णय एवं आदेश एकपक्षीय है। हायर परचेज स्‍कीम में वाहन खरीदा गया था। आरबिट्रेशन एण्‍ड कन्‍सीलिएशन एक्‍ट 1996 के प्राविधानों के अनुसार यह मामला आरबिट्रेशन को रेफर होना चाहिये। परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा ऋण का भुगतान दिनांक 31.07.2003 तक नहीं किया गया। संविदा के अनुसार पुलिस को सूचित कर वाहन को कस्‍टडी में ले लिया गया। परिवादी बकाया धनराशि जमा कर देता है तो वाहन रिलीज कर दिया जायेगा। अत: अपीलार्थीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि यह अपील कालबाधित है। यह अपील, पुनर्स्‍थापन प्रार्थना पत्र निरस्‍त होने के एक साल बाद तथा निर्णय के 16 माह बाद योजित की गयी है। वाहन परचेज स्‍कीम के अन्‍तर्गत दिनांक 09.11.2001 को रू0 290000/- 9.4 प्रतिशत ब्‍याज की दर से ऋण लेकर जीप खरीदी गयी थी। प्रत्‍यर्थी द्वारा कुल रू0 295652/- जमा किया जा चुका है, इसके बावजूद भी वाहन खींच लिया गया तथा बेच दिया गया है। वाहन की नीलामी की सूचना भी प्रत्‍यर्थी को नहीं दी गयी। नीलामी खुली प्रक्रिया के आधार पर नहीं की गयी है। विक्रय की भी कोई सूचना नहीं दी गई है।

आधार अपील एवं सम्‍पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया, जिससे यह तथ्‍य विदित होता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने हायर पर्चेजिंग स्‍कीम के अन्‍तर्गत दिनांक 09.11.2001 को मु0 290000/- रूपये 9.4 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज दर पर विपक्षी/अपीलार्थी से ऋण लेकर प्रश्‍नगत जीप क्रय की थी। परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने किश्‍तों में कुल 295652/- रूपये अपीलार्थी/विपक्षी को अदा कर दिये थे, किन्‍तु इसके बावजूद भी अपीलार्थी/विपक्षी ने वाहन खिंचवा लिया। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि आरबिट्रेशन एण्‍ड कन्‍सीलिएशन एक्‍ट 1996 के अनुसार यह मामला आरबिट्रेशन को रेफर होना चाहिये, यह तर्क स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है, क्‍योंकि उपभोक्‍ता अधिनियम एक अतिरिक्‍त अधिनियम है। प्रश्‍नगत मामले की सुनवाई करने का अधिकार उपभोक्‍ता फोरम को प्राप्‍त है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने लिखित बहस में तर्क प्रस्‍तुत किया है कि परिवादी बकाया धनराशि जमा कर दे तो वाहन उनके पक्ष में रिलीज कर दिया जायेगा। जिला फोरम ने अपने आदेश में यह आदेशित भी किया है कि यदि कोई अवशेष धनराशि परिवादी द्वारा जमा धनराशि के बावजूद बचती है तो विधिक तरीके से हिसाब लगाकर विपक्षी परिवादी से आसान किश्‍तों में लेवे। जिला फोरम ने जो आदेश दिया है उसका उल्‍लेख अपीलार्थी द्वारा अपनी लिखित बहस में भी किया गया है। जिला फोरम का निर्णय एवं आदेश सही एवं उचित है। जिला फोरम के निर्णय एवं आदेश में हस्‍तक्षेप किये जाने का कोई औचित्‍य नहीं है। जिला फोरम के निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.09.2007 के विरूद्ध अपीलार्थी/विपक्षी ने पुनर्स्‍थापन प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया था, जो दिनांक 31.03.2008 को खारिज हो चुका है। अपीलार्थी द्वारा यह अपील दिनांक 06.03.2009 को प्रस्‍तुत की गयी है, जो एक वर्ष के विलम्‍ब से दाखिल की गयी है। विलम्‍ब क्षमा प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया गया है, परन्‍तु विलम्‍ब क्षमा प्रार्थना पत्र में लिया गया आधार उचित एवं पर्याप्‍त नहीं हैं। अत: विलम्‍ब के आधार पर भी अपील निरस्‍त होने योग्‍य है। तदनुसार अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

अपील बलहीन एवं कालबाधित होने के कारण निरस्‍त की जाती है।

पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

पक्षकारान को इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

      

 

  (संजय कुमार)                        (महेश चन्‍द)

            पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

 

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-4

 
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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