(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-863/2013
(जिला उपभोक्ता आयोग बस्ती द्वारा परिवाद संख्या 29/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.03.2013 के विरूद्ध)
सहारा इण्डिया लाइफ इंश्योरेन्स कम्पनी लि0, सहारा इण्डिया सेन्टर, 2- कपूरथला काम्पलेक्स अलीगंज, लखनऊ-226024 व 3 अन्य
अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
राम मूरत पुत्र रघुवीर ग्राम व पोस्ट नगहरा जिला-बस्ती
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री अभिनव मणि त्रिपाठी, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से : श्री अभिषेक सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 11.09.2023
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी द्वारा यह अपील, अन्तर्गत धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 विद्वान जिला आयोग बस्ती द्वारा परिवाद संख्या 29/2010 राम मूरत बनाम सहारा इण्डिया लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लि0 व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21.03.2013 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
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संक्षेप में अपीलार्थी/विपक्षीगण का कथन है कि प्रश्नगत निर्णय व आदेश दिनांक 21.03.2013 विधि विरूद्ध है। प्रत्यर्थी/परिवादी की पत्नी श्रीमती हेमलता ने दिनांक 14.06.2008 को अपने जीवन के लिए एक प्रस्ताव सहारा इण्डिया प्लान के अन्तर्गत 20 वर्ष की अवधि के लिए भरा था, उनसे यह अपेक्षा की थी कि प्रस्ताव फार्म में सत्य सूचना भरेंगे और उसने इस सम्बन्ध में उदघोषणा की कि जो कुछ भरा है वह सही है। इसके अन्तर्गत कोई सहारा संचय प्लान की पालिसी जारी नहीं की गयी इस पालिसी के जारी होने के शीघ्र बाद यह सूचना मिली कि बीमित व्यक्ति की मत्यु हो गयी है और दावा प्रस्तुत किया गया। श्रीमती हेमलता ने जानबूझकर अपने पूर्व इतिहास को छिया कि उसके पूर्व में दो सिजेरियन आपरेशन हो चुके थे और दोनों ही बच्चे शैशवा अवस्था में ही मृत्यु हो गये थे। इन सूचनाओं को छिपाने के कारण ही दावा खारिज किया गया, परन्तु यह पालिसी यूनिट लिंक््ड पालिसी जारी की गयी थी। इसलिए मृत्यु की सूचना के दिनांक 06.11.2009 को बताया गया, किन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी ने यह परिवाद प्रस्तुत कर दिया, जिस पर विद्वान जिला फोरम ने कूटरचित आदेश पारित कर दिया जो विधि विरूद्ध और विषमताओं से भरा हुआ है, सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है, यह मामला जिला उपभोक्ता न्यायालय में चलने याग्य नहीं है। तथ्यों को छिपाकर पालिसी ली गयी जो बीमा शर्तों का उल्लंघन है।
दिनांक 07.05.2009 को प्रेसक्रेप्शन और प्रमाण पत्र अस्पताल में उपचार का प्रस्तुत किया गया जो कि दिनांक 29.11.2009 का है और डॉक्टर आभा सिंह द्वारा जारी किया गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि बीमित व्यक्ति ने अपनी पूर्व सिजेरियन आपरेशन के तथ्य को छिपाया। अत: माननीय न्यायालय से अनुरोध है कि प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त किया जाये।
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हमने अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री अभिनव मणि त्रिपाठी एवं प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री अभिषेक सिंह को सुना एवं पत्रावाली का सम्यक रूप से परिशीलन किया।
विद्वान जिला फोरम ने प्रश्नगत निम्न आदेश पारित किया है-
‘’यह परिवाद परिवादी के पक्ष में पक्ष में तथा विपक्षीगण एक लगायत चार के विरूद्ध संयुक्त एवं पृथक-पृथक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण संख्या एक लगायत चार को निर्देश दिया जाता है कि परिवादी को पालिसी संख्या 208087 की मृत्यु लाभ धनराशि 200000=00 (दो लाख) का भुगतान तत्काल करे। इस धनराशि पर वाद संस्थापन की तिथि से पूर्ण भुगतान की तिथि तक 9 (नौ) प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देय होगा। इसके अतिरिक्त विपक्षीगण एक लगायत चार शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षति हेतु एवं परिवाद व्यय के मद में परिवादी को 10,000=00 (दस हजार) रूपये अतिरिक्त धनराशि देय होगी। समस्त धनराशि का भुगतान एक माह में कर दिया जाये विपक्षी संख्या पांच के लिए यह परिवाद निरस्त किया जाता है।‘’
वर्तमान मामले में यह कहा गया है कि श्रीमती हेमलता के पूर्व के दो सिजेरियन आपरेशन का तथ्य छिपाया गया। अपीलार्थी/विपक्षीगण ने इस सम्बन्ध में दावा निरस्त करने सम्बन्धी पत्र की पति प्रस्तुत की है और साथ ही साथ भव्या मेडिकल सेन्टर का पर्चा और डॉक्टर आभा सिंह द्वारा दिया गया एक पत्र दिनांक 27.01.2018 प्रस्तुत किया है, यह मात्र फोटोकापी है और यह भी स्पष्ट नहीं कि यह पर्चा भव्य सेन्टर का है अथवा नहीं तथा दिनांक 27.01.2018 का एक पत्र डॉक्टर आभा सिंह ने किस आधार पर प्रदान किया है, क्योंकि इसके साथ कोई संलग्नक नहीं है। यदि पूर्व में दो सिजेरियन आपरेशन हुए हैं तब उसकी केस हिस्ट्री भी होगी, इसे प्रस्तुत नहीं किया गया है। किसी भी डॉक्टर का बयान न तो सशपथ कराया गया और न ही डॉक्टर का शपथ पत्र ही प्रस्तुत किया गया है ऐसी स्थिति में
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अपीलार्थी/विपक्षीगण का यह तथ्य स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। विद्वान जिला फोरम ने भी इस तथ्य को लिखा है कि सम्बन्धित चिकित्सक का शपथ पत्र प्रस्तुत करना चाहिए जो नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में विद्वान जिला फोरम का निर्णय विधि सम्मत है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। तद्नुसार वर्तमान अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उदघोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
दिनांक 11.09.2023
नवी हुसैन आशु0 कोट नं0-2