(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-3033/2006
ब्रांच मैनेजर, स्टेट बैंक आफ इण्डिया, लालगंज ब्रांच, जिला प्रतापगढ़
बनाम
राम सिंह पुत्र अवधेश बहादुर सिंह तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री शरद द्विवेदी।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 13.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-165/2004, राम सिंह बनाम शाखा प्रबंधक, स्टेट बैंक आफ इण्डिया तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, प्रतापगढ़ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26.9.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री शरद द्विवेदी को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी सं0-1, बैंक को आदेशित किया है कि परिवादी द्वारा लिये गये ऋण की समस्त राशि का भुगतान बैंक स्वंय करे। यह निर्णय इस आधार पर पारित किया गया है कि परिवादी ने प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत अंकन 70 हजार रूपये का ऋण प्राप्त किया था। दिनांक 12.7.2003 की रात्रि में दुकान में आग लग गयी और दुकान खोलने पर
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पाया कि सम्पूर्ण फर्नीचर जलकर राख हो गया। बैंक से बीमे के संबंध में जानकारी मांगी गयी, परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी। विद्वान जिला आयोग ने बैंक को क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी पाया, क्योंकि यथार्थ में बैंक द्वारा निश्चित समय के अंतर्गत बीमा पालिसी प्राप्त ही नहीं की गयी।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि 12 तारीख को बीमा की प्रीमियम की राशि दी जा चुकी थी। अग्नि काण्ड 12/13 तारीख की रात्रि में हुआ है। बीमा कंपनी का कथन है कि पालिसी दिनांक 14.7.2003 को जारी हुई है। अत: स्पष्ट है कि जिस दिन अग्नि काण्ड की घटना हुई, उस दिन बीमा पालिसी अस्तित्व में नहीं थी, इसलिए बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं है। बैंक के स्तर से सेवा में कमी कारित की गयी है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-3