राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 925 सन 2003 सुरक्षित
(जिला उपभोक्ता फोरम, फैजाबाद के परिवाद संख्या-91/99 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक06-03-2003 के विरूद्ध)
युनियन आफ इंडिया द्वारा द चीफ कामर्शिलय मैनेजर, नार्दन रेलवे बड़ौदा हाऊस न्यू दिल्ली।
....अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
राम शंकर गुप्ता पुत्र स्व0 श्री चन्द्रपाल निवासी मोहल्ला- होशिला नगर, सिविल लाइन्स, मोदहा फैजाबाद एवं अन्य।
..प्रत्यर्थी/परिवादी समक्ष:-
1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2-मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य।
अधिवक्ता अपीलार्थी : श्री पी0पी0 श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
अधिवक्ता प्रत्यर्थी : कोई नहीं।
दिनांक:30-12-2014
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य, द्वारा उदघोषित।
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी ने विद्वान जिला मंच, फैजाबाद, द्वारा परिवाद संख्या-91/1999 श्री राम शंकर गुप्ता बनाम श्रीमान चीफ कामर्शिलय सुपरिन्टेंडेन्ट उत्तर रेलवे में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06-03-2003 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है, जिसमें विद्वान जिला मंच ने यह आदेशित किया है कि अपीलार्थी/विपक्षी परिवादी को एक माह के भीतर 5,860-00 रूपये अदा करें, अन्यथा उक्त धनराशि पर विपक्षीगण को 6 प्रतिशत की दर से सूद परिवादीगण को अदा करना पड़ेगा।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने दिनांक-02-12-1998 को दिनांक-12-12-1998 के लिए कन्याकुमारी से बंगलौर तक का रिजर्वेशन कराया और वापसी टिकट भी लिया, जो मु0 860-00 रूपये के थे। जब
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परिवादी दिनांक 12-12-1998 को कन्याकुमारी रेलवे स्टेशन पहुंचे, तो वहॉ स्टेशन मास्टर ने बताया कि आप लोग टैक्सी से त्रिवेन्द्रम चले जायें, क्योंकि आगे सुविधा नहीं है। विवश होकर परिवादीगण टैक्सी से त्रिवेन्द्रम पहुंचें तथा रात होने के कारण काफी कठिनाई उठानी पड़ी और मु0 1,000-00 रूपये खर्च करना पड़ा। त्रिवेन्द्रम से बंगलौर पहुंचे। बंगलौर में टिकट पर रिफन्ड हेतु प्रमाण पत्र भी प्राप्त किया तथा उनसे रिफन्ड मांगा, परन्तु विपक्षी ने रिफन्ड नहीं किया। प्रमाण पत्र इसी आशय का दिया गया था, कि गाड़ी उपलब्ध न होने के कारण उनको यह असुविधा हुई। परिवादीगण ने उस प्रमाण पत्र के आधार पर क्षतिपूर्ति चाहा और इस सम्बन्ध में दिनांक-27-12-1998 को एक रजिस्टर्ड नोटिस भेजा, परन्तु उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।
अपीलकर्ता/विपक्षी की ओर से यह प्रतिवाद किया गया कि प्रस्तुत प्रकरण रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा-13 व 15 से बाधित है।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री पी0पी0 श्रीवास्तव के तर्को को सुना गया। प्रत्यर्थी की तरफ से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क दिया कि रिफन्ड की धनराशि की वापसी के सम्बन्ध में परिवादी को अपना परिवाद रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट की धारा-13 (1) (बी) के अर्न्तगत प्रस्तुत करना चाहिए था एवं किसी अन्य न्यायालय को उपरोक्त अधिनियम की धारा-15 के अर्न्तगत श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है। प्रश्नगत निर्णय एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
परिवादी ने अपने परिवाद में यह नहीं दर्शाया है कि उसने बंगलौर में टिकट रिफन्ड हेतु प्रमाण पत्र प्राप्त किया था और रिफन्ड मांगा था, परन्तु विपक्षी के द्वारा कोई रिफन्ड नहीं दिया गया। रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा-13 (1) (बी) के अर्न्तगत परिवादी को अपना परिवाद रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए था, क्योंकि उपरोक्त अधिनियम
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की धारा-15 के अर्न्तगत किसी अन्य न्यायालय को इसे श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है।
अत: उपरोक्त परिस्थितियों में यह अपील स्वीकार किये जाने योग्य है तथा जिला मंच का आदेश निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी की अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला मंच के द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित-06-03-2003 को निरस्त किया जाता है। परिवादी यदि चाहे तो अपना परिवाद/प्रत्यावेदन सक्षम न्यायालय/अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है, जो कालबाधित नहीं माना जायेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेगें।
उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाय।
( अशोक कुमार चौधरी ) (संजय कुमार )
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर0सी0वर्मा, आशु. ग्रेड-2
कोर्ट नं0-3