Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/1716

Union of India - Complainant(s)

Versus

Ram Sanehi - Opp.Party(s)

P P Srivastav

25 Sep 2009

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/1716
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Union of India
a
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज् उपभोक्ता  विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ।

                                सुरक्षित

          अपील संख्‍या-1716/2008      

1-यूनियन आफ इण्डिया द्वारा जनरल मैंनेजर, बड़ौदा हाउस नई दिल्‍ली।

2-नार्दन रेलवे द्वारा डी0आर0एम0 इलाहाबाद।

3-श्रीमती राजकुमारी, लेडी टिकट कलेक्‍टर कानपुर सेन्‍टर रेलवे स्‍टेशन, कानपुर।

                                                अपीलार्थीगण                  

                                           बनाम

राम सनेही निवासी 93, पुरबिया टोला बाग जिला इटावा।                                                                     प्रत्‍यर्थी                             

समक्ष:-

1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन सदस्‍य।

2-मा0 श्रीमती बाल कुमारी सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित। विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0 पी0 श्रीवास्‍तव।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित।   श्री राम सनेही परिवादी स्‍वयं।

दिनांक 01-01-2015 

    मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन न्‍यायिक सदस्‍य द्वारा उदघोषित

   निर्णय

अपीलार्थीगण ने प्रस्‍तुत अपील विद्वान जिला मंच इटावा द्वारा परिवाद संख्‍या-247/1995 राम सनेही बनाम यूनियन आफ इण्डिया व अन्‍य में पारित आदेश दिनांक 24-07-2008 के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया है जिसमें निम्‍न आदेश पारित किया है।

" परिवादी का परिवाद सव्‍यय स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण एक माह के अन्‍दर अवैध धनराशि रूपये 87/- (क्षतिपूर्ति) तथा 10,000/-रू0 हर्जा एवं 500/-रू0 वाद व्‍यय परिवादी को अदा करे। निर्धारित अवधि में उक्‍त धनराशि का भुगतान न होने पर सम्‍पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत ब्‍याज देय होगा। "

 उपरोक्‍त वर्णित आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थीगण द्वारा यह अपील योजित की गयी है।

   अपीलार्थी की ओर से अपील को योजित किये जाने में हुए विलम्‍ब को क्षमा किये जाने हेतु एक प्रार्थनापत्र दिया गया है तथा साथ में श्री एच0 सी0 श्रीवास्‍तव मण्‍डल वाणिज्यिक प्रबन्‍धक उत्‍तर मध्‍य रेलवे का शपथपत्र दिया गया है जिसमें विलम्‍ब का समुचित कारण दिया गया है अत: अपीलार्थी द्वारा अपील को प्रस्‍तुत किये जाने में हुए विलम्‍ब को क्षमा किये

 

 

2

जाने का प्रार्थनापत्र स्‍वीकार किया जाता है एवं विलम्‍ब को क्षमा किया जाता है।

  संक्षेप में प्रकरण के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधि0           1986 के अन्‍तर्गत दिनांक 5-6-95 को यह परिवाद दाखिल करते हुए यह कथन किया है कि वह दिनांक 5-5-95 को टिकट संख्‍या 14582 को लेकर मूरी एक्‍सप्रेस से फफूँद से कानपुर सेन्‍ट्रल रेलवे स्‍टेशन के लिए साधारण श्रेणी में यात्रा कर रहा था। जब वह कानपुर सेन्‍ट्रल रेलवे स्‍टेशन कानपुर पर उतरा तो अपने साथी फकीरे लाल के इन्‍तजार में था, क्‍योंकि वह भी उसी ट्रेन से परिवादी के साथ यात्रा कर रहा था। इसी बीच विपक्षी संख्‍या-3 दो सिपाहियों के साथ आई और टिकट दिखाने को कहा। परिवादी द्वारा टिकट दिखाने पर विपक्षी संख्‍या-3 ने 40/-रू0 की मांग की, तो परिवादी ने उसका कारण पूछा तो विपक्षी संख्‍या-3 ने धमकाया कि यदि वह 40/-रू0 नहीं देगा तो 50/-रू0 दण्‍ड तथा 37/-रू0 किराये में अन्‍तर का देना पड़ेगा क्‍योंकि वह स्‍लीपर क्‍लास में यात्रा कर रहा था। विपक्षी संख्‍या-3 का उक्‍त आरोप बिल्‍कुल गलत था, क्‍योंकि वह साधारण श्रेणी में यात्रा कर रहा था। विपक्षी सं0-3 व उसके साथ दोनों सिपाहियों ने परिवादी का हाथ पकड़ लिया तथा धमकाया कि यदि वह भुगतान नहीं करेगा तो उसे गिरफ्तार किया जायेगा, तथा उसे गाली व पब्लिक के सामने अपमानित किया। जेल जाने के डर से उसने विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा मॉंगी गई राशि का भुगतान किया। विपक्षी संख्‍या-3 के उक्‍त कृत्‍य से परिवादी बहुत ही अपमानित हुआ अत: यह वाद है।

 विपक्षी संख्‍या-3 ने अपने लिखित उत्‍तर में यह कथन किया है कि वह विपक्षी संख्‍या-1 की कर्मचारी है तथा विपक्षी संख्‍या-2 के नियंत्रण व निगरानी में कार्य करती है। विपक्षी संख्‍या-3 कानपुर में रहती है, तथा विपक्षी संख्‍या 1 व 2 कानपुर सेन्‍ट्रल स्‍टेशन पर व्‍यापार करते हैं। जहां वाद का कारण उत्‍पन्‍न हुआ इस फोरम को सुनवाई का कोई अधिकार नहीं है। विपक्षी संख्‍या-3 ने पदीयकर्तव्‍य के निर्वाहन में 87/-रू0 की रसीद संख्‍या-103892 दिनांक 5-5-95 को जारी किया, जिसके लिए वह सक्षम थी, उसने कोई गलत कार्य नहीं किया।

 विपक्षी संख्‍या 1 व 2 ने अपने लिखित उत्‍तर में यह कथन किया है कि परिवादी ने फफूंद से कानपुर सेन्‍ट्रल तक की यात्रा स्‍लीपर कोच संख्‍या-7715 से की, तथा कानपुर सेन्‍ट्रल स्‍टेशन पर विपक्षी संख्‍या-3 को उक्‍त स्‍लीपर कोच संख्‍या-7715 मुरी एक्‍सप्रेस से दिनांक 5-5-95 को उतरते हुए

 

 

 

3

मिला, तब विपक्षी संख्‍या-3 ने उससे टिकट दिखाने का अनुरोध किया, जिस पर परिवादी ने साधारण द्वितीय श्रेणी का टिकट संख्‍या 14582 विपक्षी संख्‍या-3 को दिखाया, तो विपक्षी संख्‍या-3 ने परिवादी को नियमानुसार द्वितीय श्रेणी मेल/एक्‍सप्रेस तथा स्‍लीपर के किराये का अन्‍तर 37/-रू0 व 50/-रू0 जुर्माना अदा करने को कहा उक्‍त धनराशि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या-3 को अदा की गई, विपक्षी संख्‍या-3 ने ई0 एफ0 टी0 संख्‍या-103892 रू0 87/- की रसीद बनाकर वादी को दी तो वादी ने उस पर हस्‍ताक्षर कर दिए। विपक्षी संख्‍या-3 के साथ कोई सिपाही नहीं थे और न ही परिवादी के साथ कोई दुर्व्‍यवहार किया गया और न ही अपमानित किया गया। विपक्षी संख्‍या-3 ने नियमानुसार अपने कर्तव्‍यों का निर्वहन किया।

     अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0 पी0 श्रीवास्‍तव, एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से राम सनेही परिवादी के तर्कों को सुना गया।    

अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी को अपने परिवाद में किराये की वापसी हेतु रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 की धारा-13 (1) (बी) के अन्‍तर्गत प्रस्‍तुत करना चाहिए क्‍योंकि उपरोक्‍त अधिनियम की धारा-15 के अन्‍तर्गत किसी अन्‍य न्‍यायालय को श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी से नियमानुसार द्वितीय श्रेणी मेल/एक्‍सप्रेस तथा स्‍लीपर के किराये के अन्‍तर 37/-रू0 व 50/-रू0 जुर्माना कुल मिलाकर 87/-रू0 वसूल किये गये हैं और सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है अत: प्रश्‍नगत निर्णय निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी श्री राम सनेही ने तर्क दिया कि उससे अवैध रूप से 87/-रू0 की वसूली की गयी है अत: ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच द्वारा पारित किया गया आदेश विधि अनुसार है एवं उसमें हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है।

  प्रश्‍नगत निर्णय एवं पत्रावली में उपलब्‍ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया परिवादी ने अपने परिवाद में अपीलार्थी द्वारा वसूल किये गये 87/-रू0 की धनराशि को वापस दिये जाने का अनुतोष मांगा है जिसके लिए उसे रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 की धारा-13 (1) (बी) के अन्‍तर्गत अपना परिवाद प्रस्‍तुत करना चाहिए था क्‍योंकि किसी अन्‍य न्‍यायालय को उपरोक्‍त अधिनियम की धारा-15 के अन्‍तर्गत श्रवण का अधिकार नहीं है अत: ऐसी परिस्थिति में परिवादी का परिवाद विद्वान जिला मंच के समक्ष पोषणीय नहीं क्‍योंकि विद्वान जिला मंच को श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है तदनुसार अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है एवं प्रश्‍नगत निर्णय निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।  

 

 

                        4

                     आदेश

अपील स्‍वीकार की जाती है विद्वान जिला मंच द्वारा परिवाद संख्‍या-247/1995 राम सनेही बनाम यूनियन आफ इण्डिया व अन्‍य में पारित आदेश दिनांक 24-07-2008 निरस्‍त किया जाता है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी यदि चाहे तो अपना परिवाद/प्रति वेदन को रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल के समक्ष प्रस्‍तुत कर सकता है जो काल बाधित नहीं माना जाएगा।

वाद व्‍यय पक्षकार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

     इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये। 

 

 

 

(अशोक कुमार चौधरी)                                 (बाल कुमारी)

 पीठासीन सदस्‍य                                             सदस्‍य

 मनीराम आशु0-2

 कोर्ट- 3  

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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