Uttar Pradesh

StateCommission

A/392/2021

Employees State Insurance Corporation - Complainant(s)

Versus

Ram Pal Singh And Another - Opp.Party(s)

Shishir Pradhan

21 Dec 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/392/2021
( Date of Filing : 10 Aug 2021 )
(Arisen out of Order Dated 22/12/2020 in Case No. C/2003/996 of District Gautam Buddha Nagar)
 
1. Employees State Insurance Corporation
New Delhi
...........Appellant(s)
Versus
1. Ram Pal Singh And Another
Ghaziabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Dec 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-392/2021

इम्‍पलाईज स्‍टेट इंश्‍योरेंस कारपोरेशन व एक अन्‍य

बनाम

राम पाल सिंह व एक अन्‍य

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री शिशिर प्रधान के सहयोगी     

                               श्री राजन प्रसाद,  

                               विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार श्रीवास्‍तव,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 21.12.2023

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता           आयोग, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-996/2003 (245/95) रामपाल सिंह व एक अन्‍य बनाम ई0एस0आई0कारपोरेशन व तीन अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.12.2020 के विरूद्ध योजित की गयी है। प्रस्‍तुत अपील विगत लगभग 02 वर्ष से लम्बित है।

मेरे द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री शिशिर प्रधान के सहयोगी श्री राजन प्रसाद एवं प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री संजय कुमार श्रीवास्‍तव को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि  परिवादी  संख्‍या-1

 

 

-2-

रामपाल सिंह परिवादिनी संख्‍या-2 श्रीमती ब्रम्‍हवती का पति है तथा वह एस्‍कोर्ट ट्रैक्‍टर फैक्‍ट्री गाजियाबाद में नौकरी करता है। विपक्षीगण द्वारा प्रत्‍येक श्रमिक एवं उसके परिवार के सदस्‍यों को चिकित्‍सीय सुविधायें प्रदान की जाती हैं, जिसके बदले श्रमिक के वेतन से 1.5 प्रतिशत कटौती की जाती है तथा 2.5 प्रतिशत धनराशि सम्‍बन्धित सेवा योजकों द्वारा विपक्षीगण को चिकित्‍सा  सेवाओं के बदले दी जाती है। परिवादी व उसके परिवार के सदस्‍यों  के लिए विपक्षीगण द्वारा चिकित्‍सा सेवाओं व दवाईयों हेतु ई0एस0आई0 डिस्‍पेंसरी कार्ड नम्‍बर 2075663 व इम्‍पलाई कार्ड नम्‍बर-7039 जारी किये गये, जिसमें परिवादी के सभी परिवार के सदस्‍यों के नाम अंकित हैं।

परिवादीगण का कथन है कि दिनांक 12.05.1994 को परिवादी द्वारा परिवादिनी संख्‍या-2 को विपक्षी संख्‍या-2 ई0एस0आई0 अस्‍पताल में डिलीवरी हेतु भर्ती कराया गया था, जहॉं दिनांक 06.12.1994 व दिनांक 08.12.1994 को परिवादिनी   संख्‍या-2 का विपक्षी संख्‍या-3 डॉ0 अनीता व विपक्षी संख्‍या-4 डॉ0 प्रीति शर्मा द्वारा मेजर आपरेशन किया गया। आपरेशन के उपरान्‍त परिवादिनी  संख्‍या-2 को काफी दर्द व पीड़ा रहने लगी, जिस पर विपक्षी संख्‍या-3 व 4 द्वारा उसे अस्‍पताल से ही गैस आदि की दवाईयां दी गयी, जो कई दिनों तक चलती रही, परन्‍तु परिवादिनी संख्‍या-2 के स्‍वास्‍थ्‍य में कोई सुधार नहीं हुआ तथा उसकी  स्थिति

 

 

-3-

निरन्‍तर खराब होती रही, जिस पर सम्‍बन्धित डाक्‍टरों द्वारा उसे कैलाश मै‍डिकल एण्‍ड रिसर्च सेंटर एवं नोएडा मैडिकल सेंटर भेजा गया, जहॉं अल्‍ट्रासाउण्‍ड के पश्‍चात् डाक्‍टरों द्वारा बताया गया कि मरीज की ऑंते आपस में लिपटी हुई हैं तथा तुरन्‍त आपरेशन की सलाह दी गयी।

परिवादीगण का कथन है कि दिनांक 21.12.1994 को कैलाश मै‍डिकल एण्‍ड रिसर्च सेंटर में परिवादिनी संख्‍या-2 का आपरेशन हुआ, जिसमें यह बात आयी कि विपक्षी संख्‍या-1 ई0एस0आई0 कारपोरेशन के अस्‍पताल में जब विपक्षी संख्‍या-3 व 4 डाक्‍टरों द्वारा आपरेशन करके डिलीवरी करायी गयी थी तो जब आपरेशन के पश्‍चात् टॉंके लगाये गये तो उस समय पेट के अन्‍दर 12 गुणा 12 का स्‍पंज पीस छोड़ दिया, जिस कारण ऑंते लिपटी हुई पायी गयी। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा असावधानी पूर्वक कार्य करते हुए सेवा में कमी की गयी तथा डिलीवरी के आपरेशन के समय उसके डाक्‍टरों द्वारा परिवादिनी संख्‍या-2 के पेट में स्‍पंज का टुकड़ा छोड़ देने के कारण उसको पुन: आपरेशन करके निकाला गया, जिस कारण परिवादीगण को आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्‍ट हुआ। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी  संख्‍या-1

 

 

-4-

व 2 की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि आपरेशन के बाद की जटिलातायें तथा रोगी द्वारा महसूस की गयी असुविधायें सामान्‍य हैं तथा आपरेशन के बाद की स्थिति में आमतौर पर होती हैं। परिवादिनी संख्‍या-2 अल्‍टासोनियोग्राफी के लिए मैसर्स कैलाश मैडिकल एण्‍ड रिसर्च सेन्‍टर नौएडा को निर्देशित की गयी थी इसके बाद वह कर्मचारी राज्‍य बीमा अस्‍पताल में नहीं आयी तथा उनके पति द्वारा चिकित्‍सा  परामर्श के विरूद्ध रोगी की अनुपस्थिति में छुट्टी की पर्ची जारी करायी गयी। अल्‍ट्रासाउण्‍ट रिपोर्ट में कोई महत्‍वपूर्ण संकेत नहीं दिखाया गया। अल्‍ट्रासाउण्‍ट रिपोर्ट में किसी फोरेन बोडी अथवा लोकेलाइज्‍ड लम्‍प अथवा पैरीटोनियम केवेटी में मांस का कोई साक्ष्‍य नहीं है। रोगी द्वारा स्‍वयं कैलाश नर्सिंग होम में दाखिल हो कर शल्‍य चिकित्‍सा करायी गयी है। उक्‍त अस्‍पताल द्वारा भी पुन: आपरेशन के दौरान मरीज के पेट में स्‍पंज पाये जाने की कभी कोई जानकारी नहीं दी गयी तथा न ही मरीज द्वारा इस प्रकार की कोई शिकायत की गयी। परिवादीगण द्वारा उपचार से सम्‍बन्धित समस्‍त औपचारिकतायें पूर्ण किये जाने पर अंकन 1,12,102.06/-रू0 का भुगतान किया जा चुका है तथा अब कोई भुगतान शेष नहीं है। परिवादीगण उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्‍ता की परिभाषा के अन्‍तर्गत नहीं आते हैं। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन

 

 

-5-

एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त यह पाया गया कि विपक्षी संख्‍या-3 व 4 द्वारा परिवादिनी संख्‍या-2 के आपरेशन में घोर लापरवाही बरती गयी तथा विपक्षी संख्‍या-3 व 4 के कार्य के लिए विपक्षी संख्‍या-1 व 2 भी प्रतिनिधित्‍व दायित्‍व के अन्‍तर्गत संयुक्‍त व पृथक रूप से क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए उत्‍तरदायी हैं। तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

''परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह आदेश की तिथि से एक माह के अन्‍दर 600,000/-रूपये (छ: लाख रूपये) की धनराशि परिवाद दायर करने की तिथि से 06,प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज की दर से परिवादी संख्‍या-2 को अदा करे। परिवादी संख्‍या-2 परिवाद व्‍यय के रूप में 5000/-रूपये (पॉंच हजार रूपये) भी प्राप्‍त‍ करने का अधिकारी है।''

उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुनने तथा समस्‍त           तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता            आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण   करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता                 आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, जिसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं

 

 

-6-

है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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