राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1487/2000
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, फरूखाबाद द्वारा परिवाद संख्या- 451/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26-05-2000 के विरूद्ध)
मेसर्स एस0एन0 सन्स कोल्ड स्टोरेज प्राइवेट लिमिटेड महरूपुर सहजू पोस्ट- फतेहगढ जिला- फरूखाबाद।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
राम नाथ पुत्र प्रभु दयाल निवासी- ग्राम याकूतगंज, जिला- फरूखाबाद। .प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1-माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2-माननीय श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्डन, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक- 03-07-2015
माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य, द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलकर्ता ने यह अपील जिला उपभोक्ता फोरम, फरूखाबाद द्वारा परिवाद संख्या- 451/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26-05-2000 के विरूद्ध प्रस्तुत की है। जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:- “ उपभोक्ता याचिका संख्या 451/1999 सव्यय स्वीकार की जाती है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह आलू कीमत 12,155-00 व उस पर दिनांक 01-11-1999 से भुगतान तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज तथा 750-00 रूपये क्षतिपूर्ति, परिवाद व्यय हेतु निर्णय के एक माह के अर्न्तगत परिवादी को भुगतान करें। विपक्षी परिवादी को उक्त धनराशि भुगतान करते समय भण्डारण शुल्क विवादित आलू काट लेने का अधिकारी है।”
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार से है कि परिवादी ने अच्छी किस्म का आलू 51 बोरा विपक्षी के शीतगृह में दिनांक 19-03-1999 को भण्डारित
(2)
किया, जिसकी आमद रसीद संख्या-4814-14 बोरा व 4815-37 बोरा दी गई। भण्डारित आलू का शुल्क आलू वापसी के समय भुगतान किये जाने का अनुबन्ध हुआ था। परिवादी अपने भण्डारित आलू वापस लेने हेतु शीतगृह में 10,15,18,25 व 28 मई 1999 को अन्य कृषकों के साथ गया, परन्तु विपक्षी द्वारा न तो तकपट्टी दी गई, न ही आलू शुल्क जमा कराकर वापस किया गया तब परिवादी ने विवेक के साथ रजिस्टर्ड पत्र से नोटिस विपक्षी व आलू विकास अधिकारी, फरूखाबाद को प्रेषित किया, परन्तु विपक्षी ने नोटिस लेने से इंकार कर दिया। पुन: दिनांक 02-09-1999 को उक्त काश्तकार विवेक के साथ रजिस्टर्ड डाक से नोटिस प्रेषित किया, जिसको विपक्षी ने ले लिया, परन्तु न तो तकपट्टी दी न आलू वापस किया। आलू भाव मई में 350-00 रूपये प्रति कुन्तल थी। परिवादी ने आलू की कीमत 19,448-00 रूपये व 50,000-00 रूपये क्षतिपूर्ति अन्य अनुतोष के साथ दिलाने हेतु प्रस्तुत किया।
विपक्षी जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष उपस्थित आकर अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर 114 बोरा आलू 12-03-1999 से 23-03-1999 तक भण्डारित करना स्वीकार किया एवं 3,550-00 रूपये तकपट्टी गिरवी रखकर ऋण लेना कथन किया तथा यह भी कथन किया कि परिवादी उपभोक्ता नहीं है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधान लागू नहीं है। परिवाद में उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज के प्रावधान लागू है। आलू विकास अधिकारी, फरूखाबाद के आदेश के विरूद्ध अपील करनी चाहिए। दिनांक 25-07-1999 व 02-10-1999 को आंशिक डिलेवरी ऋण अदा करके ली। परिवादी 51 बोरा आलू को निकालने नहीं आया न शुल्क ही जमा किया। आलू भाव 500-00 रूपये नहीं था। परिवाद 5,000-00 प्रतिकर दिलाकर निरस्त किया जावे।
(3)
अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन उपस्थित है, उनको सुना गया। पत्रावली एवं अपील के आधार का अवलोकन किया गया।
जिला उपभोक्ता फोरम ने आलू की कीमत 12,155-00 रूपये परिवादी को दिलाया है और उस 18 प्रतिशत का ब्याज भी दिलाया है और 750-00 रूपये परिवाद व्यय भी दिलाया गया है। केस के तथ्यों परिस्थितियों में हम पाते है कि 18 प्रतिशत का जो ब्याज दिलाया गया है, उसे 09 प्रतिशत किया जाना न्यायोचित है और अपीलकर्ता की अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपीलकर्ता की अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा यह आदेश किया जाता है कि जिला उपभोक्ता फोरम, द्वारा जो 18 प्रतिशत का ब्याज दिलाया गया है, उसे संशोधित करते हुए 09 प्रतिशत ब्याज दिलाया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वयं वहन करें।
(राम चरन चौधरी) ( राज कमल गुप्ता )
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर.सी. वर्मा, आशु.
कोर्ट नं0-5