राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-२७०६/१९९९
(जिला मंच, बलिया द्वारा परिवाद सं0-१४/१९९८ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित ०५-०६-१९९९ के विरूद्ध)
१. जिला पंचायतराज अधिकारी, विकास भवन, जिला-बलिया।
२. खण्ड विकास अधिकारी, विकास खण्ड वेलहरी बजरिये जिला पंचायत अधिकारी, जिला-बलिया।
३. उत्तर प्रदेश सरकार बजरिये कलैक्टर जिला बलिया।
................अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम्
राम नाथ तिवारी भूतपूर्व ग्राम पंचायत अधिकारी पंचायत विभाग, जिला बलिया।
................ प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित :- श्री आर0के0 गुप्ता विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री एस0पी0 पाण्डेय विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : ०३-११-२०१५.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, बलिया द्वारा परिवाद सं0-१४/१९९८ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित ०५-०६-१९९९ के विरूद्ध योजित की गयी है।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के विरूद्ध सामान्य भविष्य निधि एवं सामूहिक बीमा योजना के अन्तर्गत जमा धनराशि की अदायगी हेतु योजित किया था। प्रश्नगत निर्णय द्वारा परिवादी के परिवाद को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अपीलार्थीगण/विपक्षीगण को सामूहिक बीमा की देय धनराशि १०,०००/- रू० दिनांक ०१-०२-१९९७ से भुगतान की तिथि तक साड़े बारह प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज की दर से ब्याज सहित तथा सामान्य भविष्य निधि की धनराशि मु0 २२,३०६/- रू० जिसका भुगतान स्वीकृत रूप से प्रत्यर्थी/परिवादी को वर्ष १९९८ में किया जा चुका है, पर दिनांक ०१-०७-१९९२ से वर्ष
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१९९८ में यह धनराशि जमा होने की तिथि तक इस धनराशि पर साड़े बारह प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज के भुगतान हेतु निर्देशित किया गया। इसके अतिरिक्त ५००/- रू० बतौर वाद व्यय अदा करने हेतु भी निर्देशित किया गया।
मैंने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 गुप्ता तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस0पी0 पाण्डेय के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ग्राम पंचायत अधिकारी के पद पर कार्यरत रहते हुए दिनांक ३०-०६-१९९२ को सेवा निवृत्त हुआ था। परिवादी राजकीय सेवक के रूप में कार्यरत था। प्रश्नगत परिवाद, परिवादी ने अपीलार्थीगण/विपक्षीगण उत्तर प्रदेश सरकार बजरिये कलैक्टर जिला बलिया, जिला पंचायतराज अधिकारी, विकास भवन, जिला-बलिया एवं खण्ड विकास अधिकारी, विकास खण्ड वेलहरी बजरिये जिला पंचायत अधिकारी, जिला-बलिया के विरूद्ध योजित किया था। निश्चित रूप से जिला कलैक्टर, जिला पंचायतराज अधिकारी एवं खण्ड विकास अधिकारी उत्तर प्रदेश सरकार के अधीनस्थ कार्यरत अधिकारी हैं तथा तथा वे अपने कार्यों एवं दायित्वों के निर्वहन हेतु उत्तर प्रदेश राज्य सरकार से नियमित वेतन प्राप्त करते हैं तथा उनके द्वारा अपने संविधीय कृत्य (Statutory Duty) का निर्वहन किया जाता है न कि किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए उसके द्वारा सेवाऐं दी जाती हैं। अपीलार्थीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी से कोई शुल्क अथवा प्रतिफल (Consideration) भी प्राप्त नहीं किया गया है। इस प्रकार प्रश्नगत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ (अधिनियम संख्या ६८ सन् १९८६) की धारा-२(१)(घ) के अन्तर्गत आच्छादित न होने के कारण उपभोक्ता फोरम में पोषणीय नहीं है और प्रत्यर्थी/परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। अपीलार्थीगण को अधिनियम के अन्तर्गत सेवा प्रदाता की श्रेणी में भी ऐसी परिस्थिति में नहीं माना जा सकता। विद्वान जिला मंच ने परिवाद की पोषणीयता अथवा प्रश्नगत परिवाद के सम्बन्ध में उपभोक्ता फोरम के क्षेत्राधिकार के बिन्दु पर प्रश्नगत निर्णय में कोई विचार नहीं किया है।
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उड़ीसा राज्य बनाम डिवीजनल मैनेजर, एल0आई0सी0 व अन्य (१९९६) ८ एससीसी ६५५ के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि राज्य कर्मचारी राज्य सरकार द्वारा तय की गयी सेवा शर्तों से बाध्य होते हैं तथा राज्य सरकार द्वारा सेवाऐं नि:शुल्क प्रदान की जाती हैं। अत: राज्य कर्मचारी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं माने जा सकते।
इस मामले में यह तथ्य निर्विवाद है कि यह मामला सामान्य भविष्य निधि से सम्बन्धित है। निश्िचत ही इस प्रकार के मामलों की सुनवाई का क्षेत्राधिकार उपभोक्ता फोरम के पास नहीं है, जैसा कि जगमित्तर सेन भगत (Dr.) बनाम डायरेक्टर हैल्थ सर्विसेज हरियाणा एवं अन्य, III (2013) CPJ 22 (SC), बिजेन्द्र कुमार जैन बनाम जिला मैजिस्ट्रेट हरिद्वार II (2001) CPJ 56, सी0 एम0 ओ0 बनाम काशीराम गौड़ III (१९९९) CPJ 557, रीजनल प्रोविडेण्ट फण्ड कमिश्नर बनाम शिव कुमार जोशी III (१९९९) CPJ 36 एवं यू.पी.एस.ई.बी. व अन्य बनाम प्रेम प्रकाश उपाध्याय I(2014) CPJ 64 (U.P.) के मामलों विधिक सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है।
ऐसी परिस्थिति में स्पष्टत: परिवाद उपभोक्ता फोरम में पोषणीय न होने की स्थिति में भी प्रश्नगत निर्णय विद्वान जिला मंच द्वारा बिना क्षेत्राधिकार के पारित किया गया है। तद्नुसार यह निर्णय विधि सम्मत न होने के कारण निरस्त करते हुए परिवाद निरस्त होने योग्य है। अत: अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच, बलिया द्वारा परिवाद सं0-१४/१९९८ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित ०५-०६-१९९९ अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष इस अपील का व्यय-भार अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.