राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या :1895/2008
(जिला मंच, लखनऊ (अतिरिक्त बेंच) द्धारा परिवाद सं0-854/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.6.2008 के विरूद्ध)
Badri Prasad Kedar Nath Mutual Benefit Co. Ltd. 1098/99, Sadar Bazar, Lucknow.
Harish Kesarwani, Managing Director, Badri Prasad Kedar Nath Mutual Benefit Co. Ltd, Resident of 1087, Sadar Bazar, Lucknow.
........... Appellants
Versus
- Ram Narain Yadav S/o Ram Sewak
- Ram Kumar
- Km. Ranno
- Shyam Kumar
- Km. Neha.
All son and daughter of Ram Narain Yadav, Resident of Village & Post- Arjunganj, Lucknow.
……..…. Respondents
समक्ष :-
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :03.10.2016
मा0 श्री जे0एन0 सिन्हा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0-854/2003 श्री रामनरायन यादव एवं अन्य बनाम मै0 बद्री प्रसाद केदार नाथ म्यूच्युल बेनिफिट कं0लि0 में जिला मंच, लखनऊ (अतिरिक्त बेंच) द्वारा दिनांक 17.6.2008 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया है:-
"परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह कुल रू0 40000.00(रूपये चालीस हजार) उपरोक्त चारों बच्चों के प्रमाण पत्र संख्या 1290, 1291, 1292, 1293 की परिपक्वता राशि आज से दो माह के अन्दर 09 प्रतिशत ब्याज सहित परिपक्वता की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक अदा करेगा और रू0 5000.00 (रूपये
-2-
पॉच हजार) मानसिक कष्ट और आर्थिक कष्ट के मद में देय होगा और रू0 1000.00 (रूपये एक हजार) परिवाद व्यय के रूप में परिवादी को विपक्षी उसी अवधि के अन्दर अदा करेगा।"
उक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से वर्तमान अपील योजित की गई है। अपीलार्थी को तमाम अवसर प्रदान किये जाने के बावजूद भी उनकी ओर से पैरवी दाखिल नहीं की गई है और आज अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित भी नहीं है। दिनांक 05.4.2010 को पीठ द्वारा उचित आदेश पारित किया गया था, जिससे यह प्रकट होता है कि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा पीठ के समक्ष यह कहा गया कि परिवादी मूल एफ0डी0आर0 सहित कभी भी धनराशि प्राप्त करने नहीं उपस्थित हुआ, इसलिए धनराशि का भुगतान नहीं किया जा सका और इस प्रकार ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी को वर्तमान प्रकरण में कोई दिलचस्पी शेष नहीं है। अत: अपीलार्थी की अनुपस्थिति एवं पैरवी के अभाव में प्रस्तुत अपील खण्डित किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी की अनुपस्थिति एवं पैरवी के अभाव में खण्डित की जाती है।
(जे0एन0 सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-2