राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2626/2007
(जिला उपभोक्ता फोरम, प्रथम आगरा द्वारा परिवाद संख्या-477/2003 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.09.2005 के विरूद्ध)
ब्रम्हानन्द आईस एण्ड कोल्ड स्टोरेज प्रा0लि0, ऐतमादपुर, आगरा द्वारा विनय कुमार सैन।
.........................अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम्
राम नारायण त्यागी पुत्र श्री लज्जा राम त्यागी, निवासी वास सुंदर, पी0एस0 बरहन जिला आगरा।
..........................प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
1. माननीय श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 22.08.2014
माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव उपस्थित हैं। उन्हें अंगीकरण पर विस्तारपूर्वक सुना गया एवं उनके तर्कों के परिप्रेक्ष्य में पत्रावली का परिशीलन किया गया।
इस प्रकरण में जिला फोरम, प्रथम आगरा द्वारा दिनांक 28.09.2005 को परिवाद संख्या-477/2003 को विपक्षी के विरूद्ध स्वीकार किया गया था, जिसके विरूद्ध अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा यह अपील दिनांक 03.12.2007 को दाखिल की गयी है। इस प्रकार यह अपील लगभग दो वर्ष के उपरान्त दाखिल की गयी है। अत: यह अपील समय सीमा से बाधित है। अपील दाखिल करने में हुए विलम्ब का दिन-प्रति-दिन का कोई स्पष्टीकरण अपीलार्थी द्वारा नहीं दिया गया है। अत: माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा फाइनेन्सियल सर्विसेज लिमिटेड बनाम नरेश सिंह I (2013) CPJ 407 (NC), यू0पी0 आवास एवं विकास परिषद बनाम बृज किशोर
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पाण्डेय IV (2009) CPJ 217 (NC), दिल्ली डेवलेपमेंट अर्थारिटी बनाम वी0पी0 नारायण IV (2011) CPJ 155 (NC) एवं माननीय उच्च्तम न्यायालय द्वारा अंशुल अग्रवाल बनाम नोएडा IV (2011) CPJ 63 (SC) में दिये गये विधिक सिद्धान्त को दृष्टिगत रखते हुए यह निष्कर्ष दिया जाता है कि यह अपील समय-सीमा से बाधित है एवं अपील दाखिल करने में हुए विलम्ब को क्षमा किया जाना विधि अनुसार नहीं होगा।
प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश में किसी प्रकार का कोई विधिक अथवा तथ्यात्मक त्रुटि होना नहीं पाया जाता है, अत: इसमें हस्तक्षेप करने का प्रथम दृष्टया कोई आधार नहीं बनता है। वर्णित परिस्थितियों में यह अपील सारहीन तथा समय सीमा से बाधित होने के कारण अंगीकरण के स्तर पर निरस्त होने योग्य है।
आदेश
यह अपील सारहीन तथा समय सीमा से बाधित होने के कारण अंगीकरण के स्तर पर निरस्त की जाती है। इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये। पत्रावली दाखिल अभिलेखागार हो।
(आलोक कुमार बोस) (जुगुल किशोर)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0-2
कोर्ट-5