मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
रिवीजन संख्या 157 सन 2013
श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कं0लि0 .......पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण
-बनाम-
रामललित सोनी पुत्र स्व0 मोतीलाल . .........विपक्षी
समक्ष:-
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
मा0 डा0 आभा गुप्ता, सदस्य ।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री प्रवीन वर्मा।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं।
दिनांक:- 21.04.2022
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निगरानी प्रस्तुत हुयी।
निगरानीकर्ता के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित हैं। विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
जिला फोरम सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्या 45 सन 2013 रामललित सोनी बनाम शाखा प्रबन्धक श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस व अन्य में पारित आदेश दिनांक 18.09.2013 के विरूद्ध यह निगरानी योजित की गयी है निगरानीकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि उक्त वाद का निस्तारण दिनांक 13.03.2014 को किया जा चुका है।
परिवादी की ओर से परिवाद संख्या 45 सन 2013 में पारित आदेश दिनांक 13.03.2014 की प्रतिलिपि दाखिल की गयी है जिसमें निम्न आदेश पारित किया गया है :-
'' परिवादी का परिवादपत्र विपक्षी संख्या 01 शाखा प्रबन्धक श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कम्पनी लि0 शाखा बैढन, जनपद सिंगरौली, मध्य प्रदेश के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा परिवादी को आदेश दिया जाता है कि वह विपक्षी को मु0 3,19,824.00 रू0 एक माह के अन्दर अदा करे तथा विपक्षी संख्या 01 को आदेश दिया जाता है कि उपरोक्त धनराशि प्राप्ति के उपरांत विपक्षी संख्या 01 परिवादी का उक्त विवादित ट्रक मय आवश्यक समस्त कागजात एक माह के अन्दर परिवादी को वापस करे। इसके अतिरिक्त परिवादी विपक्षी संख्या 01 से मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना के लिए मु0 2000.00 रू0 तथा वाद व्यय के रूप में मु0 2000.00 रू0 भी एक माह के अन्दर प्राप्त करने का अधिकारी होगा । ''
प्रश्नगत निगरानी के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि निगरानी जिला उपभोक्ता फोरम, द्वारा पारित आदेश दिनांक 13.03.2014 के विरूद्ध योजित की गयी है। उक्त आदेश के माध्यम से प्रश्नगत वाहन के कब्जे के संबंध में आदेश पारित किया गया है। जबकि संबंधित परिवाद का निस्तारण हो जाने के उपरांत अंतिम आदेश में प्रश्नगत वाहन (ट्रक) परिवादी को वापस किए जाने का आदेश पारित किया गया है। अत: आदेश दिनांकित 13.03.2014 एवं इसके विरूद्ध प्रस्तुत की गयी निगरानी उद्देश्यविहीन हो गयी है। अत: निगरानी के निस्तारण का कोई औचित्य नहीं है एवं उद्देश्यविहीन हो जाने के कारण निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
निगरानी उद्देश्य विहीन हो जाने के कारण निरस्त की जाती है।
(विकास सक्सेना) (डा0 आभा गुप्ता)
सदस्य सदस्य
सुबोल श्रीवास्तव
पी0ए0(कोर्ट नं0-3)