सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 264 सन 1998में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.01.2005 के विरूद्ध)
अपील संख्या 1043 सन 2005
श्रीमती गीता श्रीवास्तव पत्नी श्री ए0के0 श्रीवास्तव निवासी सी 1067 एमआईजी राजाजीपुरम लखनऊ एवं अन्य .......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
बनाम
राम लाल यादव पुत्र स्व0 नन्हू सिंह यादव निवासी 248/10 का, लकडमंडी यहियागंज, लखनऊ । . .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1 मा0 श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
दिनांक: 27-10-2016
श्री गोवर्धन यादव सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 265 सन 1998 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.01.2005 के संबंध में जारी कारण बताओ नोटिस दिनांक 26.05.2005 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
संक्षेप में, अपील के मुख्य आधार यह हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादीगण रामलाल यादव एवं श्रीमती गंगारानी ने विपक्षी की इनवेल लीजिंग एवं हायर पर्चेज लि0 कंम्पनी में फरवरी 98 में क्रमश 2575.00 एवं 797.00 रू0 जमा किए थे जब वह अपनी धनराशि की वापसी हेतु विपक्षीगण के पास भुगतान हेतु गयी तो उसे भुगतान नहीं दिया गया। जिला फोरम में प्रकरण की शिकायत करने पर जिला फोरम में परिवादीगण का परिवाद स्वीकार करते हुए जमा धनराशि मय ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के भुगतान का आदेश पारित किया तथा वसूली की कार्यवाही प्रारम्भ की जिससे क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
सुनवाई के समय उभय पक्ष की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, अत: पीठ ने यह निर्णय लिया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-30 के उपधारा (2) के अंतर्गत निर्मित उ0प्र0 उपभोक्ता संरक्षण नियमावली 1987 के नियम 8 के उपनियम (6) के दृष्टिगत प्रस्तुत अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर कर दिया जाए।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादीगण ने अपनी धनराशि विपक्षी की इनवेज लीजिंग एवं हायर पर्चेज लि0 में जमा की थी जो उसे मांगने पर वापस नहीं की गयी। अपीलार्थीगण का कथन है कि प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण ने कोई धनराशि जमा नहीं की थी तथा वह कम्पनी में निदेशक के पद पर कार्यरत थे और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था इसलिए उनका कोई उत्तरदायित्व नहीं बनता है।
जिला मंच ने अपने विवेच्य निर्णय में उल्लिखित किया है कि अपीलार्थीगण कम्पनी के प्रथम निदेशक थे जिन्होंने आपस में एक दूसरे को अपना इस्तीफा देकर उत्तरदायित्व से बचने का प्रयत्न किया है जिसे विश्वसनीय न पाते हुए जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय पारित किया है केस के तथ्य एवं परिस्थिति के आधार पर हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए अपना निर्णय दिया है, जो कि विधिसम्मत है, उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तदनुसार अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
पक्षकारान अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(आलोक कुमार बोस) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट-3
(S.K.Srivastav,PA)