(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण सं0- 124/2002
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सोनभद्र द्वारा परिवाद सं0- 263/1998 में पारित आदेश दि0 10.05.2002 के विरूद्ध)
कुलवन्ती देवी पत्नी स्व0 मिठाई लाल निवासी मौजा ददरा पोस्ट बबरी, तहसील चन्दौली, जिला चन्दौली।
..........पुनरीक्षणकर्ता।
बनाम
- राम लाल सिंह पुत्र श्री हरिहर सिंह निवासी- खुराकला, परगना विजयगढ़ तहसील राबर्ट्सगंज, जिला सोनभद्र।
- प्रबंधक साधन सहकारी समिति लि0 शिवपुर स्थित ग्राम शिवपुर परगना विजयगढ़, तहसील राबर्ट्सगंज, जिला सोनभद्र।
- सचिव, साधन सहकारी समिति लि0 शिवपुर ग्राम शिवपुर परगना विजयगढ़ तहसील राबर्ट्सगंज, जिला सोनभद्र।
............ विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री एच0के0 श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं0- 1 की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण सं0- 2 और 3 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 04.09.2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 263/1998 रामलाल सिंह बनाम प्रबंधक साधन सहकारी समिति लि0 शिवपुर व अन्य में जिला फोरम, सोनभद्र द्वारा पारित आदेश दि0 10.05.2002 के विरुद्ध यह पुनरीक्षण याचिका पुनरीक्षणकर्ता कुलवन्ती देवी की ओर से धारा 17(1)ख उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
पुनरीक्षणकर्ता की शिकायत आक्षेपित आदेश के उस अंश से है जिसके द्वारा जिला फोरम ने परिवादी जो पुनरीक्षण याचिका में विपक्षी हैं को परिवाद के विपक्षी सं0- 2 के कानूनी उत्तराधिकारियों को पक्षकार बनाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि उपरोक्त परिवाद में पुनरीक्षणकर्ता के पति मिठाई लाल साधन सहकारी समिति के सचिव के रूप में परिवाद में पक्षकार बनाये गये हैं। अत: सचिव मिठाई लाल का विधिक दायित्व उनके मरने के बाद उनके ऑफिस के उत्तराधिकारी पर आयेगा न कि उनके व्यक्तिगत विधिक उत्तराधिकारियों पर।
विपक्षी राम लाल जो परिवाद में परिवादी हैं के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि यह पुनरीक्षण याचिका अपरिपक्व है। उनका यह भी तर्क है कि पुनरीक्षणकर्ता ने निष्पादन अधीन निर्णय के विरुद्ध कोई अपील प्रस्तुत नहीं की है।
हमने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।
जिला फोरम के आदेश दि0 10.05.2002 के अनुपालन में परिवाद के विपक्षी सं0- 2 के विधिक उत्तराधिकारियों के पुनर्स्थापन हेतु प्रार्थना पत्र जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किये जाने पर पुनरीक्षणकर्ता अपनी आपत्ति जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु स्वतंत्र है। जिला फोरम के समक्ष यदि पुनरीक्षणकर्ता की ओर से आपत्ति प्रस्तुत की जाती है तो जिला फोरम विधि के अनुसार इस बिन्दु पर विचार करेगा कि परिवाद के विपक्षी सं0- 2 मिठाई लाल सचिव साधन सहकारी समिति का परिवाद में कथित तथ्यों के आधार पर विधिक उत्तराधिकारी कौन है?
उपरोक्त विवेचना के आधार पर पुनरीक्षण याचिका अन्तिम रूप से पुनरीक्षणकर्ता को अपनी आपत्ति जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किये जाने की छूट के साथ निस्तारित की जाती है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1