Uttar Pradesh

StateCommission

A/65/2019

Pro. Phool Singh Baghel Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Ram Lakhan - Opp.Party(s)

Anil Kumar Mishra

22 Jul 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/65/2019
( Date of Filing : 14 Jan 2019 )
(Arisen out of Order Dated 15/02/2018 in Case No. Complaint Case No. CC/98/2016 of District Firozabad)
 
1. Pro. Phool Singh Baghel Cold Storage
Firozabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Ram Lakhan
Firozabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Jul 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(सुरक्षित)

अपील संख्‍या-65/2019

 

 

प्रो0 फूल सिंह बघेल कोल्‍ड स्‍टोरज, सराय लुकमान, पोस्‍ट-सिरसागंज, जिला फिरोजाबाद।                   

                                                                 .........अपीलार्थी

बनाम     

 

रामलखन, पुत्र शैतान सिंह, निवासी रजौरा, पोस्‍ट-आमौर, तहसील सिरसागंज, जिला फिरोजाबाद, यू.पी.

                                                               ...........प्रत्‍यर्थी  

 

समक्ष:-  

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।      

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:         श्री अनिल कुमार मिश्रा, 

                                  विद्वान अधिवक्‍ता।

 

प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित:               श्री ओ.पी. दुवेल, 

                                      विद्वान अधिवक्‍ता।                                            

                                 

दिनांक: 22.07.2024  

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-98/2016 रामलखन बनाम प्रोपराइटर फूलसिंह बघेल कोल्‍ड स्‍टोरेज में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.02.2018 के विरूद्ध योजित की गयी है।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनिल कुमार मिश्रा एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री ओ.पी. दुवेल को सुना गया तथा प्रश्‍नगत् निर्णय एवं आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

     संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ग्राम रजौरा, तहसील-सिरसागंज, जिला फिरोजाबाद का निवासी है। अपने पिता शैतान सिंह के साथ कृषि कार्य करता है। वर्ष 2015 में परिवादी ने विपक्षी के यहां कोल्ड स्टोरेज हेतु दिनांक 11.03.2015 को 101 पैकिट दिनांक 12.03.2015 को 142 पैकिट एवं दिनांक 11-03-2015 को 238 पैकिट, कुल 763 पैकेट आलू रखे थे।

378 पैकेट आलू की बिक्री परिवादी की राय से की गई, जिसकी धनराशि परिवादी को प्राप्त हो गई। एक पैकेट अपने घर के खर्च के लिए परिवादी ले गया, इस तरह कुल 379 पैकेट आलू परिवादी द्वारा निकाले गये। शेष 384 पैकेट विपक्षी के पास कोल्ड स्टोरेज में रखे रह गये, जिसके सम्बन्ध में कई बार सम्पर्क करने पर भी विपक्षी ने बेईमानी की नियत से आलू नहीं निकाले। 384 आलू के पैकेट की कीमत 550 रूपये प्रति पैकेट की दर से 2,11,200/- होता है, जिसे विपक्षी नहीं देना चाहता है। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष परिवाद योजित करते हुये वांछित अनुतोष की मांग की गयी है।   

विपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र में परिवादी के परिवाद का खण्डन करते हुए कथन किया गया है कि परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवादी व उसके पिता शैतान सिंह विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज पर आये। 763 बोरी आलू विभिन्न गेट पास से रखे। 379 बोरे परिवादी निकालकर ले गया, जिसका सभी पैसा अदा हो गया। 384 बोरी आलू कोल्ड स्टोर में शेष रह गया, 763 बोरी आलू का 100 रुपये प्रति बोरी की दर से किराया 76300/- रूपये होता है, जिसे परिवादी द्वारा भुगतान नहीं किया गया, जो परिवादी पर शेष था, जिसे परिवादी ने बाद में शेष आलू उठाने के समय दिये जाने का आश्‍वासन दिया गया था, जिसके बाद परिवादी के पिता शैतान सिंह दिनांक 24.11.2015 को आये और धनराशि रू0 67000/- रूपये की आवश्यकता बताते हुए कथन किया गया कि जब भी आलू विक्रय करूंगा तब आपका कुल कोल्ड स्‍टोरेज का भाढ़ा और जो नकद रूपये लिये हैं, उसको चुकता कर दूंगा तब विपक्षी द्वारा धनराशि रू0 67,000/- रूपये भुगतान कर दिये गये।

परिवादी से विपक्षी द्वारा कहा गया कि अपना शेष आलू दिनांक 31-10-2015 तक उठा ले, उसके बाद कोल्ड स्टोर बन्द हो जायेगा। फिर भी परिवादी आलू उठाने नहीं आया तब विवश होकर दिनांक 29-11-2015 को परिवादी के शेष आलू को छंटवाकर जो कुल 303 बोरी रहा गया था, उसे हाजी मुहम्मद कासिम एण्ड कम्पनी, मुम्बई को 54,000/- रूपये में विक्रय कर दिया । आलू की छटाई सुतली लेबर आदि में 5336/- रूपये अतिरिक्त खर्च हुए। इस प्रकार कुल 67000/- नकद, 76300/- कोल्ड स्टोरेज का भाड़ा तथा खर्चा 5336 कुल रू0 1,48,636/- परिवादी पर विपक्षी के बनते हैं, जिसमें से रू0 54,000/- रूपया काटने पर परिवादी पर रू0 94,636/- विपक्षी को देय बकाया है। परिवादी को वाद प्रस्तुत करने का अधिकार नहीं हैं। तदनुसार परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपने निर्णय एवं आदेश में यह निष्‍कर्ष उल्लिखित किया गया कि :-      

        “परिवादी के इस तर्क से हम सहमत है कि जब पहली लाट 378 पैकिट 431 रू0 प्रति पेकिट की दर से बेचा गया था तब आलू की कोई छटनी नहीं हुई थी। आलू की क्‍वालिटी नम्बर एक होने से छटनी नहीं हुई थी। और विपक्षी के द्वारा आलू कोल्ड स्टोरेज में लेते समय परिवादी को जो रसीद निर्गत की गई थी उसमें आलू की किश्म छ‌ट्टा 3797 दर्शाई गई है न कि गुल्ला या छर्री तभी प्रथम चरण में आलू में छर्री आलू की छटनी नहीं की गई है। इसलिए शेष 384 पैकिट आलू बड़े-बड़े होने से उच्च कोटि के छ‌ट्टा होने से छटनी करने का आधार विपक्षी ने बदनीयती से गलत लिया है।

    लगभग 80 बोरी आलू की छटाई कराने का खर्च आलू के पैकिट कम करने का जो आधार लिया गया है वह विपक्षी के दुराशय को झलकाता है। अधिक से अधिक 384 बोरी के स्थान पर 380 बोरी मानना अनुचित नहीं होगा और 380 पैकिट कीमत पाने का परिवादी अधिकारी है। विपक्षी ने 7 जनवरी 2017 का अमर उजाला हिन्दुस्तान जनवरी- 2018 का जागरण आदि समाचार पत्र की कटिंग प्रस्तुत की है यह समाचार पत्र सन् 2017-18 से संबंधित जबकि विवाद सन् 2015 का है। उभय पक्ष की ओर से प्रस्तुत शपथ पत्र एवं उभय पक्ष की ओर से रेट संबंधी अभिलेख में परिवादी का कथन व अभिलेख अधिक विश्वसनीय पाया जाता है।

     तदनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा निम्‍न आदेश पारित किया गया :-

परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार करके विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह 380 पैकिट आलू के एवज में 1,33,000/-रू० बतौर कीमत तथा इस धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 2-6-16 से वसूली की तिथि तक 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज का भी भुगतान करें। तथा वाद व्यय के रूप में 2000/- अतिरिक्त तौर पर परिवादी को विपक्षी भुगतान करें।

     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलकर्ता द्वारा दिये गये तथ्यों और बिन्‍दुओं एवं उपलब्‍ध कराये गये साक्ष्‍यों पर विचार किये बिना विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया गया है, जो विधि विरूद्ध है, अत: अपील स्‍वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्‍त किया जावे।

     प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों पर गहनता पूर्वक विचार करने के उपरान्‍त विधिनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। साथ ही प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित न्‍याय निर्णयों की ओर मेरा ध्‍यान आकर्षित किया गया। उपरोक्‍त न्‍याय निर्णयों का मेरे द्वारा सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

     उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण को सुनने तथा जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों साथ ही मा0 रार्ष्‍टीय आयोग द्वारा पारित न्‍याय निर्णयों का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के अनुसार है, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।           

 

आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित आदेश की पुष्टि की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

                       अध्‍यक्ष

आशीष आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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