राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-1907/2012
(जिला उपभोक्ता आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0-231/2000 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 22-08-2005 के विरूद्ध)
सोना ब्रिक फील्ड अयोध्या रोड निकट-उत्तरी फाटक दर्शन नगर, फैजाबाद द्वारा प्रबन्धक तिलक राम वर्मा पुत्र श्री राम सुन्दर वर्मा निवासी-ग्राम-पूरे जोगी (कुढ़ा केशवपुर) पोस्ट-दर्शन नगर, जिला-फैजाबाद।
...........अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
राम लगन त्रिपाठी पुत्र श्री राम लाल त्रिपाठी ग्राम-खड़ौवा (तिवारी का पूरा) थाना-नवाबगंज, तहसील-तरबगंज, जिला-गोण्डा।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री नवीन कुमार तिवारी विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 08-05-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0-231/2000 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 22-08-2005 के विरूद्ध योजित अपील के सन्दर्भ में हमारे द्वारा केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
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विद्वान जिला आयोग द्वारा निम्नांकित आदेश पारित किया गया :-
'' परिवाद 29,300/- रू0 की वसूली के लिए स्वीकार किया जाता है। परिवादी विपक्षी से इस धनराशि पर अग्रिम देने की तिथि से वसूली की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी पाने का अधिकारी है। परिवादी, विपक्षी से 5000/- क्षतिपूर्ति एवं 1000/- रूपया वाद व्यय भी पाने का अधिकारी रहेगा।
विपक्षी समस्त स्वीकृत धनराशि निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर परिवादी को दे अन्यथा उसके विरूद्ध न्यायालय के माध्यम से वसूली की जायेगी। ''
परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने विपक्षी से 25,000 ईंट खरीदना तय किया एवं 1175/- रू0 अग्रिम दे दिया। विपक्षी के प्रबन्ध ने ईंट अगले वर्ष देने के लिए कहा परन्तु उसने ईंट की आपूर्ति नहीं की तब उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी ने अपने प्रतिवाद पत्र में परिवादी द्वारा कथित धनराशि 29,300/- रू0 प्राप्त किया जाना स्वीकार किया, परन्तु उसे तयशुदा ईंटों की आपूर्ति नहीं की गई। अत: विद्वान जिला आयोग ने सभी तथ्यों का उचित विश्लेषण करते हुए अपने विस्तृत निर्णय में यह पाया कि यथार्थ में परिवादी को तयशुदा ईंटों की आपूर्ति नहीं की गई और न ही उसकी जमा धनराशि वापस की गई।
ऐसी स्थिति में विद्वान जिला आयोग द्वारा दिये गये निर्णय में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, परन्तु विद्वान जिला आयोग ने परिवादी की राशि अंकन 29,300/- रू0 पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज अदा करने का आदेश दिया है, पीठ के मतानुसार ब्याज की यह दर अत्यधिक है और इसके स्थान पर 06 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज दिया जाना उचित होगा।
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तदनुसार वर्तमान अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील, आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0-231/2000 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 22-08-2005 मात्र इस सीमा तक संशोधित किया जाता है कि इस आदेश के अन्तर्गत आदेशित ब्याज की दर 12 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज देय होगा। शेष निर्णय की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
अपीलार्थी द्वारा यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत कोई धनराशि जमा की गई हो तो वह सम्पूर्ण धनराशि मय अर्जित ब्याज के सम्बन्धित जिला आयोग को विधि अनुसार शीघ्रातिशीघ्र प्रेषित कर दी जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश के सन्दर्भ में उक्त धनराशि का विधि अनुसार निस्तारण किया जा सके।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक : 08-05-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.