( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
पुनरीक्षण वाद संख्या :98/2024
श्रीराम ट्रान्सपोर्ट फाइनेंस कम्पनी लिमिटेड व दो अन्य बनाम राम कुमार
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
दिनांक : 03-10-2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
परिवाद संख्या-45/2014 राम कुमार बनाम श्रीराम ट्रांसपोर्ट में जिला आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांकित 02-07-2024 के विरूद्ध प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री विष्णु कुमार मिश्रा उपस्थित आए। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया तथा विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
विद्धान जिला आयोग द्वारा दिनांक 02-07-2024 को निम्न विस्तृत आदेश पारित किया गया है:-
दिनांक 02-07-2024
पत्रावली पेश हुई। परिवादी एवं विपक्षीगण के विद्धान अधिवक्ता उपस्थित आये ।
यह पत्रावली विपक्षीगण की ओर से उनके विरूद्ध पारित एकपक्षीय आदेश दिनांक 05-07-2015 को वापिस लिये जाने हेतु प्रस्तुत किये गये प्रार्थना पत्र 44 सी, प्रार्थना पत्र 45 सी अन्तर्गत धारा-5 परिसीमा अधिनियम समर्थित शपथ पत्र 46 सी तथा उत्तर पत्र दाखिल करने का अवसर समाप्त किये जाने संबंधी आदेश दिनांक 24-11-2015 को निरस्त किये जाने हेतु प्रस्तुत किये गये प्रार्थना पत्र 48 सी, प्रार्थना पत्र 49 सी अन्तर्गत धारा-5 परिसीमा अधिनियम समर्थित शपथ पत्र 50 सी व संलग्न उत्तर पत्र 51 सी को पत्रावली में शामिल किये जाने हेतु नियत है।
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परिवादी की ओर से प्रार्थना पत्र के विरूद्ध अपनी आपत्ति 52सी व विपक्षीगण के उत्तर पत्र 51सी के विरूद्ध प्रति उत्तर 53सी प्रस्तुत किया गया।
दोनों पक्षों को विस्तार से सुना गया तथा पत्रावली का अध्ययन किया गया।
विपक्षीगण द्वारा उनके विरूद्ध पारित एकपक्षीय आदेश दिनांक 15-07-2015 व उत्तर पत्र दाखिल करने का अवसर समाप्त किये जाने संबंधी आदेश दिनांक 24-11-2015 को वापस लेकर संलग्न उत्तर पत्र 51सी को पत्रावली में दाखिल किये जाने हेतु लगभग साढ़े आठ वर्षों के उपरान्त यह प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किये गये हैं। जब कि तामीला के उपरान्त उत्तर पत्र दाखिल करने के लिए विपक्षीगण के समक्ष केवल 45 दिन का ही समय होता है। इस संबंध में मा0 राज्य आयोग से प्राप्त पत्र संख्या-1904/एससीडीआरसी/अधि0-4/2019, टी0सी0 दिनांकित 27-06-2024 में भी आयोग को 45 दिन की अवधि बीत जाने के उपरान्त उत्तर पत्र पत्रावली पर शामिल न किये जाने के संबंध में अपेक्षा की गयी है। जिस कारण विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र 44सी व 48सी स्वीकार होने योग्य न होने के साथ-साथ प्रस्तुत किया गया उत्तर पत्र 51सी भी पत्रावली में शामिल न किये जाने योग्य है।
तदानुसार प्रार्थना पत्र 44सी व 48 सी निरस्त किये जाते हैं तथा विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत उत्तर पत्र 51सी उपर्युक्त आधारों के कारण विपक्षीगण को वापस किया जाता है।
पत्रावली दिनांक 02-08-2024 को बहस हेतु पेश हो।‘’
पुनरीक्षणकर्ता के विद्धान अधिवक्ता को सुनने तथा जिला आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांकित 02-07-2024 एवं पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के उपरान्त विधि अनुसार आदेश पारित किया गया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनसार प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका निरस्त की जाती है।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1