राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-607/2011
(जिला उपभोक्ता फोरम, मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्या-141/2006 में पारित निर्णय दिनांक 13.03.2008 के विरूद्ध)
Hindustan coca cola beverages private LTD. A company duly incorporated
under the provisions of companies act having its registered office at 13 abul
fazal road, Bengali market delhi inter alia one of its office/plant at f-8
industrial area panki kanpur nagar. .........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
1. Sri Ram kumar singh chauhan, adult s/o Sri prakash Chandra, c/o prakash
traders station road, mainpuri, U.P.
2. Akash Cold drink, a proprietary concern through its proprietor Rajnish yadav
adult s/o Sri Sobaran singh, r/o awadh nagar, near Allahabad bank, mainpuri, U.P
3. M/S Bhadauria general store, A proprietary concern, through its proprietor
Munesh singh, adult s/o not known to the appellant stationed at devpura road.
mainpuri, U.P. .......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विवेक निगम, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 30.06.16
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्या 141/2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 13.03.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। जिला मंच द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया:-
'' परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 1 को आदेशित किया जाता है कि वो परिवादी को रू. 300000/- प्रतिकर मय 12 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज परिवाद की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि का इस आदेश की तिथि से एक माह के अंदर फोरम के नाम चेक बनाकर दाखिल करके अदा करें।''
संक्षेप में परिवादी का कथन है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 3 की दुकान से दो बोतल माजा वजन 250 एम एल व एक बोतल फेन्टा स्वयं व परिवारजनों के इस्तेमाल हेतु क्रय की थी। जो बोतल उसने दि. 02.05.06 को रसीद संख्या 90 द्वारा ली थी, परिवादी ने जैसे ही पीने के लिए रखी तो उसने देखा कि बोतल में काला सा पदार्थ दिखाई दिया तो वह आश्चर्य चकित रह गया तथा उसने बोतल की सील नहीं खोली और उसे सुरक्षित रख ली
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तथा उसे दूसरो के सामने अपमानित होना पड़ा तो इसकी शिकायत विपक्षी संख्या 3 से की और बोतल दिखाई तो उसने कहा कि उसे उक्त बोतल शीतल पेय की आपूर्ति विपक्षी संख्या 1 से हुई जो इसका उत्पादक है। दूषित पेय के सेवन से जीवन खतरे में पड़ जाता इससे परिवादी को गंभीर मानसिक आघात पहुंचता अत: उसने प्रतिकर की मांग की है।
पीठ द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गई तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी का कथन है कि जिला मंच ने तथ्यों का सही परिशीलन नहीं किया है। जिला मंच ने धारा 13 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में दिए गए प्रावधानों का पालन नहीं किया है। जिला मंच ने अपीलार्थी के विरूद्ध एकतरफा आदेश पारित किया है। अपीलार्थी को परिवाद के संबंध में कोई नोटिस जिला मंच से नहीं प्राप्त हुई, इसलिए वह अपना पक्ष जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर सका। जिला मंच के समक्ष जो पेय पदार्थ की बोतल प्रस्तुत की गई है उसमें न कोई बैच नम्बर था और न ही कोई तिथि अंकित थी। जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत की गई बोतल जाली थी। जिला मंच ने इस तथ्य की ओर ध्यान नहीं दिया कि बिना परीक्षण के यह अवधारित नहीं किया जा सकता कि प्रश्नगत बोतल अपीलार्थी के फैक्ट्री का था। परिवादी को कोई क्षति नहीं पहुंची है और वह क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। जिला मंच ने तीन लाख रूपये की जो क्षतिपूर्ति आरोपित की है उसका कोई आधार नहीं है।
जिला मंच का निर्णय दि. 13.03.2008 का है जो दो सदस्यों द्वारा दिया गया है। अपील दि. 07.04.11 को प्रस्तुत की गई है। इस प्रकार अपील काफी विलम्ब से प्रस्तुत की गई है। अपीलार्थी ने विलम्ब को क्षमा किए जाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है, इसमें पर्याप्त कारण दर्शाए गए हैं, अत: अपील को प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब को क्षमा किया जाता है। जिला मंच ने अपने निर्णय में यह अंकित किया है कि विपक्षी संख्या 1, 2 व 3 अनुपस्थित रहे, उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई। अपील आधार में महत्वपूर्ण बिन्दु उठाए गए हैं, अत: केस के तथ्यों एवं परिस्थितियों के दृष्टिगत Audi alteram partem के सिद्धांत के अनुसार न्याय हित में अपीलार्थी को सुना जाना आवश्यक है। अत: प्रकरण जिला मंच को प्रतिप्रेषित किए जाने योग्य है। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
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आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला मंच का निर्णय/आदेश दि. 13.03.2008 निरस्त किया जाता है। प्रकरण जिला मंच को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि उभय पक्षों को साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करते हुए गुणदोष के आधार पर परिवाद का प्राथमिकता से निस्तारण करना सुनिश्चित करें।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-3