Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/2216

Vidyut Vitran Nigam Ltd. - Complainant(s)

Versus

Ram Kumar Sharma - Opp.Party(s)

Isar Husain

20 Nov 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/2216
( Date of Filing : 18 Sep 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Vidyut Vitran Nigam Ltd.
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ram Kumar Sharma
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Nov 2020
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                 (सुरक्षित)

अपील सं0 :- 2216/2006

(जिला आयोग, प्रथम मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0- 72/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17/11/2005 के विरूद्ध)

  1. Pachimanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. through its Mananging Director, Victoria Park Meerut.
  2. Executive Engineer, Electricity Distribution Division, Sambhal, Moradabad.

 

  1. Appellants

Versus

 

     Ram Kumar Sharma S/O Sri Baneri Lal, Mohalla Kot East, Sambhal, District, Moradabad.

  1. Respondent

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता:-       श्री इशार हुसैन

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता:-         कोई नहीं।

दिनांक:-  06-09-2021

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.      यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 निर्णय व आदेश दिनांकित 17.11.2005 द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग प्रथम, मुरादाबाद, परिवाद सं0 72/2005 राम कुमार शर्मा प्रति पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड व अन्‍य में पारित आदेश 17.11.2015 के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया गया है।
  2.      परिवादी ने यह परिवाद इन अभिकथनों के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने एक विद्युत कनेक्‍शन सं0 1110/043399 लिया था जो उसने अपने जीविकोपार्जन एवं भरण पोषण हेतु स्‍वीकृत कराया था। वह नियमानुसार विद्युत का भुगतान करता चला आ रहा है। दिनांक 10.10.1998 को उक्‍त विद्युत कनेक्‍शन विच्‍छेदित किया जा चुका है तथा 15.10.1998 को उक्‍त विद्युत कनेक्‍शन से संबंधित मीटर भी हटाया गया है क्‍योंकि परिवादी को उक्‍त कनेक्‍शन की आवश्‍यकता नहीं थी। अत: उसने विद्युत कनेक्‍शन पुनर्स्‍थापित नहीं कराया। भारतीय विद्युत अधिनियम के प्रावधान के अनुसार विपक्षीगण का दायित्‍व था कि उपभोक्‍ता द्वारा विच्‍छेदित विद्युत कनेक्‍शन को यदि 6 माह के अंदर पुनर्स्‍थापित नहीं कराया जाता है तो 6 माह के पश्‍चात उपभोक्‍ता को अंतिम बिल जारी कर दिया जायेगा किन्‍तु विपक्षीगण ने उक्‍त प्रावधानों का पालन नहीं किया है। विपक्षी सं0 2 द्वारा प्रेषित विद्युत बिल दिनांक 25.03.2005 को बिल दिनांकित 18.03.2005 प्राप्‍त हुआ, जिसमें रूपये 35,754/- की मांग की गयी थी। परिवादी द्वारा कथन किया गया है कि उसका कनेक्‍शन दिनांक 10.10.1998 को विच्‍छेदित हो चुका है किन्‍तु विपक्षीगण ने परिवादी के उक्‍त मामलों को निस्‍तारित करने से मना कर दिया, जिस कारण यह परिवाद योजित किया गया है।
  3.      जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रथम मुरादाबाद ने उक्‍त परिवाद में निर्णय दिनांकित 17.11.2005 पारित किया। निर्णय के अनुसार विपक्षीगण को नोटिस जारी किये गये तथा उनकी तरफ से अधिवक्‍ता महोदय उपस्थित हुये थे तथा अपना वकालतनामा प्रस्‍तुत किया यहां बार-बार समय दिये जाने कोई वाद प्रस्‍तुत नहीं किया। अत: उक्‍त परिवाद एकपक्षीय रूप से स्‍वीकार करते हुए यह निर्देश दिया गया कि दिनांक 10.10.1998 को अंतिम रीडिंग के आधार पर बिल जारी किया जाये तथा बिल दिनांकित 18.03.2005 को निरस्‍त कर दिया, जिससे व्‍यथित होकर यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।
  4.      अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिये गये हैं कि परिवादी ने यह स्‍वीकार किया है कि उनको बिल दिनांकित18.03.2005 मीटर सं0 3368 के बावत प्रस्‍तुत हुआ है, जिनमें विद्युत एरियर रूपये 35,754/- दर्शाये गये हैं। परिवादी ने आफिस मेमोरेण्‍डम को निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की है, जो संबंधित अधिकारियों द्वारा जारी किये गये हैं। सब डिविजनल आफिसर के आफिस द्वारा मेमोरेण्‍डम लेटर सं0 1250 दिनांकित 06.12.2005 जारी किया गया, जिसमें मीटर उतारने की तिथि 15.10.1998 को मानते हुए रूपये 7,563/- उस तिथि तक का विद्युत मूल्‍य को बिल में लिया गया है। परिवादी को इस बकाया की पूर्ण ज्ञान था। विद्युत बकाया का विवरण इस प्रकार है कि दिनांकित 10/1998 रूपये 6,221+ सरचार्ज रूपये 746.52+पीडी फीस रूपये 100+मीटर कोस्‍ट रूपये 495/- कुल 7,563/- अपीलार्थी द्वारा परिवादी नियमित बिल प्रषित किये गये किन्‍तु इनकी अदायगी परिवादी ने नहीं की।
  5.    अपील योजित होने के उपरान्‍त दिनांक 04.02.2020 को प्रत्‍यर्थी को नोटिस तामील होकर वापस आयी जो अभिलेख पर ली गयी किन्‍तु प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। दिनांक 08.09.2021 को नोटिस की तामील पर्याप्‍त मानी गयी एवं अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता को अपील पर सुना गया।
  6.     अपील के मेमो तथा विभाग के पत्र विद्युत वितरण प्रथम उपखण्‍ड द्वारा प्रेषित पत्रांकसं0 1251/यूवीप्रउ0खण्‍ड दिनांकित 06.12.2005 के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि विभाग की ओर से परिवादी पर रूपये 7,563/- बकाया होने का कथन किया गया है जबकि परिवादी द्वारा रूपये 35,754/- बकाया दर्शायी गयी थी। अत: विभाग द्वारा स्‍वीकार किये जाने पर रूपये 7,563 विद्युत बकाया के रूप में वादी से विभाग अपीलार्थी विभाग द्वारा वसूल किया जाना उचित प्रतीत होता है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा पूर्व के बिल को निरस्‍त करते हुए अंतिम रीडिंग के आधार पर बिल जारी करने का निर्देश दिया गया है। अपीलार्थी द्वारा रू0 7,563/- का बिल जारी किया गया है। जो युक्ति युक्‍त प्रतीत होता है। अत: प्रश्‍नतगत निर्णय व आदेश निरस्‍त किये जाने योग्‍य है तथा अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए उक्‍त धनराशि की वसूली अपीलार्थी विभाग द्वारा किए जाने की स्‍वतंत्रता दी जाती है।   

आदेश

अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश को संशोधित करते हुए परिवाद इस प्रकार स्‍वीकार किया जाता है कि रूपये 35,754/- के स्‍थान पर वादी रूपये 7,563/- विद्यत बकाया के रूप में विद्युत विभाग में जमा करे। 

अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(विकास सक्‍सेना)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

संदीप आशु0 कोर्ट 3

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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