राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-1003/2022
(जिला उपभोक्ता आयोग, शामली द्धारा परिवाद सं0-19/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.7.2022 के विरूद्ध)
हैवल्स इण्डिया लिमिटेड, रजिस्टर्ड ऑफिस 904, 09वॉ तल, सूर्या किरण बिल्डिंग के0जी0 मार्ग, कनाट प्लेस, नई दिल्ली-110001
.......... अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
राम कुमार शर्मा पुत्र स्व0 लक्ष्मीचन्द शर्मा, निवासी गुजरातियान निकट काका वैद्य जी शामली।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री मोहित ढ़ीगरा
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :-29-9-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी सं0-4 हैवल्स इण्डिया लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, शामली द्वारा परिवाद सं0-19/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.7.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक 28.10.2016 को विपक्षी सं0-2 से लॉयड कम्पनी की 08 किग्रा0 की एक वाशिंग मरीश, जिसका मॉडल नं0-XWMS80BO.SR-1609309792 अंकन 9,600.00 रू0 में अपनी छोटी पुत्री शक्ति शर्मा के नाम से खरीदी थी। दिनांक
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09.5.2017 को उपरोक्त क्रय की गयी वॉशिग मशीन का ड्रायर खराब हो गया, जिसकी सूचना प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 व 2 को दिनांक 09.5.2017 को दुकान पर दी, जिस पर प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2 प्रोपराइटर रोशन इलैक्ट्रॉनिक कबाड़ी बाजार, शामली ने कम्पनी में शिकायत दर्ज कराने की बात की, परन्तु कम्पनी के कर्मचारियों ने फोन नहीं उठाया, जिस पर प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 11.6.2017 को प्रत्यर्थी/परिवादी की शिकायत लॉयड कम्पनी के टोल फ्री नम्बर पर की। दिनांक 15.6.2017 को लॉयड कम्पनी के कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि मशीन का ड्रायर खराब है और सामान आने पर मशीन ठीक कर दी जायेगी। काफी समय तक वॉशिंग मशीन ठीक नहीं की गई और न ही प्रत्यर्थी/विपक्षीगण के कर्मचारियों द्वारा फोन उठाया गया, जो कि प्रत्यर्थी/विपक्षीगण की सेवा मे कमी व लापरवाही को दर्शाता है। वॉशिंग मशीन खरीदते समय प्रत्यर्थी/विपक्षीगण द्वारा आश्वासन दिया गया था कि मशीन खराब होने पर उसे 48 घण्टे में ठीक कर दिया जावेगा अन्यथा खराब पार्ट को तीन दिन में बदल दिया जावेगा, परन्तु ऐसा नहीं किया गया, अत: विवश होकर 03 माह पश्चात प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा व्यक्तिगत मिस्त्री को पैसे देकर मशीन ठीक करानी पडी और तनाव के कारण प्रत्यर्थी/परिवादी की किडनी खराब हो गई, जिसकी समस्त जिम्मेदारी विपक्षीगण की है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा विपक्षीगण से वॉशिंग मशीन बदलकर देने तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष प्रदान किये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री मोहित ढीगरा को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया।
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प्रत्यर्थी ने कहा है कि प्रश्नगत वॉशिक मशीन 07 माह तक ठीक चली और फिर मशीन खराब होने पर परिवादी द्वारा शिकायत भी की गई, किन्तु उससे कहा गया कि दिशा-निर्देशों का अनुपालन न करने के कारण स्पिन लिड टूट गई है।
हमारे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय का अवलोकन किया, यदि किसी व्यक्ति मशीन में बार-बार खराब हो और काम न करें, जिस कारण उसकी सारी दिनचर्या खराब होती है और उसे अनावश्यक रूप से नुकसान उठाना पड़ता है। अपीलार्थी ने समय से मशीन की मरम्मत न करा करके त्रुटि कारित की है और विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद को स्वीकार किया है।
जहॉ तक अनुतोष का सम्बन्ध है हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा इस मामले में विभिन्न मदों में दिया गया अनुतोष अधिक है और सम्यक विचारोंपरांत यह पाया जाता है कि अनुतोष को 50 प्रतिशत कम करते हुए अपील इसी स्तर पर अंतिम रूप से निस्तारित की जाये, अत: अपील आंशिक रूप से तद्नुसार निरस्तारित किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील इसी स्तर पर आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए इस प्रकार से निस्तारित की जाती है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद सं0-19/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.7.2022 में शारीरिक, आर्थिक व मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु प्रदत्त रू0 2,00,000.00 के स्थान पर रू0 1,00,000.00, प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2 को प्रदत्त रू0 25,000.00 के स्थान पर 12,500.00, विपक्षी सं0-3 व 4 के विरूद्ध अनुचित व्यापार व्यवहार हेतु प्रदत्त
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50,000.00 रू0 के स्थान पर 25,000.00 रू0 एवं वाद व्यय के मद में प्रदान किये गये रू0 5,000.00 के स्थान पर 2,500.00 रू0 संशोधित किया जाता है, शेष ब्याज में किसी प्रकार के संशोधन की आवश्यक नहीं है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को नियमानुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1