(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 1918ए/1996
1. एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन-द्वितीय, इलाहाबाद।
2. यू0पी0 स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, शक्ति भवन, अशोक मार्ग, लखनऊ।
........अपीलार्थीगण।
बनाम
राम किशोर मिश्रा, निवासी छतनाग, परगना एण्ड पोस्ट झूंसी, तहसील फूलपुर, जिला इलाहाबाद।
................प्रत्यर्थी।
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक:- 11.01.2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय/आदेश
परिवाद सं0- 587/1995 श्री राम किशोर मिश्रा बनाम उ0प्र0 राज्य विद्युत परिषद व दो अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, इलाहाबाद (प्रयागराज) द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 14.11.1996 के विरुद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत बिजली का कनेक्शन नवम्बर 1989 में लिया था और वह 17/-रू0 प्रतिमाह की दर से बिजली का मूल्य अदा करता रहा। यह मूल्य माह जनवरी 1991 से माह अप्रैल 1992 तक 22-50 हो गया और उसके बाद से 27/-रू0 प्रति माह विद्युत चार्ज देय हुआ, जिसके अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी बिजली का मूल्य देने के लिए तैयार है, परन्तु दि0 30.12.1994 तक का अपीलार्थीगण विद्युत विभाग ने एक बिल रू010,061.40पैसे का भेजा जो गलत है, जिसे प्रत्यर्थी/परिवादी ने निरस्त किये जाने और उसकी जगह 1462/-रू0 वसूल किये जाने हेतु परिवाद प्रस्तुत किया है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए यह निर्णय पारित किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा स्वयं पूर्व माहवार का विद्युत देय रू0 1462/- की देयता स्वीकृत की गई तथा यह कि बिजली का मूल्य 17/-रू0 प्रतिमाह प्रति दुकान की दर से अपीलार्थीगण विद्युत विभाग द्वारा निश्चित किया गया था, परन्तु विद्युत विभाग द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी से बिना किसी साक्ष्य एवं कारण से दि0 30.12.1994 तक विद्युत बिल की देयता रू010,061.40पैसे की मांग की गई जिस सम्बन्ध में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विद्युत विभाग द्वारा कोई हिसाब एवं बिल इत्यादि प्रस्तुत नहीं किया जा सका, न ही कोई स्पष्टीकरण ही प्रस्तुत किया जा सका। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कुल विद्युत देय से सम्बन्धित स्वीकृत धनराशि 1462/-रू0 की अदायगी हेतु विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा आदेशित किया गया तथा यह स्पष्ट रूप से अंकित किया गया कि उपरोक्त धनराशि दि0 30.12.1994 को प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जमा की गई है, अतएव प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जो अभिकथन विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया तथा जो अनुतोष प्रदान करने की प्रार्थना की गई वह पूर्णत: उचित है।
हमारे द्वारा समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो निर्णय व आदेश पारित किया गया है उसमें किसी प्रकार की कोई असंगति दृष्टिगत नहीं है, अतएव अपील निरस्त की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 1