Uttar Pradesh

StateCommission

A/439/2019

Kanpur Development Authority - Complainant(s)

Versus

Ram Kishore Alliase R.K. Dayal - Opp.Party(s)

Arvind Kumar

19 Jul 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/439/2019
( Date of Filing : 01 Apr 2019 )
(Arisen out of Order Dated 11/12/2018 in Case No. C/503/2010 of District Kanpur Nagar)
 
1. Kanpur Development Authority
Moti Jheel Kanpur Through Its Vice Chairman
...........Appellant(s)
Versus
1. Ram Kishore Alliase R.K. Dayal
S/O Sr Fatehchand R/O 2/26 WS Colony Govind Nagar Through Authority Ravindra kumar Dwivedi S/O Sri Durga Pd. Dwivedi R/O 87/6(1) Heeraganj Kalpi Road Kanpur Nagar (U.P.)
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Jul 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-439/2019

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्धारा परिवाद सं0-503/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11.12.2018 के विरूद्ध)

कानपुर विकास प्राधिकरण, द्वारा उपाध्‍यक्ष।

                                              ........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम          

राम किशोर उर्फ आर0के0 दयाल पुत्र श्री फतेहचन्‍द्र, निवासी-2/26 डब्‍लू.एस. कालोनी, गोविद नगर, कानपुर द्वारा अधिकृत एटार्नी रवीन्‍द्र कुमार दि्ववेदी पुत्र  दुर्गा प्रसाद दि्ववेदी, निवासी-87/6 (1) ए0 हीरागंज, कालपी रोड कानपुर (उ0प्र0)

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य                  

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता      : श्री मनोज कुमार

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता        : श्री वेद प्रकाश आर्य

दिनांक :- 22-7-2022

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-503/2010 रामकिशोर उर्फ आर0के0 यादव बनाम कानपुर विकास प्राधिकरण में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11.12.2018 के विरूद्ध योजित की गई है। परिवाद स्‍वीकार करते हुए जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्राधिकरण को निर्देशित किया गया है कि भवन सं0-एमई-204 बर्रा-2 के फ्रीहोल्‍ड विलेख परिवादी के पक्ष में निष्‍पादित कराकर पंजीकृत कराये।

-2-

इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि आवं‍टी डिफाल्‍टर रहा है, उसने सम्‍पूर्ण विक्रय मूल्‍य जमा नहीं किया है। श्री रवीन्‍द्र कुमार दि्ववेदी द्वारा पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्‍यम से परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है, जिसमें रामकिशोर द्वारा हस्‍ताक्षर नहीं किया गया है, इसलिए उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-12 के अन्‍तर्गत परिवाद संधारणीय नहीं है और पावर ऑफ अटॉर्नी होल्‍डर प्राधिकरण का उपभोक्‍ता नहीं है। विभिन्‍न नजीरों में इस आशय के निष्‍कर्ष दिये गये हैं।

दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया।

परिवाद पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि प्रश्‍नगत भवन रामकिशोर उर्फ आर0के0 यादव नामक व्‍यक्ति को आवंटित किया गया। अधिकृत अटॉर्नी रवीन्‍द्र कुमार दि्ववेदी को कभी भी यह भवन आवंटित नहीं किया गया, अत्एव सर्वप्रथम इस बिन्‍दु पर विचार करना है कि क्‍या मूल आवंटी रामकिशोर उर्फ आर0के0 यादव के पावर ऑफ अटॉर्नी होल्‍डर को उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत करने का अधिकार है अथवा नहीं ?

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपील के ज्ञापन में जिन नजीरों का उल्‍लेख किया है वह नजीरें प्रश्‍नगत तथ्‍यों के अनुरूप नहीं है, इसलिए प्रश्‍नगत केस के लिए सुसंगत नहीं है। मूल आवंटी के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए उनके अटॉर्नी द्वारा परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है और मूल आवंटी को यह अधिकार प्राप्‍त है कि वह अपने अधिकारों को अपने अटॉर्नी होल्‍डर के माध्‍यम से सुरक्षित कराये। अटॉर्नी होल्‍डर को परिवाद पर हस्‍ताक्षर करने, शपथपत्र प्रस्‍तुत करने का अधिकार प्राप्‍त है। उपभोक्‍ता परिवाद का निस्‍तारण करते समय साक्ष्‍य विधि के सिद्धांत दृष्‍णता के साथ लागू नहीं होते

-3-

हैं, इसलिए मूल आवंटी को साक्ष्‍य में प्रस्‍तुत होना आवश्‍यक नहीं है। यदि अटॉर्नी समस्‍त तथ्‍यों से वाकिब है तब वह भी अपना शपथपत्र प्रस्‍तुत कर सकता है। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत प्रस्‍तुत किये गये परिवाद संक्षिप्‍त प्रक्रिया अपनाते हुए निस्‍तारित किये जाते हैं, इसलिए शपथपत्र पर दी गई साक्ष्‍य ग्राह्य होती है और इसी साक्ष्‍य के आधार पर विवाद का निस्‍तारण किया जाता है। इसलिए मूल आवंटी को बतौर साक्षी न्‍यायालय में उपस्थित होना आवश्‍यक नहीं है।

इस तथ्‍य पर कोई विवाद नहीं है कि मूल आवंटी को दिनांक 19.8.1988 को भवन आवंटित किया गया, जिसका अनुमानित मूल्‍य 80,000.00 रू0 था। प्राधिकरण की व्‍यवस्‍था के अनुसार मूल्‍य जमा कर दिया गया है, परन्‍तु आवंटी के पक्ष में विलेख निष्‍पादन की कार्यवाही नहीं की गई, इसलिए जिला उपभोक्‍ता आयोग ने विलेख निष्‍पादन का आदेश पारित किया है। इस आदेश में किसी प्रकार की वैधानिकता नहीं है। वर्ष-1988 से अनेकों वर्ष बीत जाने के बावजूद भी आज तक मूल आवंटी के पक्ष में विलेख निष्‍पादित न करना प्राधिकरण द्वारा मूल आवंटी के साथ क्रूर व्‍यवहार किया जाना है और जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश के विरूद्ध अनावश्‍यक एवं निरर्थक रूप से अपील प्रस्‍तुत की गई है, जो कि 25,000.00 रू0 हर्जे सहित खारिज किये जाने योग्‍य है।

 आदेश

प्रस्‍तुत अपील अंकन 25,000.00 रू0 विशेष हर्जे सहित खारिज की जाती है। यह हर्जा भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को देय होगा, इस हर्जे की राशि पर कोई ब्‍याज देय नहीं होगा तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा

 

-4-

परिवाद सं0-503/2010 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 11.12.2018 की पुष्टि की जाती है।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                 (सुशील कुमार)              

                  अध्‍यक्ष                                           सदस्‍य                                                                           

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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