(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :- 1425/2005
(जिला उपभोक्ता आयोग, बुलंदशहर द्वारा परिवाद सं0-263/2000 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27/07/2005 के विरूद्ध)
Manager, Jai Bajrang bali Cold Storage, Jahangirabad, District Bulandshar.
- Appellant
Versus
Ram Kishan, Urf Kishanlal, S/O Sri Pitambar, R/O Village Khadana, Post Khandana, Tehsil Anupshar, District Bulandshar.
समक्ष
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
- मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री राजेश चड्ढा
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री रवि कुमार रावत
दिनांक:-11.04.2023
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- जिला उपभोक्ता आयोग, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद सं0 263/2000 रामकिशन उर्फ किशनलाल बनाम प्रबंधक, जय बजरंगबली कोल्ड स्टोरेज में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.07.2005 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
- संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में भिन्न-भिन्न तारीखों पर 116 बोरी आलू भण्डारित किया, जिसको सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी अपीलार्थी/विपक्षी को थी। प्रत्यर्थी/परिवादी माह अक्टूबर 2000 में अपने खेतों में आलू बोने के लिए बीज को अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज से लेने के लिए गया तो प्रत्यर्थी/परिवादी का आलू नष्ट होने के कारण नहीं मिला, और अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा नष्ट हुए आलू के संबंध में कोई जवाब नहीं दिया गया। अपीलार्थी/विपक्षी ने 116 बोरी आलू की कीमत का भुगतान नहीं किया। दिनांक 07.11.2000 को अपीलार्थी/विपक्षी को एक विधिक नोटिस भी दिलवाया गया, लेकिन अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा आलू का भुगतान नहीं किया गया, जिस कारण प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा आलू की कीमत 46,400/-रू0 मय ब्याज पाने हेतु परिवाद दायर किया।
- अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया है जिसमें कथन किया गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक 27.03.2000 को 48 बोरी आलू का बीज एवं 19 बोरी आलू की किट्टी कोल्ड स्टोरेज में रखवाया था। दिनांक 29.03.2000 को प्रत्यर्थी/परिवादी ने 23 बोरी साधारण आलू, पप्पू नाम के व्यक्ति द्वारा कोल्ड स्टोरेज में रखवाया गया, जिनमें से उसने 10 बोरियां बजरिये गेट पास नम्बर 144 दिनांक 09.11.2000 को सूचना भेजकर कोल्ड स्टोरेज के मुनीम से मंगवा ली थी तथा शेष 13 बोरियां उक्त पप्पू को भेजकर बजरिये गेट पास सं0 178 दिनांक 19.11.2000 को प्राप्त कर ली थी। दिनांक 01.04.2000 को 18 बोरी साधारण आलू तथा 45 बोरी साधारण आलू कोल्ड स्टोरेज में भण्डारित कराया था उसी दिन प्रत्यर्थी/परिवादी दो बार में 2,000/- एवं 1,000/-रू0 यानि कुल 3,000/- रूपया अपीलार्थी/विपक्षी से यह कहकर उधार ले गया था कि जब आलू उठाने आउंगा तब वापिस कर दूँगा। प्रत्यर्थी/परिवादी 63 बोरियां दिनांक 19.11.2000 को ले गया था। परिवादी की कुल 153/- बोरी का किराया 9,180/-रू0 बनता है और वर्ष 2000 मे आलू का रेट बहुत कम था और प्रत्यर्थी/परिवादी की 67 बोरी आलू को सड़ने के कारण वह फिंकवा दिया गया, जिसमें 670/-रू0 खर्च आया। इस प्रकार परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्कों को सुनने के उपरान्त प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद सव्यय स्वीकार किया है।
- अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा एवं प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री रवि कुमार रावत को विस्तार से सुना गया। पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेख का अवलोकन किया गया।
- अपीलार्थी कोल्ड स्टोरेज की ओर से प्रत्यर्थी/परिवादी को कथित रूप से दिये गये उसके आलूओं की सुपुर्दगी के लिए गेट पास की प्रतिलिपि प्रस्तुत की गयी है। गेट पास दिनांक 09.11.2000, 19.11.2000 को सुपुर्द करना तथा गेट पास सं0 177 स्वयं प्रत्यर्थी राम किशन को दिया जाना इन प्रतिलिपियों से परिलक्षित होता है। उपरोक्त बोरियां क्रमश: 10, 18, 45 एवं 13 दर्शाया गया है। इस प्रकार कुल 86 बोरी परिवादी को सुपुर्द किये जाने के संबंध में गेट पास प्रस्तुत किया गया है। प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उपरोक्त आलू उनको सुपुर्द नहीं किये गये हैं, किन्तु इस संबंध में प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से आलू जमा करने की रसीदें प्रस्तुत नहीं की गयी हैं जो धारा 19 उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज विनियम अधिनियम के अनुसार कोल्ड स्टोरेज के किरायेदार अर्थात इस मामले में परिवादी के पास होना चाहिए और परिवादी इस तथ्य को सिद्ध करने के लिए कि उक्त आलूओं की निकासी उनके द्वारा नहीं की गयी है। इन रसीदों को प्रस्तुत कर सकते हैं, किन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा इन रसीदों को प्रस्तुत नहीं किया गया है। धारा 19 एवं धारा 20 निम्नलिखित प्रकार से प्रदान किया गया है:-
Delivery of goods | 19- | - Every licensee shall on demand made by or on behalf of the hirer, deliver the goods stored in the cold storage, provided the hirer surrenders the receipt and pays all charges due to the licensee.
- Every receipt so surrendered to the licensee shall be defaced and shall not be reissued.
- Subject to an agreement between the parties, the hirer may take partial delivery of the goods stored in a cold storage and in every such case, the licensee shall make necessary endorsement on the receipt and return it to the hirer.
|
Licensee's lien | 20- | Every licensee in possession of the goods in his cold storage is entitled to retain possession thereof until the receipt therefor is surrendered and necessary charges are duly paid in accordance with section 19. |
- इस प्रकार एक ओर अपीलार्थी कोल्ड स्टोरेज की तरफ इन आलूओं की निकासी का प्रमाण दिया गया है, जिनका प्रमाण गेट पास के रूप मे दिया गया है, जिसका खण्डन प्रत्यर्थी/परिवादी ने शपथ पत्र के माध्यम से नहीं किया है कि उक्त व्यक्ति किनके द्वारा आलूओं की सुपुर्दगी ली गयी है, वे प्रत्यर्थी/परिवादी के कोई जानकार नहीं है और प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उनके द्वारा इन आलूओं की निकासी कर ली गयी है। इसके अतिरिक्त धारा 19 के अनुसार प्राप्त रसीदें भी प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रस्तुत नहीं की है, जिससे स्वत: स्पष्ट हो जाता है कि उक्त रसीदों का माल वापस किरायेदार अर्थात परिवादी ने नहीं लिया है। अत: अपीलार्थी द्वारा दिये गये तर्क के अनुसार कितनी बोरी आलूओं को प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्राप्त करना इस अधिनियम के अंतर्गत मामले के लिए पर्याप्त माना जा सकता है।
- जहां तक शेष 67 बोरियों का प्रश्न है। इस संबंध में अपीलार्थी का कथन है कि उसने जिला उद्यान अधिकारी अर्थात अधिनियम उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज विनियम के प्रावधानों के अनुसार विहित प्राधिकारी को सूचना देकर आलूओं के खराब होने के कारण माल को कोल्ड स्टोरेज के बाहर फेंकवा दिया था, किन्तु अधिनियम की धारा 17 के अनुसार कोल्ड स्टोरेज का कर्तव्य मात्र विहित प्राधिकारी अर्थात अधिनियम की धारा 2 के अनुसार लाइसेंस अधिकारी को सूचना देने मात्र से समाप्त नहीं हो जाता है। धारा 17 उपरोक्त अधिनियम के अनुसार माल यदि खराब होने लगे अथवा उसके खराब होने की संभावना हो तो लाइसेंसधारी अर्थात कोल्ड स्टोरेज को तुरंत किरायेदाता को नोटिस दिये जाने और इसके 7 दिन के भीतर माल उठाये न जाने के कारण उपरांत सार्वजनिक नीलामी द्वारा बिकवाने का प्रावधान है, जिसकी सूचना लाइसेंस अधिकारी अर्थात जिला उद्यान अधिकारी को 48 घण्टे पूर्व दी जायेगी। धारा 17 निम्नलिखित प्रकार से दिया गया है:-
Goods 17- (1) Whenever goods stored in a cold storage begin to deteriorate or are likely to deteriorate from a cause beyond the control of the licensee, or where the hirer fails to take delivery of the goods stored in the cold storage within a period of fifteen days from the date specified there for in the receipt, the licensee shall forthwith give notice thereof to the hirer, requiring him to take delivery of the goods immediately after surrendering the receipt duly discharged and paying all charges due to the licensee, and send a copy of such notice to the Licensing Officer.
(2)Where the hirer fails to comply with the notice referred to in sub-section
(1) within a period of seven days from the date of service thereof, the licensee may cause the goods to be removed from the cold storage and sold by public auction at the cost and risk of their hirer:
Provided that the licensee shall give notice of the sale to the Licensing Officer at least forty-eight hours before such sale, and the Licensing Officer shall supervise such sale either himself or through an officer authorized by him in that behalf.
| | Explanation- Loss of weight or bulk by driage or shrinking or gain of weight or bulk by absorption of moisture shall be deemed to amount to deterioration within the meaning of this section, if the loss or gain exceeds such limits as the Licensing Officer may, from time to time, having regard to the climatic conditions of different areas, fix by notification published in the Gazette. (3) If there is any excess in the weight or bulk of an agricultural produce stored in a cold storage by absorption of moisture or other causes, the licensee shall not be entitled to such excess. |
- इस प्रकार प्रस्तुत मामले स्वयं लाइसेंसधारी अर्थात कोल्ड स्टोरेज के अभिवचनों में आयी संस्तुति के आधार पर उसके द्वारा 67 बोरी को अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अपीलार्थी द्वारा पूरी कार्यवाही न करते हुए इस माल को उपेक्षापूर्ण ढंग से बाहर फेंकवा दिया है इन आलूओं की हानि एवं क्षति के लिए अपीलार्थी कोल्ड स्टोरेज उत्तरदायित्व रखता है।
- जहां तक उक्त बोरियों के मूल्य का प्रश्न है। विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा आलूओं का मूल्य 200 रूपये प्रति बोरी दर्शाया गया है, जबकि अपीलार्थी की ओर से जिला उद्यान अधिकारी द्वारा दिये गये रेट की प्रतिलिपि प्रस्तुत की गयी है। दिनांक 25.02.2003 की प्रतिलिपि माह नवम्बर 2000 से माह दिसम्बर 2000 के मध्य का 100/-रू0 प्रति बोरी जहांगीराबाद मण्डी द्वारा प्राप्त कराया गया है, जिसका खण्डन प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा नहीं किया गया है। अत: अन्य खण्डित किये जाने वाले साक्ष्य के अभाव में 100/-रू0 प्रति बोरी की दर से क्षतिपूर्ति दिलवाया जाना उचित है।
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अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी की 67 बोरी आलू 100/-रू0 प्रति बोरी के हिसाब से कुल कीमत 6,700/- (छ: हजार सात सौ रू0 मात्र) तथा उक्त धनराशि पर 08 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर वाद योजन की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय)(विकास सक्सेना)
संदीप आशु0कोर्ट नं0 3