राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1969/2015
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, 14/09 सुल्तानपुर, 93/2014 अमेठी में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04-06-2015 के विरूद्ध)
Kamad Cold Storage and Ice Factory, through its Manager/Partner.
अपीलार्थी/विपक्षी बनाम्
Ram Karan aged about about 41 years S/o Badkau R/o Village-Kharethu, Pargana and Tehsel-Amethi, District-Sultanpur.
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
1- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित - श्री नवीन कुमार तिवारी।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
दिनांक : 13-02-2017
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय :
परिवाद संख्या-14/09 एवं परिवाद संख्या-93/2014 रामकरन बनाम् प्रबन्धक कामद कोल्ड स्टोरेज एण्ड आइस फैक्ट्री में जिला उपभोक्ता फोरम, सुल्तानपुर/(अमेठी) द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 04-06-2015 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी कामद कोल्ड स्टोरेज एण्ड आइस फैक्ट्री की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को निर्देशित किया है कि वह दो माह में परिवादी को सड़ी आलू की नुकसानी के लिए 20,000/-रू0 फसल की बुआई न होने के कारण नुकसानी के लिए 40,000/-रू0 पर परिवाद दायर करने की तिथि से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित मानसिक शारीरिक क्षति के लिए 10,000/-रू0 वाद व्यय के लिए 3000/-रू0 अदा करें। आदेश का अनुपालन न करने पर समस्त धनराशि पर आदेश के दिनांक से 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदायगी की तिथि तक विपक्षी द्वारा परिवादी को देय होगा।
वर्तमान अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ग्राम खरेथू परगना व तहसील अमेठी जिला सुल्तानपुर का निवासी है। परिवादी ने विपक्षी के यहॉं 43 बोरी आलू मार्च 2008 में जमा किया था तथा अपने आलू का सुरक्षित रखने हेतु परिवादी ने विपक्षी कोममुख् 2,687/-रू0 भी अदा किया तथा आलू का बांड भरा।परिवादी फसल की बुआई के समय विपक्षी केयहॉं जमा अपनी आलू को निकलवाने गया तो विपक्षी द्वारा परिवादी को दिया गया बांड मागा गया जिस पर परिवादीने विपक्षी द्वारा दिया गया बांड दिया। बांड जमा करने के उपरान्त विपक्षी द्वारा आलू निकलवाने हेतु दिनांक 13-10-2008 को बुलाया गया और परिवादी को 2,687/-रू09 की रसीद दे दिया। दिनांक 31-10-2008 को परिवादी आलू निकलवाने हेतु विपक्षी के यहॉं गया तो विपक्षी पहले तो आलू निकालने में आना-कानी करने लगा। परिवादी द्वारा जब आलू निकालने हेतु बार-बार अनुरोध किया गया तो विपक्षी सड़ी आलू निकालने लगा। परिवादी ने विपक्षी से कहा कि हमने अपनी आलू सुरक्षित रखने हेतु धनराशि जमा की है और हम सड़ी आलू नहीं ले जायेंगे और आलू निकालने से इंकार कर दिया।विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि तुम दो दिन इंतजार करो तुम्हारी सुरक्षित आलू निकाल दी जायेगी। विपक्षी द्वारा यह कहे जाने पर परिवादी ने अपना ट्रैक्टर विपक्षी के कोल्ड स्टोर के समाने खड़ा कर दिया और दो दिन के बाद भी परिवादी को आलू नहीं दिया। दो दिन बाद परिवादी ने विपक्षी से पुन: आलू निकालने के लिए कहा तो विपक्षी ने साफ तौर से सुरक्षित आलू निकालने से मना कर दिया और कहा कि तुम्हारी जो आलू है वह चाहे सड़ी हो या सही हो ले जाना है तो ले जाओ दूसरी आलू नहीं दी जायेगी। परिवादी द्वारा बार-बार मांग किये जाने के उपरान्त विपक्षी ने दिनांक 18-10-2008 को परिवादी को 10 बोरी आलू दिया किन्तु 10 बोरी आलू में भी आधी आलू सड़ी थी विपक्षी के इस कृत्य से परिवादी को बहुत आघात पहुँचा। जो कि विपक्षी द्वारा की गयी लापरवाही है जिसका जिम्मेदार विपक्षी है। आलू की बुआई न होने से परिवादी को अपूर्णनीय क्षति हुई है। आलू के खो जाने की क्षति 25,000/-रू0, आलू की बुवाई न होने के कारण 50,000/-रू0 क्षति, मानसिक क्षति 20,000/-रू0 तथा शारीरिक क्षति 5,000/-रू0 की क्षति हुई है।
विपक्षी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा वकालतनामा प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया और कई बार उत्तर पत्र दाखिल करने का अवसर दिया गया। किन्तु विपक्षी द्वारा उत्तर पत्र दाखिल नहीं किया गया। अत: मंच द्वारा एकपक्षीय निर्णय पारित किया गया।
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया और प्रत्यर्थी की ओर से लिखित बहस भी दाखिल नहीं की गयी है।
हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने तथ्यों की अनदेखी करते हुए तथा विधि विरूद्ध आदेश पारित किया है। अपीलार्थी/विपक्षी को साक्ष्य तथा सुनवाई का अवसर दिये बिना ही एकपक्षीय आदेश पारित किया गया है तथा उनकी ओर से सेवा में किसी प्रकार की कमी नहीं की गयी है। प्रत्यर्थी/परिवादी को आलू ले जाने के लिए नोटिस दी गयी थी। प्रत्यर्थी/परिवादी आलू की कीमत कम होने से आलू लेने नहीं आया तथा जिला फोरमने मानसिक क्षतिपूर्ति व फसल न बोने के कारण हुए नुकसान के मद में अत्यधिक क्षतिपूर्ति का आदेश किया है। अत: अपील स्वीकार कर जिला फोरम के आदेश को अपास्त किया जाए।
पत्रावली का परिशीलन यह दर्शाता है कि परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में 43 बोरा आलू रखा गया यह उभयपक्ष को स्वीकार है। परिवादी का कथन है कि कोल्ड स्टोरेज में आलू सड़ गया था जबकि अपीलार्थी का यह दायित्व था कि वह परिवादी/प्रत्यर्थी को सही आलू उपलब्ध कराता और अपीलार्थी का यह कथन कि उस समय आलू का भाव बहुत कम हो गया था इसलिए परिवादी/प्रत्यर्थी आलू उठाने अपीलार्थी के कोल्ड स्टोरेज में नहीं आया इसलिए आलू को नीलम कर दिया गया। इससे यह स्पष्ट है कि परिवादी/प्रत्यर्थी का आलू अपीलार्थी के यहॉं पर ही अपीलार्थी द्वारा बेचा/नीलाम किया गया। जिला फोरम ने अपीलार्थी द्वारा परिवादी/प्रत्यर्थी को सही आलू उपलब्ध न कराने को सेवा में कमी मानते हुए आलू की कीमत 20,000/-रू0 मय 09 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाया है जो उचित है तथा 3000/-रू0 परिवाद व्यय भी उचित दिलाया है। किन्तु जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी को 40,000/-रू0 फसल के नुकसार के मद में तथा 10,000/-रू0 मानसिक क्षतिपूर्ति के मद में अदा करने का जो आदेश अपीलार्थी/विपक्षी को दिया है वह विधि सम्मत नहीं है और जो अपास्त किये जाने योग्य है।
अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला फोरम अमेठी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांकित 04-06-2015 को संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को 20,000/-रू0 मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित परिवाद दायर करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक अदा करें तथा 3000/-रू0 वाद व्यय भी अदा करे। आदेश के शेष भाग को अपास्त किया जाता है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा