राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-235/2020
(जिला उपभोक्ता आयोग, दि्वतीय लखनऊ द्धारा परिवाद सं0-745/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.8.2019 के विरूद्ध)
1- ब्रांच मैनेजर, इलाहाबाद बैंक, ब्रांच कपूरथला, अलीगंज, लखनऊ।
2- ब्रांच मैनेजर, इलाहाबाद बैंक, ब्रांच जानकीपुरम, लखनऊ।
........... अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
राम गोपाल वर्मा पुत्र स्व0 दीन बन्धु, निवासी ग्राम इचौली (सेमरा रोड) पोस्ट, परगना, तहसील व थाना महमूदाबाद जिला-सीतापुर।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
अपील संख्या:-106/2021
राम गोपाल वर्मा पुत्र स्व0 दीन बन्धु, निवासी ग्राम इचौली (सेमरा रोड) पोस्ट, परगना, तहसील व थाना महमूदाबाद जिला-सीतापुर।
........... अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1- ब्रांच मैनेजर, इलाहाबाद बैंक, ब्रांच कपूरथला, अलीगंज, लखनऊ।
2- ब्रांच मैनेजर, इलाहाबाद बैंक, ब्रांच जानकीपुरम, लखनऊ।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य
अपीलार्थी/बैंक के अधिवक्ता : श्री शरद कुमार शुक्ला
प्रत्यर्थी/परिवादी के अधिवक्ता : श्रीमती कुसमा देवी
दिनांक :- 26.9.2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/इलाहाबाद बैंक द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, दि्वतीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-745/2015 में पारित निम्न आदेश दिनांक 20.8.2019 से क्षुब्ध होकर योजित की गई है:-
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‘’परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-1 को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से चार सप्ताह के अंदर परिवादी को क्षतिपूर्ति स्वरूप रू0 50,000.00 अदा करें। इसके अतिरिक्त विपक्षी सं0-1 परिवादी को मानसिक कष्ट हेतु रू0 15,000.00 तथा रू0 10,000.00 वाद व्यय अदा करें। ऐसा न करने की दशा में विपक्षी सं0-1 को उक्त धनराशियों पर उक्त तिथि से ता अदायगी तक 12 (बारह) प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर के साथ देय होगा।‘’
प्रत्यर्थी/परिवादी श्री राम गोपाल वर्मा द्वारा भी उपरोक्त निर्णय/आदेश दिनांक 20.8.2019 के विरूद्ध एक अन्य अपील, अपील सं0-106/2021 विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा प्रदान किये गये अनुतोष में अभिवृद्धि हेतु प्रस्तुत की गई है।
दोनों अपीलों में अपीलार्थी/इलाहाबाद बैंक की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री शरद कुमार शुक्ला तथा प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्रीमती कुसमा देवी को सुना तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन किया।
अपीलार्थी/इलाहाबाद बैंक के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय तथ्य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी का बैंक ड्राफ्ट खो जाने के लिए प्रत्यर्थी/परिवाद स्वयं जिम्मेदार है। यह कहना गलत है कि ड्राफ्ट अपूर्ण होने के कारण रिजेक्ट कर दिया गया। यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी का बैंक ड्राफ्ट दिनांक 04.8.2012 में खोया है तथा परिवाद वर्ष-2015 में प्रस्तुत किया गया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि बैंक ड्राफ्ट को रिजेक्ट किये जाने के सम्बन्ध में कोई प्रपत्र/अभिलेख सिंचाई विभाग का प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत नहीं किया गया
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है। यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के विपरीत निर्णय/आदेश पारित किया है, जो कि अनुचित है।
अपीलार्थी/बैंक के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/बैंक की सेवा में कमी मानते हुए जो हर्जाना योजित किया गया है, वह अनुचित है और उसे अपास्त किये जाने की प्रार्थना की गई। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/बैंक द्वारा किसी प्रकार की सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्य और विधि के अनुकूल है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी के खाता इलाहाबाद बैंक में था तथा उसमें पर्याप्त धनराशि थी। प्रत्यर्थी/परिवादी उक्त बैंक ड्राफ्ट को सहायक अभियंता लघु सिंचाई विकास भवन, सीतापुर में जमा करने गया, लेकिन बैंक ड्राफ्ट अपूर्ण होने के कारण लेने से इंकार कर दिया गया, अत्एव अपीलार्थी/बैंक की सेवा में कमी एवं लापरवाही के कारण प्रत्यर्थी/परिवादी का बैंक ड्राफ्ट जमा नहीं हो सका, जिसके कारण प्रत्यर्थी/परिवादी के खेत में समय से बोरिंग नहीं हो सकी और उसे काफी असुविधा हुई, इसलिए अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ही दोषपूर्ण सेवा और लापरवाही के लिए दोषी है।
प्रत्यर्थी/परिवादी की विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा क्षतिपूर्ति स्वरूप जो धनराशि की देयता निर्धारित की गई, वह वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए बहुत कम है और उसमें वृद्धि किये जाने की प्रार्थना की गई। यह भी कथन किया गया कि बैंक ड्राफ्ट का मूलधन रू0 45,000.00 नहीं दिलाया गया है, जिसे दिलाया जाना अति आवश्यक है।
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हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य को सुना तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए वर्तमान प्रकरण में यह पाया जाता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 के यहॉ से रू0 45,000.00 मय फीस चार्ज के साथ रू0 45,152.00 का दिनांक 04.8.2012 को एक बैंक ड्राफ्ट लघु सिंचाई विकास भवन, जिससे प्रत्यर्थी/परिवादी को सिंचाई हेतु बोरिंग करानी थी, बनवाया गया। परन्तु जब प्रत्यर्थी/परिवादी उपरोक्त विभाग गया तब उसका बैंक ड्राफ्ट अपूर्ण होने के कारण जमा करने से इंकार कर दिया गया, जिससे प्रत्यर्थी/परिवादी को काफी असुविधा हुई, जिसकी शिकायत बैंक से करने पर अपीलार्थी/बैंक द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया, अत्एव इस असुविधा एवं लापरवाही हेतु अपीलार्थी/बैंक दोषी है।
हमारे द्वारा समस्त तथ्यों के परिशीलनोंपरांत एवं अपीलार्थी के अधिवक्ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत अपील निम्न आदेशानुसार आंशिक रूप से स्वीकार किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है, अत्एव विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद सं0-745/2015 में पारित आदेश दिनांक 20.8.2019 को निम्न प्रकार संशोधित किया जाता है अर्थात यह कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो प्रत्यर्थी/परिवादी को क्षतिपूर्ति स्वरूप 50,000.00 रू0 की देयता निर्धारित की गई है, उसे संशोधित करते हुए 30,000.00 रू0 की देयता निर्धारित की जाती है, साथ ही मानसिक कष्ट एवं वाद व्यय हेतु जो देयता क्रमश: रू0 15,000.00 एवं 10,000.00 रू0 निर्धारित की गई है, उसे भी संशोधित करते हुए क्रमश: रू0 5,000.00 एवं 3,000.00 रू0 निर्धारित किया जाता है।
इसके अतिरिक्त उपरोक्त धनराशियों पर उक्त तिथि से ता अदायगी तक 12 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर को भी 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज दर में परिवर्तित किया जाता है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से
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स्वीकार की जाती है। अपीलार्थी/बैंक को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।
जहॉ तक अपील सं0-106/2021 रामगोपाल वर्मा बनाम शाखा प्रबन्धक इलाहाबाद बैंक व अन्य, जो कि अपीलार्थी/परिवादी रामगोपाल वर्मा की ओर से प्रस्तुत की गई है, के सम्बन्ध में अनुतोष में अभिवृद्धि किये जाने का प्रश्न है, प्रस्तुत अपील के सम्बन्ध में ऐसा कोई पर्याप्त एवं उचित आधार अपीलार्थी/परिवादी की ओर से दृष्टिगत नहीं किया जा सका, जिससे कि याचित अनुतोष में अभिवृद्धि की जा सके, तद्नुसार प्रस्तुत अपील बलहीन होने के कारण निरस्त की जाती है।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील सं0-235/2020 में रखी जाए एवं इस निर्णय/आदेश की एक प्रमाणित प्रतिलिपि अपील सं0-106/2021 पर भी रखी जाए।
अपील सं0-235/2020 में धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को नियमानुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाये।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1