Uttar Pradesh

StateCommission

A/1999/742

U P S E B - Complainant(s)

Versus

Ram Dulare - Opp.Party(s)

Isar Husain

25 Mar 1999

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1999/742
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U P S E B
Pratapgarh
...........Appellant(s)
Versus
1. Ram Dulare
Pratapgarh
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज् उपभोक्ता  विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ।

                                   मौखिक  

अपील संख्‍या 742/1999   

यू0 पी0 एस0 ई0 बी0 द्वारा इक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, ई0 डी0 डी0 प्रतापगढ़।

                                                अपीलार्थी                                       बनाम

श्री दुलारे पुत्र श्री समई निवासी कल्‍याणी सराय राजा तहसील सदर, जिला प्रतापगढ़।

                                                  प्रत्‍यर्थी

समक्ष:-

1 मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन सदस्‍य।

2-मा0 श्री राम चरन चौधरी सदस्‍य।

अपीलकर्ता की ओर से उपस्थित।  विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित।         कोई नहीं।

दिनांक-10-10-2014

 

           मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

     अपीलकर्ता ने प्रस्‍तुत अपील विद्वान जिला मंच प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या-130/1997 दुलारे सुत समई बनाम अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत वितरण खण्‍ड प्रतापगढ़ में पारित किये गये आदेश दिनांक 06-02-1999 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने परिवाद को स्‍वीकार किया है एवं अपीलार्थी/विपक्षी को निर्देशित किया है कि वह परिवादी से अक्‍टूबर 96 के बाद का विद्युत मूल्‍य वसूल न करें। अक्‍टूबर 96 के पूर्व का संशोधित बिल 30 दिनों के अन्‍दर परिवादी को उपलब्‍ध करायें।

     संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने फोरम के समक्ष शिकायत प्रस्‍तुत करते हुए कहा है कि उसने दिनांक 29-12-1999 को पावर कनेक्‍शन लिया। कनेक्‍शन सं0 5011/8562 तथा मीटर सं0-05082/10446975 है। माह सितम्‍बर-अक्‍टूबर 1996 ई0 में तेज आंधी आई जिससे पूरी लाइन उखड़ गई तथा तार आदि टूट गया। जिससे विद्युत आपूर्ति बन्‍द हो गयी। तथ्‍यों की जानकारी अधिशाषी अभियन्‍ता को दी गयी। उन्‍होंने खम्‍भा लगवा दिया। मीटर लगवा कर कहा गया कि लाइनमैन तार जोड़ेगा। इस प्रकार उसने कनेक्‍शन का उपयोग नहीं किया। लाइन न होने के बावजूद बिल आना जारी रहा। बिल पर उसने विपक्षी के यहां प्रार्थनापत्र दिया। बिल पर उन्‍होंने सहायक अभियन्‍ता राजस्‍व को पत्रांक

 

2

0585828 दिया गया परन्‍तु बिल में संशोधन नहीं किया गया। कई बार कार्यालय का चक्‍कर लगाया किन्‍तु परिणाम शून्‍य रहा। अंत में उपसम के रूप में अक्‍टूबर 96 से बिल समाप्‍त करने तथा भुगतान दिलाये जाने की याचना की है। परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में दिनांक 29-08-1997  को नोटिस कानूनी नोटिस की प्रति एवं रसीद रजिस्‍ट्री, विद्युत बिल की छाया प्रति जिसमें दिनांक 25-10-1996 को कार्यालय द्वारा प्राप्‍त किया गया है। इस पत्र में परिवादी ने ऑंधी आने, तार टूटने एवं गलत बिल दुरूस्‍त करने की शिकायत की है दाखिल है। साक्ष्‍य के रूप में शपथपत्र के द्वारा कथन का समर्थन किया गया है।

     विपक्षी द्वारा अपने उत्‍तर में परिवादी के कथनों को इनकार किया गया। अभिकथन में कहा गया है कि परिवादी जान बूझकर बिलों का भुगतान नहीं कर रहा है। अक्‍टूबर 97 तक 22000/-रू0 बकाया हो चुका है। कोई प्रार्थनापत्र कार्यालय में नहीं दिया गया और न समस्‍या ही बतायी गई। विशेष हर्जाना दिलाए जाने के साथ परिवाद निरस्‍त करने की मांग की गई। अपने कथन के समर्थन में कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया है।

     अपीलकर्ता ने अपील को प्रस्‍तुत किये जाने में हुए विलम्‍ब को क्षमा किये जाने का प्रार्थनापत्र दिया है तथा श्री जिया उद्दीन का शपथपत्र दाखिल किया है। श्री जिया उद्दीन ने अपने शपथपत्र में यह बताया है कि परिवाद में पारित किये गये निर्णय दिनांक 06-02-1999 का आदेश उनके संज्ञान में दिनांक 11-03-1999 को आया और उसके पश्‍चात उन्‍होंने लखनऊ स्थित बोर्ड के अधिवक्‍ता से सम्‍पर्क किया। दिनांक 21-03-1999 को गया किन्‍तु उसके पश्‍चात इस अपील को दिनांक 03-04-2002 तक प्रस्‍तुत किये जाने में विलम्‍ब का क्‍या कारण रहा। यह स्‍पष्‍टत: बताया नहीं गया है अत: ऐसी परिस्थिति में विलम्‍ब का समुचित कारण नहीं दर्शाया गया है। प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 06-02-1999 को पारित किया गया है जब कि उसकी अपील दिनांक 03-04-2002 को प्रस्‍तुत की गयी है जो कि समय अवधि के अन्‍दर नहीं है एवं काल बाधित है अत: ऐसी परिस्थिति में खारिज किये जाने योग्‍य है।

     इसके अतिरिक्‍त गुण-दोष के आधार पर भी अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं था। प्रश्‍नगत निर्णय का अवलोकन किया गया। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्वान जिला मंच ने विधि अनुसार निर्णय पारित नहीं किया है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने सितम्‍बर 1996 से बिजली का उपभोग किया था किन्‍तु उसने इस बात का कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया है कि उसने बिजली का उपभोग नहीं किया है। प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से विदित है कि

 

3

अपीलार्थी (विपक्षी) ने अपने इस कथन के समर्थन में कि परिवादी ने जानबूझकर बिलों का भुगतान नहीं किया एवं अक्‍टूबर 1997 तक 22000/-रू0 बकाया हो चुका था कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया है। परिवादी का कथन है कि माह सितम्‍बर अक्‍टूबर 1996 में तेज आंधी आने के कारण पूरी लाइन उखड़ गयी थी तथा तार टूट गया था जिससे विद्युत आपूर्ति बन्‍द हो गयी थी। वकील कमीश्‍नर ने अपनी आख्‍या दिनांक 23-12-1998 में यह बताया है कि मीटर अथवा अन्‍य कहीं से पोल का कनेक्‍शन नहीं है तथा विद्युत का उपयोग काफी दिनों से नहीं किया गया है अत: ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच द्वारा विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है। अत: गुण-दोष के आधार पर भी अपीलार्थी की अपील खारिज किये जाने योग्‍य है।   

  आदेश

      अपील खारिज की जाती है।

वाद व्‍यय पक्षकार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

     इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

 

 

 

(अशोक कुमार चौधरी)                                 (राम चरन चौधरी)

 पीठासीन सदस्‍य                                             सदस्‍य

 मनीराम आशु0-2

 कोर्ट- 3    

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary]
MEMBER

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