Uttar Pradesh

StateCommission

A/1997/2346

L I C - Complainant(s)

Versus

Ram Deo - Opp.Party(s)

T N Gupta

29 Nov 1995

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1997/2346
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. L I C
a
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Alok Kumar Bose PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Jugul Kishor MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

 

 

 

 

 

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ

 

अपील संख्‍या 2346 सन 1997

 

 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम गोरखपुर   द्वारा परिवाद संख्‍या  717 सन 93 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 28.10.1997 के विरूद्ध)

 

  1. भारतीय जीवन बीमा निगम, योगक्षेम, जीवन बीमा मार्ग, मुम्‍बई 400021 द्वारा चेयरमैन ।
  2. भारतीय जीवन बीमा निगम, प्रतिभा काम्‍प्‍लेक्‍स, मण्‍डल कार्यालय, जुबली रोड, गोरखपुर द्वारा मण्‍डल प्रबन्‍धक ।
  3.  
  4. भारतीय जीवन बीमा निगम, कैरियर एजेण्‍ट जुबली रोड, गोरखपुर द्वारा शाखा प्रबन्‍धक ।

       

 

.............अपीलार्थी

बनाम

 

रामदेव लाठ पुत्र स्‍व0 पन्‍ना लाल लाठ, निवासी डी 19, इण्डिस्ट्रियल इस्‍टेट, डाकघर गोरखनाथ, तहसील सदर शहर व जिला गोरखपुर ।

.................प्रत्‍यर्थी

 

समक्ष:-

1    मा0   श्री चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव, पीठासीन  सदस्‍य।

2    मा0   रामचरन चौधरी , सदस्‍य।

 

विद्वान अधिवक्‍ता  अपीलार्थी :  श्री अरविंद तिलहरी।

विद्वान अधिवक्‍ता प्रत्‍यर्थी   : श्री अम्‍बरीश कौशल एवं श्री आर0के0 गुप्‍ता ।

 

दिनांक:         15 .12 .2014

 

माननीय श्री चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, सदस्‍य (न्‍यायिक) द्वारा उदघोषित ।

निर्णय

     

यह अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, महोवा द्वारा परिवाद संख्‍या 717 सन 1993 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.10.1997 के विरुद्ध प्रस्‍तुत की गयी है जिसके द्वारा जिला फोरम ने परिवाद को स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया है :-

'' हम विपक्षी को आदेशित करते हैं कि वे निर्णय के 45 दिन के अन्‍दर वादी को दुर्घटना हित लाभ के रूप में 38000.00 तथा बकाया बोनस राशि रू0 342.00 एवं इस राशि अर्थात, रू0 38342.00 पर 12 प्रतिशत की दर से ब्‍याज दिनांक 22.3.93 से भुगतान की तिथि तक अदा करे। विपक्षी वादी को बतौर मानसिक एवं शारीरिक क्षतिपूर्ति रू0 2000.00 एवं बतौर वाद व्‍यय रू0 400.00 अदा करेंगे। निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर भुगतान न करने पर निर्णय की तिथि से भुगतान की तिथि तक ब्‍याज दर 18 प्रतिशत होगी । ''

संक्षेप मे, प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपने पुत्र के जीवन पर एक जीवन बीमा पालिसी दिनांक 28.3.87 को ली थी जिसकी परिपक्‍वता तिथि 28.3.2002 थी। उक्‍त पालिसी 15 वर्ष के लिए धन वापसी लाभ सहित, दुघर्टना हित लाभ सहित थी। परिवादी के पुत्र की दिनांक 04.11.92 को मृत्‍यु हो गयी जिसकी सूचना बीमा कम्‍पनी को दी गई तथा क्‍लेम फार्म जमा किया गया । दिनांक 17.1.1994 को बीमा कम्‍पनी ने अंशत: भुगतान करते हुए 38000.00 रू0 बीमा धनराशि तथा 14,592.00 रू0 बोनस अदा किया लेकिन बीमित धनराशि के बरावर 38000.00 का दुर्घटना हित लाभ यह कहते हुए नहीं दिया कि मृतक पालिसी लेते समय विद्यार्थी था और विद्यार्थी को दुर्घटना हितलाभ अनुमन्‍य नहीं है।

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण की बहस सुन ली है एवं अभिलेख का ध्‍यानपूर्ण परिशीलन कर लिया है।

इस प्रकरण में मुख्‍य बिन्‍दु यह है कि परिवादी का पुत्र जो कि विद्यार्थी था, उसको जो बीमा पालिसी जारी की गयी थी, वह दुर्घटना हित लाभ हेतु वैध थी अथवा नहीं और क्‍या बीमित व्‍यक्ति द्वारा अपने व्‍यवसाय के रूप में विद्यार्थी अंकित करने के उपरांत कोई दुर्घटना हित लाभ अनुमन्‍य था अथवा नहीं । हमारे समक्ष पालिसी की फोटो प्रति दाखिल की गयी है जिसमें यह स्‍पष्‍ट है कि पालिसी 15 वर्षो के लिए धन वापसी पालिसी लाभ सहित (दुर्घटना हित लाभ के साथ) जारी की गयी थी और बीमित व्‍यक्ति द्वारा प्रीमियम का भी नियमित भुगतान किया गया है, ऐसी स्थिति में यह कहना सही प्रतीत नहीं होता है कि बीमा निगम द्वारा दुर्घटना हित लाभ पालिसी जारी नहीं की गयी थी। बीमा निगम के विद्वान अधिवक्‍ता ने हमारे समक्ष यह तर्क लिया है कि यदि पालिसी गलत ढंग से जारी की जाती है तो उसका दायित्‍व बीमा निगम पर नहीं है, किन्‍तु प्रस्‍तुत प्रकरण में बीमा प्रस्‍ताव पत्र में बीमित व्‍यक्ति ने अपने को विद्यार्थी घोषित किया है और मृत्‍यु पर्यन्‍त उसकी पालिसी जीवित रही है और उसकी ओर से नियमित भुगतान बीमा निगम ने स्‍वीकार किया है। इसके अतिरिक्‍त अपीलार्थी द्वारा हमारे समक्ष यह भी स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है कि बीमा पालिसी की उक्‍त शर्त से मृतक को अवगत कराया गया था। यदि पा‍लिसी की शर्तो से बीमित व्‍यक्ति को अवगत नहीं कराया जाता है तो उसकी कोई बाध्‍यता बीमित व्‍यक्ति पर नहीं रहती है। अभिलेख से यह स्‍पष्‍ट है कि बीमित धनराशि परिवादी को दे दी गयी है ऐसी स्थिति में मृतक के संबंध में दुर्घटना हित लाभ का न दिया जाना बीमा निगम द्वारा की गयी सेवा में कमी है। अभिलेख से यह भी स्‍पष्‍ट है कि मृतक की मृत्‍यु सड़क दुर्घटना में हुयी थी। जिला फोरम ने सभी बिन्‍दुओं का सम्‍यक विवेचन करते हुए परिवाद को स्‍वीकार किया है एवं बोनस राशि का बकाया धनराशि भी देने का निर्देश तथा उक्‍त समस्‍त धनराशि पर 12 प्रतिशत ब्‍याज भी देने का निर्देश दिया है तथा मानसिक एवं शारीरिक क्षति के मद में 2000.00 रू0 तथा वाद व्‍यय के रूप में 400.00 रू0 स्‍वीकार किया है, जोकि उचित है1

उपर्युक्‍त विवेचन के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि इस अपील में कोई बल नहीं है और यह अपील तदनुसान निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

 

प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त करते हुए जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोरखपुर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.10.1997 को सम्‍पुष्‍ट किया जाता है।

उभय पक्ष इस अपील का अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।   

      इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करा दी जाए।

 

 

(चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव)                         ( रामचरन चौधरी)

पीठा0 सदस्‍य (न्‍यायिक)                                                सदस्‍य(न्‍यायिक)    

      कोर्ट-2

(S.K.Srivastav,PA-2)

 

 
 
[HON'ABLE MR. Alok Kumar Bose]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Jugul Kishor]
MEMBER

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