राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-837/2000
(जिला उपभोक्ता फोरम, श्रावस्ती द्वारा परिवाद संख्या-72/99 में पारित आदेश दिनांक 27.01.2000 के विरूद्ध)
मेसर्स छोटे लाल कोल्ड स्टोरेज एण्ड एलाइड इण्डस्ट्रीज, आसाम रोड,
बहराइच द्वारा पार्टनर श्री महाबीर प्रसाद अग्रवाल। .........अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम्
राम चंद्र गुप्ता पुत्र स्व0 घसीटे राम निवासी घोरमा जिला बहराइच/
श्रावस्ती। ........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एम0एच0 खान, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 02.09.2015
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम श्रावस्ती के परिवाद संख्या 72/99 में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 27.01.2000 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला मंच द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया:-
'' परिवाद विपक्षी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह प्रश्नगत आलू का मूल्य रू. 10500/- तथा उस पर दि. 22.11.97 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज, भागदौड़ में हुए खर्च के रूप में रू. 1000/- मानसिक कष्ट की क्षतिपूर्ति के रूप में रू. 5000/- एवं वाद व्यय रू. 500/- यह समस्त धनराशि आज से 30 दिन के अंदर परिवादी को अदा करें।''
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में 40 बोरा आलू वजनी 35 कुन्तल दि. 31.03.97 को जमा किया था और उसका मूल्य रू. 70/- प्रति कुन्तल के हिसाब से भुगतान करने का वायदा किया था। माह अक्टूबर, 1997 में परिवादी को प्रश्नगत आलू की आवश्यकता आलू की फसल बोआई के लिए हुई, तब वह विपक्षी के पास आलू लेने गया। विपक्षी द्वारा टालमटोल किया गया और आलू नहीं दिया गया। बाद में पता करने पर परिवादी ने यह पाया कि उसका आलू बिना उसकी अनुमति और बिना उसे सूचना दिए बेच दिया गया। विपक्षी द्वारा परिवादी को समय से उसका आलू न दिए जाने के
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कारण वह बोआई नहीं कर सका।
पीठ ने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी का कथन है कि जिला मंच का निर्णय/आदेश विधिसम्मत नहीं है। परिवादी/प्रत्यर्थी ने 40 बोरे आलू अपने पुत्र के नाम कोल्ड स्टोरेज में रखे थे, जिसमें से उसके द्वारा 40 बोरे प्राप्त कर लिया है, परन्तु 40 बोरे प्राप्त नहीं किया गया है। जब प्रत्यर्थी को विधिनुसार नोटिस दिया गया, परन्तु वह आलू उठाने नहीं आया, अत: आलू को नियमानुसार नीलाम किया गया। अपीलार्थी का कथन है कि उसके द्वारा धारा 17 कोल्ड स्टोरेज एक्ट में दिए गए प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की गई।
यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने 40 बोरे आलू अपीलार्थी के कोल्ड स्टोरेज में रखे और यह 40 बोरे आलू प्रत्यर्थी द्वारा प्राप्त नहीं किया गया। अपीलार्थी का कथन है कि उसने धारा 17 कोल्ड स्टोरेज एक्ट के तहत कार्यवाही कर आलू को नीलाम किया गया है, परन्तु पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि धारा 17 कोल्ड स्टोरेज एक्ट के अंतर्गत प्रत्यर्थी को विधिनुसार नोटिस दी गई हो तथा कोल्ड स्टोरेज एक्ट के अंतर्गत जो नीलाम की प्रक्रिया दी गई है वह कोल्ड स्टोरेज द्वारा अपनाई गई हो।
जिला मंच ने साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए अपना निर्णय दिया है, जिसमें हम कोई त्रुटि नहीं पाते हैं, परन्तु अपने आदेश में देय आलू के मूल्य पर जो 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर अवधारित की गई है वह अत्यधिक है। प्रश्नगत आलू के मूल्य रू. 10500/- पर 9 प्रतिशत ब्याज अधिरोपित करना न्यायोचित होगा। जिला मंच के शेष आदेश की पुष्टि किए जाने योग्य है और अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला मंच का निर्णय/आदेश दि. 27.01.2000 में आंशिक संशोधन करते हुए प्रश्नगत आलू का मूल्य रू. 10500/- पर 18 प्रतिशत के स्थान पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज परिवर्तित किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
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पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्यय वहन करेंगे।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5